राजस्थान सरकार जल्द ही ई-वेस्ट पॉलिसी की घोषणा करेगी

माइनिंग क्षेत्र को 33 प्रतिशत ग्रीन कवर सुनिश्चित करना चाहिए- सुधांश पंत

जयपुर। राजस्थान में खनन क्षेत्र को 33 प्रतिशत ग्रीन कवर सुनिश्चित करना चाहिए। राज्य में बड़ी संख्या में छोटी और बड़ी माइंस हैं, यदि वे 33 प्रतिशत ग्रीन कवर सुनिश्चित करते हैं, तो इससे दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्थिरता भी सुनिश्चित होगी। यह बात आज राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान सरकार के चेयरमैन सुधांश पंत ने कही। वह जयपुर में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) द्वारा आयोजित ‘द 7आर्स कॉन्फ्रेंस: रोडमैप फॉर ए ग्रीनर टुमॉरो’ के 5वें संस्करण में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। पंत ने कहा कि जहां अधिकांश औद्योगिक परियोजनाएं निर्धारित ग्रीन कवर का ध्यान रख रही हैं, वहीं माइनिंग क्षेत्र को भी उनसे सीख लेनी चाहिए और राज्य में हरित पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए अपना योगदान देना चाहिए। श्री पंत ने कहा कि सीआईआई ने अधिक सस्टेनेबल और हरित पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने की दिशा में एक सराहनीय पहल की है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी के छोटे-छोटे कदम पर्यावरण को और अधिक धारणीय बनाने में काफी मददगार साबित होंगे। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यह कम पानी और बिजली का उपयोग करने और यहां तक कि एसी के उपयोग को कम करने के माध्यम से हो सकता है। बागवानी के लिए रीसाइकिल्ड पानी का उपयोग किया जा सकता है। जैसी जीवन शैली हम अपनाएंगें, उसी से हमारा कल हराभरा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि राजस्थान सरकार ई-वेस्ट पॉलिसी लेकर आ रही है। जिसका ड्राफ्ट तैयार है और इसे हितधारकों के साथ उनकी टिप्पणियों और सुझावों के लिए साझा किया गया है।

चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर और डब्ल्यूटीडी, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, अरुण मिश्रा ने अपने विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान में सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं। ऊर्जा के इस स्रोत की क्षमता का बेहतर और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। अधिकांश निवेशक व्यवसाय, वित्तीय और उद्योग के उत्पादन पहलुओं पर गौर करते हैं। हालांकि, अब पर्यावरण और सस्टेनेबिलिटी फैक्टर का भी मूल्यांकन किया जाता है। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि कोविड सभी पर्यावरण जागरूक परियोजनाओं के लिए एक वेक-अप कॉल था और उन्होंने इसी अनुसार कदम उठाए।

सेंट-गोबेन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के ग्लास सॉल्यूशंस एंड स्ट्रेटेजिक प्रोजेक्ट्स के प्रबंध निदेशक, श्री आइजनहावर स्वामीनाथन ने कहा कि आज के समय में बिल्डिंग्स पर्यावरण की समस्या का एक हिस्सा हैं। कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन बहुत अधिक है। इसे देखते हुए, ऊर्जा की बचत के लिए बेहतर डेलाइटिंग एक प्रमुख समाधान है। परियोजनाओं में हाई ड्यूअल एनर्जी एफिशिएंट ग्लास का उपयोग करना चाहिए, जो कि ऊर्जा बचाने के लिए उनकी परियोजना में आग प्रतिरोधी भी हो सकता है।

डिप्टी हेड ऑफ प्लांट ऑपरेशंस, हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड, श्री मुकेश गोयल ने कहा कि पृथ्वी केवल एक ही है। यह बात किसी को भूलनी नहीं चाहिए। पेरिस जलवायु समझौते में, दुनिया भर के 700 शहरों के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों को भी ने उत्सर्जन में कटौती के लिए प्रतिबद्ध हैं। कई कंपनियों ने पहले ही अपने नेट जीरो लक्ष्यों की घोषणा कर दी है। आज के समय में सस्टेनेबल विकास सुनिश्चित करने में डिजिटाइजेशन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, के.एस. वेंकटगिरी ने कहा कि तीन ट्रेंड्स बहुत ध्यान देने योग्य हैं। सबसे पहले, सरकार ग्रीनर इंडिया की तरफ पहल कर रही है। जिसमें वे फेसिलिटेटर की भूमिका निभा रहे हैं। दूसरा उद्योगों और निगमों ने सस्टेनेबिलिटी गोल्स के लिए पहल की है। जहां बड़े उद्योग पहले ही ऐसे उपायों की घोषणा कर चुके हैं, वहीं छोटे उद्योग भी अब उचित कदम उठा रहे हैं। तीसरा, जो नई तकनीक उभर रही है, वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हरित पर्यावरण को बढ़ावा देने में मदद करेगी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सकारात्मक मानसिकता अपनानी होगी।

इससे पहले सीआईआई के चेयरमैन, श्री गौरव रूंगटा ने मेहमानों का स्वागत किया और कहा कि ‘द 7आर्स कॉन्फ्रेंस: रोडमैप फॉर ए ग्रीनर टुमॉरो’ के 5वें संस्करण का आयोजन एक सस्टेनेबल हरित पर्यावरण के बारे में चर्चा और जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से किया गया है। सीआईआई के वाईस चेयरमैन, श्री अभिनव बांठिया द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

उद्घाटन सत्र के बाद दो सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें उद्योग जगत के लीडर्स ने चर्चा की, जिनका विषय था- रेगुलेटरी लैंडस्कैप ऑन इन्वायरनमेंटल मैनेजमेंट एंड फ्यूचर रेडी ग्रीन ईकोसिस्टम; और इंडस्ट्रीज इन हारमोनी विथ नेचर

पैनल में कई कंपनियों के वरिष्ठ प्रतिनिधि शामिल थे जैसे डॉ अशोक कुमार, वाइस चेयरमैन, ग्रीनस्केप इको मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड; डॉ. अनिल त्रिवेदी, सहायक वीपी और कॉर्पोरेट हेड – इन्वायरनमेंट, श्री सीमेंट लिमिटेड; श्री राधाश्याम केडिया, उपाध्यक्ष, जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड; श्री अनिल कुमार जैन, हेड – इन्वायरनमेंट और सस्टेनेबिलिटी, जेके सीमेंट लिमिटेड, डॉ देश दीपक चतुर्वेदी, हेड ईएचएस, डीसीएम श्रीराम लिमिटेड। इसके अतिरिक्त पैनल में श्री पी.के. त्रिपाठी, क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय भूजल बोर्ड, पश्चिमी क्षेत्र और श्री एन. मुथुसेजियान, प्रिंसिपल काउंसलर, सीआईआई-ग्रीन बिल्डिंग सेंटर शामिल थे।

सत्रों की अध्यक्षता आनंद मिश्रा, चेयरमैन, आईजीबीसी जयपुर और सी चंद्रू, चेयरमैन सीआईआई ग्रीनको, राजस्थान फोरम और डिप्टी सीओओ, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड स्मेल्टर ने की।

इस अवसर पर सीआईआई राजस्थान के डायरेक्टर एवं हेड, नितिन गुप्ता ने कहा कि प्लास्टिक के प्रबंधन के लिए, सीआईआई एक्सटेंडेड प्रड्यूसर रिस्पॉन्सीबिलीटी (ईपीआर)रूल्स ऑफ प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट और एन्ड ऑफ प्लास्टिक मैनेजमेंट प्रोजेक्ट्स जैसे बेहतर नीतिगत ढांचे पर काम कर रहा है