
3 कृषि विधेयकों पर 4 आशंकाओं के चलते अकाली दल और एनडीए में दरार
नई दिल्ली। कोरोना के बीच संसद के मानसून सत्र का आज पांचवां दिन है। इससे पहले गुरुवार को शिरोमणि अकाली दल की नेता और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज मिनिस्टर हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को इस्तीफा मंजूर कर लिया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अब मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की जिम्मेदारी भी संभालेंगे। खेती से जुड़े 3 विधेयकों के खिलाफ पंजाब के किसानों का गुस्सा देखते हुए बादल ने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ उनकी बेटी और बहन के रूप में खड़े होने पर गर्व है।

मोदी ने कहा- कई शक्तियां किसानों को भ्रमित कर रही हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, किसानों को भ्रमित करने में बहुत सारी शक्तियां लगी हुई हैं। मैं अपने किसान भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूं कि एमएसपी और सरकारी खरीद की व्यवस्था बनी रहेगी। ये विधेयक वास्तव में किसानों को कई और विकल्प देकर उन्हें सही मायने में सशक्त करने वाले हैं।
अकाली दल पर दबाव था
बेअदबी और पार्टी में फूट से जूझ रहे अकाली दल के लिए कृषि विधेयक गले की फांस बन गए थे, क्योंकि अगर पार्टी इनके लिए हामी भरती तो प्रदेश के बड़े वोट बैंक (किसानों) से हाथ धोना पड़ता। उधर, दूसरी बार मंत्री बनीं हरसिमरत पर विधेयकों को लेकर पद छोडऩे का दबाव भी बना हुआ था।
दो धड़ों में बंट गई थी पार्टी
पंजाब में बिल के विरोध में अकाली दल के अलग-अलग नेता हरसिमरत के इस्तीफे को लेकर 2 धड़ों में बंटे थे। सूत्रों के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल के कई सीनियर नेता पार्टी अध्यक्ष से कह चुके थे कि पार्टी का वजूद किसानों को लेकर ही है। इसलिए, अगर केंद्र बात नहीं मानता है तो हरसिमरत को इस्तीफा दे देना चाहिए।
इन तीनों विधेयकों को सरकार ने लॉकडाउन के दौरान 5 जून को ऑर्डिनेंस के जरिए लागू किया था। तब से ही इन पर हंगामा मचा हुआ है। केंद्र सरकार इन्हें अब तक का सबसे बड़ा कृषि सुधार कह रही है। लेकिन, विपक्षी पार्टियों को इनमें किसानों का शोषण और कॉरपोरेट्स का फायदा दिख रहा है।
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