होणहार हिरदे वसै, विसर जाय सब सुध्ध।

दसवां वेद, daswa ved
दसवां वेद, daswa ved

8801 तैसी उपजै बुध्ध
होणहार हिरदे वसै, विसर जाय सब सुध्ध।
जैसी हो होतव्यता, तैसी उपजै बुध्ध।।

जब होनी होने को होती है तो वह मनुष्य के हृदय में जा पैठती है। तब मनुष्य अपनी सारी सुध भूल जाता है और फिर उसमें वैसी ही बुद्धि उत्पन्न होती है, जैसी होनी होने को होती है। अेक जोगी प्रतिदिन गांव में भिक्षा लाने के लिए जाया करता था।

यही उसकी आजीविका का थी। एक बार ऐसा संयोग हुआ कि किसी गृहस्थ की कोई वस्तु खो गई। उस गृहस्थ ने जोगी को असाधारण शक्ति से संपन्न समझ कर अपनी खोयी हुई वस्तु को प्राप्त करने का उपाय पूछा। जोगी ने इस बात को अपना बड़प्पन समझा और अगले दिन सारा भेद बतलाने को कहकर वह अपने घर लौट आया।

घर पर आकर जोगी ने उस खोयी हुई वस्तु के बारे में बहुत सोचा, लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आया। अंत में इसी विषय पर विचार करता हुआ वह रात को सो गया। सपने में जोगी को उस वस्तु के बारे में कुछ आभास मिला। अगले दिन उसने गृहस्थ को उसके बारे में बता दिया और उसकी बताई बात सच निकली।

गृहस्थ को अपनी खोयी हुई वस्तु वापस मिल गई। अब तो दूसरे लोग भी उससे पूछने लग गए। संयोग से उसके द्वारा बतलायी गई अन्य भी कई बातें सच निकली। इससे जोगी का यह गुण प्रसिद्ध हो गया कि वह छिपे हुए रहस्य बतला सकता है।

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एक हार चोरी में चला गया

फिर तो उसे काफी भेंट मिलने लगी और वह मौज से रहने लगा। कुछ समय बाद राजा के महल से एक हार चोरी में चला गया। खोयी हुई चीज को बतलाने में जोगी तो प्रसिद्ध था ही, अत: राजा ने उसे अपने पास बुलवाया और हार चुराने वाले व्यक्ति का नाम प्रकट करने की आज्ञा दी।

इनकार करना भी खतरे से खाली नहीं

अब जोगी बहुत घबराया। बताना राजा को था और टिप्पा चल नहीं सकता थ। लेकिन राजा के सामने किसी बात के लिए इनकार करना भी खतरे से खाली न था। अत: अगले दिन बताने का कहकर जोगी अपने घर आ गया। घर में आकर जोगी ने काफी सोचा विचारा, लेकिन इसका कुछ भी फल नहीं निकला। नतीजतन जोगी की घबराहट बढ गई और रात को उसे नींद नहीं आई।

सपने में हार का आभास

उसने सोचा कि कोई सपना आ जाए और सपने में हार का आभास मिल जाए। लेकिन नींद नही आने के कारण चिंता के मारे वह रातभर यही पुकारता रहा कि असपना, आए तो आ जा, नहीं तो राजा सुबह मार गिराएगा। स्थिति यह बनी के जिस राजसेवक ने महल से हार चुराया था, उसका नाम भी सपना ही था। वह सेवक छिपेतौर पर जोगी के घर आया तो उसे अपना नाम ही सुनने को मिला।

जोगी के सामने पहुंचकर सारा भेद खोल दिया

वह बहुत डर गया और उसने जोगी के सामने पहुंचकर सारा भेद खोल दिया। कहा कि मुझे बचा लीजिए। तब जोगी ने उसे चुराया हुआ हार स्थान विशेष रखने को कह दिया और अगले दिन उसने राजा को वह स्थान बतला दिया। राजा को हार मिल गया तो अत्यधिक प्रसन्न हुआ और उसने जोगी का राज सम्मान किया।