राजस्थान देश में मूंगफली उत्पादन में दूसरे स्थान पर : डॉ. बलराज

अखिल भारतीय मुंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला
अखिल भारतीय मुंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला

तीन दिवसीय अखिल भारतीय मुंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला

जयपुर। राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में तीन दिवसीय अखिल भारतीय मूंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। उदघाटन सत्र में मुख्य अतिथि भारतीय कृषि परिषद् उपमहानिदेशक फसल विज्ञान डॉ. तिलक राज शर्मा ने वैज्ञानिकों से जलवायु परिवर्तन के कारण मूंगफली के उत्पादन में कमी पर चिन्ता जाहिर करते हुए जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान कर नवीन किस्मो एवं प्रोधोगिकियो को विकसित करने की आवश्यकता जताई।डॉ शर्मा ने मूंगफली फसल पर कार्य कर रहें वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि मुंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए अब नवीन वैज्ञानिक तकनीकी जिनमें जीनोंमिक, जीनएडिटींग, स्पीड ब्रीडिंग आदि का उपयोग कर मूंगफली किस्मो पर अनुसंधान करना है। देश में मुंगफली की देशी प्रजातियों का उपयोग कर मुंगफली की मुख्य समस्याऐं जैसे जडग़लन, कलिकापतन, तनागलन, टिक्का बीमारी आदि के निर्वारण हेतु तकनीकि विकसित किया जाना आवश्यक है।

राजस्थान देश में मूंगफली उत्पादन में दूसरे स्थान पर

अखिल भारतीय मुंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला
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इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये डॉ. बलराज सिंह, कुलपति, श्रीकर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर ने बताया कि पानी की कमी एवम मृदा में कार्बनिक खादों की कमी के बावजूद राजस्थान देश में मुंगफली उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। राजस्थान के परिपेक्ष में उच्च गुणवत्ता के बीज की कमी, यांत्रिकीकरण का अभाव, कालॅर राट, फिजोरियम ब्लाईट, सफेद लट एवं दीमक आदि इस फसल की मुख्य समस्याएं हैं। गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु राज्य में मुंगफली बीज केन्द्र (सीड्स हब) की आवश्यकता जतायी। डॉ सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् से जोबनेर विश्वविद्यालय को गुणवत्तापूर्ण मुंगफली बीज उत्पादन के लिए मुंगफली बीज केन्द्र की स्वीकृति हेतु मांग रखी। जिससे प्रदेश के किसानों को भी उत्तम गुणवत्तापूर्ण, सस्ती दर एवम समय पर बीज मिल सकें।

आधुनिक तकनीकि का समावेश करने की आवश्यकता

अखिल भारतीय मुंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला
अखिल भारतीय मुंगफली समन्वित अनुसंधान कार्यशाला

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. संजीव गुप्ता, अतिरिक्त उपमहानिदेशक, तिलहन एवं दलहन ने कहा मुंगफली उत्पादन की तात्कालीन प्रमुख समस्याओं जैसे खरपतवार नियंत्रण, विशिष्ट कीट एवं व्याधियों के साथ-साथ खरीफ में वर्षा की अधिकता को देखते हुए फैलावदार किस्मों का चयन करते हुए आधुनिक तकनीकि का समावेश करने की आवश्यकता बतायी।

कार्यक्रम में मुंगफली अनुसंधान निदेशालय, के निदेशक डॉ. एस. के. बेरा, ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. एम एल जाखड़, अनुसंधान निदेशक, एसकेएनएयू. जोबनेर ने विश्वविद्यालय अधीन मुंगफली पर चल रही अनुसंधान गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में मुंगफली में मुंगफली परियोजना में कार्यरत पूर्व वैज्ञानिक डॉ. आर वी सिंह एवं डॉ. योगेन्द्र सिंह सिसिंवार को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया है।

मूंगफली उत्पादन बढ़ाने के सुझाव दिए

कार्यक्रम में उपस्थित मुंगफली के विशिष्ट प्रजनक डॉ. एस. एस. निगम, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक आईसीआरआईएसए, हैदराबाद ने भी मूंगफली उत्पादन बढ़ाने हेतु सुझाव दिये। उदघाटन सत्र के अंत में राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा के निदेशक डॉ. अर्जुन सिंह बलौदा ने सभी अतिथियों, वैज्ञानिकों एवं प्रेस मिडिया बन्धुओ की कार्यशाला में भागीदारी हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।कार्यशाला में रारी स्तिथ मूंगफली परियोजना समन्वयक डॉ अशोक मीणा की अग्रणी भूमिका में मूंगफली फसल पर तैयार पांच प्रकाशन का भी विमोचन किया गया।

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