राजस्थान सतर्क है!

हम तो उसे महज जुमला समझ रहे थे। सोचा कि जहां इतने जुमले हैं, वहां एक और सही। जहां इतनो को पचाया, , वहां एक और पचा लेंगे- चाहे उसके लिए हाजमोला-हरफनमोला या गोली-हिंगोली कुछ भी लेनी पड़ जाए, मगर माथे पड़ी तो पता चला कि वो जुमला नहीं वरन डेढ सौ फीसदी सच्चाई है। इन्होंने भुगता-उन्होंने भुगता। आप ने भुगता-हमने भुगता। हम सब ने भुगता तो लगा कि वो वाकई में सतर्क है। सतर्क तो कम है मगर अपने मतलब और लोगों को तळने में ज्यादा सतर्क है। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।


सतर्क के पर्यायवाची शब्दों का बखान करें तो भतेरे मिल जाएंगे। हिन्दी व्याकरण में इन सब का उल्लेख है। अब की तो पता नहीं, हमारे बखत में हिन्दी के दो परचे हुआ करते थे। हिंदी प्रथम और हिन्दी द्वितीय। फस्र्ट पेपर और सैंकड पेपर। प्रथम परचे में किताब से संबंधित सवालों के जवाब देने पड़ते और हिन्दी द्वितीय में लेख-प्रार्थना पत्र-विलोम शब्द-खाली स्थान भरो और पर्यायवाची शब्द आदि-वगैरहा। लेख में गाय टॉप पर रहा करती। मेरा गांव-मेरा घर सरीखे विषय पर भी लेख लिखने को कहा जाता। हम ने गाय पर इतनी बार लेख लिखे कि आज तक याद हैं। नींद में से आधी रात को जगाकर लिखने को कहें तो लिख मारेंगे। मजाल पड़ी जो कोई कोर-कसर रह जाए। ग्रामेटिकल मिस्टैक रह जाए तो कह नही सकते वरना दो सींगों से लेकर दूध और दूध से बनने वाले आइटम्स की पूरी विगत ना लिख दें तो आप भी यही है और हम भी।


प्रार्थना पत्र में मान लो का जिक्र जरूरी। सवाल आता-मान लो, आप को अपने रिश्तेदार की शादी में सम्मिलित होने के लिए शहर से बाहर जाना है आप को स्कूल से एक हफ्ते की छुट्टी लेनी है, इसके लिए प्रधानाध्यापक जी को प्रार्थना पत्र लिखिए। कई दफे-या का उपयोग। छुट्टी प्रार्थना पत्र या पिताजी से रूपए मंगवाने के लिए चिट्ठी। इसमें भी मान लो का तड़का। मान लो आप किसी दूसरे शहर में रह कर पढते हों, पढाई संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए पैसों की जरूरत है। इसके लिए अपने पिताजी को पत्र लिखिए। विलोम शब्द में उलटा-पुलटा। हां का विलोम शब्द ना। अंदर का विलोम शब्द बाहर और ऊपर का विलोमशब्द नीचे। खाली स्थान भरो में किसी वाक्य की पूर्ति करने के लिए पहले-बीच में या एंड में खाली स्थान छोड़ दिया जाता। पर्यायवाची शब्द में एक शब्द का दूसरा शाब्दिक अर्थ लिखने को कहा जाता। हवा के पर्यायवाची-वायु, पवन। कमल के पर्यायवाची-नीरज-पंकज। होते तो और भी हैं छूट गए हों तो आप उन्हें उकेर सकते हैं। इसी प्रकार सतर्क के अपने पर्यायवाची शब्द। मसलन-सजग, सावधान और सचेत आदि-इत्यादि।


हथाईबाज देख रहे हैं कि मानखे और किसी मामले में सजग हो या ना हों अपने स्वार्थ के प्रति पूरी तरह सजग नजर आते है। हथाईबाज नोट कर रहे हैं कि मानखों को ना अड़ोसी की परवाह ना पड़ोसी की। ना पिछड़ोसी अथवा सामड़ोसी की मगर अपने मतलब के प्रति पूरी तरह सतर्क। हथाईबाज जज कर रहे हैं कि लोगबाग अपने हितों के प्रति जागरूक नजर आते हैं। सामने वाली कॉलोनी के बाशिंदे नहीं, वरन उनमें हम-आप भी शामिल हो सकते हैं। ईमानदारी से बताना कि आप अपने कर्तव्यों के प्रति कितने जागरूक है।

कहने को तो सारे लोग हाथ खड़े कर देंगे। हां की मुद्रा में घांटकी हिला देंगे मगर सच्चाई यह है कि हम अपने अधिकारों के प्रति जबरदस्त हायतौबा मचाते रहे हैं-कर्तव्यों की बात आती हैं तो बगलें झांकने लगते हैं। सीधी-सपाट बात कहें तो साफ नजर आएगा कि ज्यादातर लोग कर्तव्यों की अनदेखी करते रहे हैं। अगर हमें साफ-सफाई रखने के लिए किसी की अपील का इंतजार करना पड़े या किसी के आह्वान को मानना पड़े, इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है। पर हथाईबाज जिस सतर्कता और सजगता की बात कर रहे हैं उसकी धाराएं इधर चला मैं उधर चला जैसी नजर आ रही है। जहां खुद का मतलब वहां सावधान की मुद्रा। और जहां ‘थोथ उस पर नजर डालना भी गवारा नहीं। अपना काम बनता-भाड़ में जाए जनता। हम ने कई जगहों पर ‘राजस्थान सतर्क है के उवाच लटके देखे। होर्र्डिंग्स में सतर्क। अखबारों में सतर्क। विज्ञापनों में सतर्क। भाषणों में सतर्क। बैठकों में सतर्क। राजस्थान के माने राजस्थान सरकार। जहां देखो वहां यही जुमले टंगे नजर आ जाएंगे। कोई माने या ना माने हम तो मानते हैं। हम सरकार को हंडरेड परसेंट सचेत-सजग-सावधान और सतर्क मानते हैं।

हथाईबाज देख रहे हैं कि राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या दिन-ब-दिन बढ रही है मगर सरकार खुद को बचाने में सतर्क। सरकार पानी-बिजली के भारी-भरकम बिल भेजने में सतर्क। सरकार मास्क जुरमाना वसूली में सतर्क। सरकार हेलमेट न पहनने वालों को फांसने में सतर्क। सरकार बाड़ाबंदी की पहरेदारी के प्रति सतर्क। सरकार होटलों में मस्ती मारने के प्रति सतर्क। सरकार बड़बोलेपन के प्रति सतर्क। जब सरकार इतनी सतर्क है तो मानना पड़ेगा कि सरकार सतर्क है। बाकी आप लोग ज्यादा जानते हैं।