
27 प्रवासी भारतीयों को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
इंदौर । 17वें प्रवासी भारतीय दिवस समारोह के आखिरी दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के समापन सत्र में शामिल हुई ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 27 प्रवासी भारतीयों को सम्मानित किया। जिन्हें सम्मानित किया, उनमें शामिल हैं-
- प्रो. जगदीश चेन्नुपति, आस्ट्रेलिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी/शिक्षा
- प्रो. संजीव मेहता, भूटान, शिक्षा
- प्रो. दिलीप लौंडो, ब्राज़ील, कला और संस्कृति/शिक्षा
- डा. अलेक्जेंडर मलाइकेल जॉन, ब्रुनेई दारुस्सलाम मेडिशन
- डा. वैकुंठम अय्यर लक्ष्मणन, कनाडा, समाजसेवा
- जोगिंदर सिंह निज्जर, क्रोएशिया, कला और संस्कृति/शिक्षा
- प्रो. रामजी प्रसाद, डेनमार्क, सूचना प्रौद्योगिकी
- डा. कन्नन अम्बलम, इथियोपिया, समाजसेवा
- डा. अमल कुमार मुखोपाध्याय, जर्मनी, समाजसेवा/चिकित्सा
- डा. मोहम्मद इरफान अली, गुयाना, राजनीति/समाजसेवा
- रीना विनोद पुष्करणा, इजराइल, व्यवसाय/समाजसेवा
- डा. मकसूदा सरफी श्योतानी, जापान, शिक्षा
- डा. राजगोपाल, मैक्सिको, शिक्षा
- अमित कैलाश चंद्र लठ, पोलैंड, व्यवसाय/समाजसेवा
- परमानंद सुखुमल दासवानी, कांगो गणराज्य, समाजसेवा
- पीयूष गुप्ता, सिंगापुर, व्यवसाय
- मोहनलाल हीरा, दक्षिण अफ्रीका, समाजसेवा
- संजयकुमार शिवभाई पटेल, दक्षिण सूडान, व्यवसाय/समाजसेवा
- शिवकुमार नदेसन, श्रीलंका, समाजसेवा
- डा. देवनचंद्रभोज शरमन, सूरीनाम, समाजसेवा
- डा. अर्चना शर्मा, स्विटजरलैंड, विज्ञान प्रौद्योगिकी
- न्यायमूर्ति फ्रैंक आर्थर सीपरसाद, त्रिनिदाद और टोबैगो, समाजसेवा/शिक्षा
- सिद्धार्थ बालचंद्रन, संयुक्त अरब अमीरात, व्यवसाय/समाजसेवा
- चंद्रकांत बाबूभाई पटेल, यूके, मीडिया
- डा. दर्शन सिंह धालीवाल, अमेरिका, व्यवसाय/समाजसेवा
- राजेश सुब्रमण्यम, अमेरिका, व्यवसाय
- अशोक कुमार तिवारी, उज़्बेकिस्तान, व्यवसाय
शिवराज बोले- मेरा मन भाव-विभोर है
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरा मन भाव-विभोर है। तीन दिन तक आपका साथ रहा। इंदौर आपसे एक रूप हो गया। सचमुच में इंदौर ने तैयारी वैसी की, जैसी बेटी की शादी के लिए करते हैं। बेटी की शादी जैसा इंदौर का स्वागत-सत्कार। जब बेटी की बिदाई होती है तो मन में तकलीफ भी होती है। मैं ‘पधारो म्हारे घर’ कार्यक्रम में गया था। वहां ऐसा लगा जैसे दो परिवार नहीं मिले हों बल्कि दो देश जुड़ गए हों। तीन दिन आनंद, उत्सव और उमंग के थे। तीन दिन कैसे कट गए, पता ही नहीं चला। अब मन सोचकर भारी हो रहा है कि आप चले जाओगे। यहीं रह जाओ न। जो बात इस जगह है, वह कही भी नहीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन दिन से सब तरफ इंदौर, मध्य प्रदेश और भारत की चर्चा हो रही है। यह कार्यक्रम केवल सरकार का नहीं था। लेकिन इंदौर की जनता ने जी-जान से जुड़कर यह कार्यक्रम किया है। प्रधानमंत्री कह रहे थे कि इंदौर स्वच्छता, स्वाद की राजधानी। इंदौर जनभागीदारी और जनसहभागिता की भी राजधानी है। जाने से पहले हमने आपसे ग्लोबल गार्डन में पेड़ लगाए। हर देश के प्रतिनिधि ने पेड़ लगाया। हमने आपने पेड़ के बंधन से बांध लिया। जिन्होंने पेड़ लगाए, उन्हें क्यूआर कोड भी दे रहे हैं।
आप स्कैन करेंगे तो आपका लगाया पेड़ आपको दिखेगा। वह पेड़ आपको आपको हमारी याद दिलाता रहेगा। प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र दिया है। हम इस पर काम कर रहे हैं। विदाई की बेला आ गई है। इंदौर की यादों को लेकर विदा लेना। जब तुम चले जाओगे तो याद बहुत आओगे। तुम बिन लागेगा कन्वेंशन सेंटर सूना। तुम बिन लागेगा राजवाड़ा सूना-सूना। सराफा, राजवाड़ा सूना-सूना। तुम बिन लागेगा इंदौर सूना-सूना। सितारों को आंखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी। मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी, फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी। कसर छोड़ी न थी। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी लोकप्रियता ही ऐसी है कि हॉल छोटा पड़ गया। दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। हमारा प्यार दिल में रखकर जाइये और हमें याद रखिये।
