प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के सदस्यता अभियान की शुरुआत की

नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय सदस्यता अभियान- ‘संगठन पर्व, सदाशयता अभियान 2024’ की शुरुआत की। पार्टी के कार्यक्रम में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य शीर्ष नेता शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर प्रारंभ हो रहा है। भारतीय जनसंघ से अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है…अगर किसी दल में आंतरिक लोकतंत्र निरंतर नहीं पनपता तो वैसी स्थिति बनती है जो आज हम देश के कई दलों की देख रहे हैं।

मोदी ने कहा कि आज सदस्यता अभियान का एक और दौर प्रारंभ हो रहा है। भारतीय जनसंघ से लेकर अब तक हमने देश में एक नई राजनीतिक संस्कृति लाने का भरसक प्रयास किया है। जब तक जिस संगठन के माध्यम से या जिस राजनीतिक दल के माध्यम से देश की जनता सत्ता सुपुर्द करती है, वो ईकाई, वो संगठन और वो दल अगर लोकतांत्रिक मूल्यों को नहीं जीता है, आंतरिक लोकतंत्र निरंतर उसमें पनपता नहीं है तो वैसी स्थिति बनती है जो आज देश कई दलों को हम देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा एक मात्र दल है। जो अपनी पार्टी के संविधान के अनुसार अक्षरश:लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपने कार्य का विस्तार कर रहा है और जन-सामान्य की आशा, आकांक्षाओं पर खरा उतरने के लिए अपने आप को निरंतर योग्य बनाते रहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं जब राजनीति में नहीं था, तो जनसंघ के जमाने में बढ़े उत्साह के साथ कार्यकर्ता दीवारों पर दीपक पेंट करते थे तो कई राजनीतिक दल के नेता अपने भाषणों में मजाक उड़ाते थे कि दीवारों पर दीपक पेंट करने से सत्ता के गलियारों तक नहीं पहुंचा जा सकता है! हम वो लोग हैं, जिन्होंने श्रद्धा से दीवारों पर कमल पेंट किया, क्योंकि विश्वास था कि दीवारों पर पेंट किया कमल कभी न कभी तो दिलों पर भी पेंट हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता उसी जीवन को जीते हैं और अपने आदर्शों के लिए जूझते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं के लिए कहा जाता था कि उसका एक पैर रेल में होता है और दूसरा जेल में होता है। रेल में इसलिए… कि भाजपा का कार्यकर्ता निरंतर भ्रमण करता था, प्रवास करता था और समाज की समस्याओं के समाधान के लिए सत्ता पर बैठे हुए लोगों के सामने संघर्ष करता था… इसलिए कभी जेल तो कभी बाहर… ये उसकी स्थिति होती थी। उन्होंने कहा कि ये सदस्यता अभियान सिर्फ एक रस्म नहीं है। यह हमारे परिवार का विस्तार है। यह संख्याओं का खेल नहीं है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितने नंबर हासिल करते हैं। यह सदस्यता अभियान एक वैचारिक एवं भावनात्मक आंदोलन है।