
शादी के मुख्य पात्र दूल्हा,दुल्हन के लिए सबसे जरूरी उनका ड्रेसअप होता है। ड्रेस को लेकर दोनों बहुत ध्यान रखते हैं और बहुत पहले से ही तैयारी करना शुरु कर देते हैं।
दुल्हन की शादी के ड्रेस को लेकर बहुत ध्यान रखा जाता है। क्योंकि शादी बारात वाले दिन दुल्हन का पहनावा लहंगा मुख्य रूप से चर्चा का विषय रहता है। इसको लेकर दुल्हन पक्ष के लोग बहुत ध्यान रखते हैं। शादी का ज्यादातर पहनावा ट्रेडिशनल होता है, अगर लहंगा खरीदने की बात करें तो राजस्थानी लहंगा अपने शाही अंदाज के कारण पूरे भारत में अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
राजस्थानी लहंगे की खासियत
राजस्थानी लहंगा अपने डिजायन, कढ़ाई और सितारों की कारीगरी के कारण पूरे देश में मशहूर हैं, इन लहंगों को खरीदने पूरे देश से लोग जयुपर आते हैं, जयपुर में इसका बहुत बड़ा बाजार हैं।
कीमत की सीमा नहीं
राजस्थानी लहंगों को अलग.अलग नामों और डिजायन के हिसाब से नाम दिया जाता है। रॉयल यानि शाही अंदाज के राजशाही लहंगों की मांग काफी बनी रहती हैं। लहंगों की कीमत एक हजार से लेकर लाखों मे रहती है, अगर उस पर आप अपने हिसाब से डिजायन करवाना चाहते हैं तो ऐसा भी हो जाता है,फिर उसमें लगे माल की लागत के हिसाब से कीमत तय होती है। माल पार्टी की डिमांड के हिसाब से लगता है इसकी कीमत हजारों से लेकर लाखों में भी चली जाती है।
दूल्हे की शेरवानी
अगर दूल्हे के ड्रेस की बात की जाए तो उसके लिए भी सबसे अहम बारात वाले दिन का ड्रेसअपप होता है। दूल्हे के लिए भी ज्यादातर ट्रेडिशनल ड्रेस शेरवानी खरीदी जाती है। आजकल शेरवानी एक से बढ़कर एक डिजायन मे आ रही है। रोज नए नए पैटर्न के साथ शेरवानी बाजारों से खरीदी जा सकती है। शेरवानी की कीमतों की कोई सीमा नहीं है। अगर साधारण शेरवानी ली जाए तो दो हजार की कीमत में आसानी से मिल जाएगी। लेकिन, अगर डिजायनदार, एंब्रॉयडरी
शेरवानी की बात करें तो इनकी कीमतें भी हजारों से शुरु होकर लाखों में चली जाती हैं। एंब्रॉयडरी में लगे माल से इसकी लागत में तेजी आती है। एंब्रॉयडरी ओर डिजायन खुद पर निर्भर करता है। जितना ज्यादा एंब्रॉयडरी या डिजायन करवाएंगे उतना ही लागत बढ़ती जाएगी। शेरवानी में एंब्रॉयडरी, महंगा धागा, नगीनों की जड़ाई जैसी चीजों से शेरवानी की कीमतें बहुत महंगी हो जाती हैं।