कोरोना से राजस्थान का पर्यटन उद्योग प्रभावित, 55 फीसदी कम आए सैलानी

जयपुर/पिंकी कड़वे/कोपल हालन

अब राज्य के बजट से उम्मीदें

दुनिया भर में कोरोना ने व्यवसाय को पटरी पर से उतार दिया है जिससे न सिर्फ कारोबार बल्कि कर्मचारियों के जीवन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। कोरोना काल के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान जिन क्षेत्रों को हुआ उसमें से एक है पर्यटन। कोरोना के चलते दुनिया के तमाम देशों ने हवाई यात्रा पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी। इस वजह से विदेशी सैलानियों का आना पूरी तरह थम गया। सैलानियों के नहीं आने से पर्यटन क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। विशेषतौर पर राजस्थान के पर्यटन क्षेत्र से जुड़े रोजगार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। ‘पधारो म्हारे देस’ की थीम पर काम कर रहा राजस्थान, पर्यटन विभाग आय का बहुत बड़ा स्त्रोत है। भारत आने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में राजस्थान भी आते हैं क्योंकि राजस्थान हैरिटेज और सांस्कृतिक विरासत के साथ अपनी राजशाही किले, महल और गढ़ों के लिए वैश्विक पर्यटन के मानचित्र पर काफी प्रसिद्ध है। लेकिन, केंद्रीय आम बजट में राजस्थान पर्यटन की अनदेखी करने से पर्यटन विभाग में काफी निराशा है। राजस्थान में आए आम बजट से उम्मीद थी कि पर्यटन को वापस पटरी पर लाने के लिए कुछ घोषणाएं की जाएंगी। लेकिन आम बजट में राजस्थान पर्यटन के हिस्से में कुछ नहीं आने से पर्यटन के बढ़ावा देने वाली नीति को धक्का लगा है।

आम बजट 2021 से पर्यटन क्षेत्र में मायूसी

पर्यटन प्रभावित होने वाला पहला और ठीक होने वाला आखिरी होगा जिसके पश्चात् भी सरकार इस बार के बजट में ज्यादा कुछ नहीं होने से इस राजस्थान राज्य के पेटे में कुछ नहीं आया। केंद्रीय आम बजट में पिछले साल के मुकाबले पर्यटन को लेकर काफी कम घोषणा की गई है। जहां पिछले केंद्रीय बजट 2020-21 में पर्यटन को 2500 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था वहीं इस साल बजट में काफी कटौती की गई है। इस वर्ष केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 2026.77 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है जो कोरोना काल की मंदी से निपटने में नाकाफी है।

ट्रेवल-एजेंट की हालत बद से बदतर: संजीव गोधा

संजीव गोधा

नैनिका टूर्स एंड ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध संचालक संजीव गोधा ने हमें बताया कि टूरिजम का कारोबार खत्म हो चुका है और अभी इसका सामान्य होना तब-तक मुश्किल है जब तक विदेशी उड़ानो को फिर से चालू नहीं किया जाता। वही बजट पर पूछे जाने पर उन्होनें निराशा जताते हुए सरकार से अनुरोध किया कि इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को कर में रियायत और सब्सिडी दे जिससे कारोबार को फिर से स्थिर होने में सहायता मिले। उन्होंने आगे बताया कि सरकार को सबसे ज़्यादा मुनाफ़ा पर्यटन विभाग से होता है ऐसे में इसको इसे बढ़ावा देने के लिए अहम कदम उठाने चाहिए जिससे पुन: पर्यटन क्षेत्र को पटरी पर लाया जा सकने में मदद मिले। उन्होनें यह भी बताया कि जयपुर में अनुमानित 7000 टैक्सियां किस्त न भर पाने के कारण बिकाऊ पड़ी है और साथ ही ट्रेवल-एजेंट को अपनी जेब से कर्मचारियों को तनख्वाह देनी पड़ रही है। अब ट्रेवल एजेंट से लेकर ड्राइवरों तक अपनी अजीविका को लेकर जद्दोजहद कर रहे हैं, बिना पर्यटकों के उनको अपना घर खर्च चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

