
कहा: गुजरात सरकार पर भरोसा नहीं, राजकोट गेम जोन बिना परमिशन चल रहे
राजकोट। राजकोट गेम जोन हादसे की सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकार्ट ने राजकोट महानगरपालिका प्रशासन को जमकर फटकर लगाई। कोर्ट ने कहा कि बच्चों समेत 28 लोगों की मौत के बाद आपको अब पता चल रहा है कि शहर में दो गेमिंग जोन बिना परमिशन के चल रहे हैं। हाई कोर्ट ने लताड़ लगाते हुए कहा कि क्या आप अंधे हो गए हैं, या फिर सो रहे हैं?
राजकोट गेम जोन त्रासदी आंखें खोलने वाली
हाई कोर्ट ने कहा कि राजकोट में गेमिंग सेंटर अनधिकृत परिसर में बनाया गया था और फायर सेफ्टी की एनओसी भी नहीं थी और यह सब कुछ पिछले चार साल से चल रहा था। अब हमें नगर प्रशासन और गुजरात सरकार पर बिल्कुल भरोसा नहीं रहा। यह त्रासदी आंखें खोलने वाली है, सबसे दुखद बात यह है कि इसमें मासूम बच्चों की भी मौत हुई है।
लापरवाही बरतने के आरोप में 6 अधिकारी सस्पेंड
गुजरात सरकार ने सोमवार को घटना को लेकर लापरवाही बरतने के आरोप में 6 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। इनमें राजकोट महानगरपालिका कॉर्पोरेशन के असिस्टेंट प्लानर, असिस्टेंट इंजीनियर, रोड्स एंड बिल्डिंग डिपार्टमेंट के दो डिप्टी इंजीनियर और दो थानों के पुलिस इंस्पेक्टर शामिल हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय ने लिया स्वत: संज्ञान
गौरतलब है कि गुजरात उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने घटना का रविवार को स्वत: संज्ञान लिया। साथ ही हादसे को लेकर कहा कि यह प्रथम दृष्टया ‘मानव निर्मित आपदाÓ है। न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति देवन देसाई की पीठ ने कहा कि इस तरह के गेम जोन अधिकारियों से जरूरी मंजूरी लिए बिना बनाए गए हैं। पीठ ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट नगर निगमों के वकीलों को निर्देश दिया कि वे सोमवार को उसके सामने पेश हों और बताएं कि किन कानून के प्रावधानों के तहत इन इकाइयों को उनके अधिकार क्षेत्र में स्थापित किया गया है या जारी रखा गया है।
मृतकों में 12 साल से कम उम्र के 12 बच्चे शामिल
बता दें कि शनिवार शाम राजकोट के टीआरपी ‘गेम जोन’ में भीषण आग लगने से 12 साल की कम आयु के 12 बच्चों समेत कुल 27 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। शव पूरी तरह से जल चुके हैं। ऐसे में उनकी पहचान करना मुश्किल है। पुलिस के मुताबिक स्कूलों में छुट्टी होने के कारण टीआरपी गेम जोन में बड़ी संख्या में बच्चे अपने अभिभावकों के साथ मस्ती करने पहुंचे थे। इस हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया। उसे पूरे मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया।
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