बैंको का आपत्तिजनक व्यवहार: महिपाल सिंह

महिपाल सिंह

ऑल राजस्थान टूरिस्ट ड्राइवर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष महिपाल सिंह शेखावत ने बैकों के दुर्व्यवहार रवैये पर सवाल उठाते हुए बताया कि कोरोना काल के पहले दो से तीन किस्ते तक बाकाया होने पर भी गाड़ी नहीं उठते थे परन्तु अब एक-एक किस्त के लिए भी घर आ जाते है और अपमानित करते है साथ ही गलत शब्दो का प्रयोग भी करते है जिससे हमें काफ़ी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। उन्होंने आगे बताया कि जो टैक्सियां किराये की है उन पर सरकार ने छ: महीने का मोनोटोरियम दिया था जो परिस्थितियां सामान्य होने से पहले ही खत्म हो गया, पूरा वक्त काम से जूझते हुए गुजर गया। उन्होंने इस बात पर भी दुख जताया कि आम बजट में टूरिस्ट ड्राइवरों और एजेंटों को एक रूपये की भी सहायता नहीं मिलने से हमारी दिक्कतें और बढ़ गई हैं। हम सरकार से गुजारिश करते हैं कि इस ओर ध्यान दिया जाए ताकी हम फिऱ से खड़े हो पाने में सक्षम हों, क्योंकि, पर्यटन क्षेत्र से लाखों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है।

उद्योग के दर्जे पर अमल हो: कुलदीप सिंह

कुल्दीप सिंह

राजस्थान होटल और रेस्टोरेंट एसोसिएशन (एचआरएआर) और राजस्थान एसोसिएशन टूर ऑपरेटर (आरएटीओ) के अध्यक्ष कुल्दीप सिंह चन्देला ने बताया कि बजट ने तो निराश किया ही है साथ ही रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया ने परिस्थितियां सामान्य होने तक यात्रा और पर्यटन उद्योग को ब्लैकलिस्ट कर दिया है जिससे लोन मिलने की उम्मीद भी धरी-की-धरी रह गई है। हालांकि राजस्थान सरकार के द्वारा लाई गई एक्साइज पॉलिसी को स्वागत योग्य है जिससे 10-20 साल से चल रहे होटलों को रियायतें मिली है साथ ही बार लाइसेंस को भी सरल कर दिया गया है लेकिन अगर आरटीडीसी की तरह हमारे लिए भी फीस को पूरा माफ़ कर दिया जाता तो हमें भी आसानी रहती। अब हमें राज्य के आने वाले बजट से उम्मीद है कि 1989 में पर्यटन को जो औधोगिक दर्जा मिला था उसको लागू कर दिया जाए ताकि इस इंडस्ट्री के लिए का काम करेगा।

2022 तक रहेगा प्रभावित रहने का अंदेशा: अमित बम्ब

अमित बम

राजस्थान एसोसिएशन टूर ऑपरेटर (आरएटीओ) के कोषाध्यक्ष अमित बम्ब का कहना है कि अगर टीकाकरण सफलतापूर्वक लग भी जाता है तो 2022 तक परिस्थितियां सामान्य होगी क्योंकि इस माहामारी से हर कोई प्रभावित हुआ है, ऐसे में बाहार सें टूरिस्ट का आना अभी संभंव नहीं है। सरकार को इस तरफ़ नरम रूख अपनाना चाहिए और टैक्स में रियायत देनी चाहिए जिससे थोड़ी राहत की सास हम भी ले पाए। उन्होनें आगे बताया कि इस क्षेत्र में शुन्य रूपय का कारोबार हुआ है और इसका पर्यटन व्यवसाय कोरोना के कारण पूरी तरह से खत्म हो चुका है।

2020 में 55 प्रतिशन कम हुए पर्यटक

आरटीडीसी से प्राप्त डाटा के अनुसार 2019 में विदेशी पर्यटक जहां करीब 16 लाख आए तो दूसरी ओर 2020 में मात्र 4.5 लाख लोग जयपुर की चकाचौंध से रूबरू हो पाए। वहीं अगर बात करे देशी सैलानियों कि तो पिछले वर्ष करीब पाचं करोड़ तक का हूजुम देखनें को मिला था जो कि सिमट कर 1.5 करोड़ तक आ गिरा जिससे कारोबार पर विपरीत प्रभाव पड़ा है और लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।

पर्यटन से पूरा होगा 5 ट्रिलियन का सपना

भारत की अर्थव्यवसथा में 9.9 प्रतिशत की हिस्सेदारी निभाने वाले पर्यटन क्षेत्र को क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च की रिर्पोट के मुताबिक कोरोना से अनुमानित 125 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है जिससे लगभग भारत की 9 प्रतिशत आबादी की रोजी-रोटी चलती है। पर्यटन प्रभावित होने वाला पहला और उबरने वाला आखिरी देश होगा, इसकी वजह यह है कि यहां विदेश से आने वाली फ्लाइटस पर पूरी तरह पाबंदी है। जब तक विदेशी उड़ानें प्रतिबंधित रहेंगी तब तक विदेशी सैलानी नहीं आएंगे। हालांकि अगर सरकार इसमें अपनी तरफ से थोड़ी वित्तीय सहायता के साथ- साथ चरणबद्ध तरीके से इसे खोलने का प्रयास करे तो यह भारत के 5 ट्रिलियन के सपने को हकीकत में बदलने में अहम भूमिका निभा सकता है।