राना (यूएसए) और राजकोव (ऑस्ट्रेलिया) दुनिया को बताएंगे मोटे अनाज की उपयोगिता

मिलेट्स अवेयरनेस कैम्पेन
मिलेट्स अवेयरनेस कैम्पेन

न्यूयॉर्क के बाद अब ऑस्टे्रलिया में ‘मिलेट्स अवेयरनेस कैम्पेन’ का आगाज

मेलबर्न (न्यूयॉर्क) : मिलेट्स की खपत और उसके लाभ को बढ़ावा देने के लिए अब अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी संगठन – राना (यूएसए) और राजस्थान कुटुम्ब ऑफ विक्टोरिया- राजकोव (ऑस्ट्रेलिया) एक मंच पर आ गए हैं। गुरुवार को न्यूयॉर्क में दोनों संगठनों ने मिलेट्स के उपयोग के लिए जागरूकता अभियान (मिलेट्स अवेयरनेस कैम्पेन) की शुरुआत की। आपको बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिलेट्स को बढ़ावा देेने की पहल की है, जिसका समर्थन अमेरिका सहित कई देशों ने किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोषित किया है। राना और राजकोव ने अब ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न में भी इसकी शुरुआत कर दी है।

‘मिलेट्स अवेयरनेस कैम्पेन’ का पोस्टर
इस पोस्टर का विमोचन भारत के विदेश राज्यमंत्री, वी. मुरलीधरन, राना (न्यूयॉर्क, यूएसए) के अध्यक्ष प्रेमभंडारी और राजकोव (मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया) के अध्यक्ष रवि शर्मा और फिलोडेल्फिया में राजस्थानी संस्था के अध्यक्ष डॉ. रवि मोरारका ने किया।

यहां आयोजित कार्यक्रम में राना यूएसएस और राजकोव ऑस्टे्रलिया के पदाधिकारी, प्रवासी राजस्थानी और स्थानीय लोगों ने भी हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता के रूप में भारत के विदेश राज्यमंत्री, वी. मुरलीधरन, राना (न्यूयॉर्क, यूएसए) के अध्यक्ष प्रेमभंडारी और राजकोव (मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया) के अध्यक्ष रवि शर्मा ने बतौर मुख्यवक्ता कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मिलेट्स के उपयोग और इससे होने वाले फायदे की विस्तार से जानकारी दी। साथ ही बताया कि वे कैसे इस अभियान की कड़ी से कड़ी जोड़ेंगे। इस दौरान अभियान से जुड़े पोस्टर का विमोचन भी किया गया।

बाजरे के पोषण लाभों की जागरूकता जरूरी : मुरलीधरन

भारत के विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन
भारत के विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन

भारत के विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने कहा, मिलेट्स के पोषण लाभों की जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। लोग इसके बारे में जानेंगे तभी इसकी उपयोगिता बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि इसकी खेती और खपत को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय सरकारों को आगे आना होगा। मिलेट्स पैदा करने वाले स्थानीय किसानों के समर्थन में सरकारें आगे आएं। उन्होंने राना और राजकोव की इस पहल की प्रशंसा की।

मोदी का सपना होगा साकार : प्रेम भंडारी

राणा (न्यूयॉर्क, यूएसए) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी
राणा (न्यूयॉर्क, यूएसए) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी

राना (न्यूयॉर्क, यूएसए) के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने कहा, खाद्य सुरक्षा, पोषण और कृषि के क्षेत्र में काम करने वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों को जागरूकता अभियान में शामिल किया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि मिलेट्स की उपयोगिता कितनी सार्थक है। वह कितना गुणी और कितना शारीरिक लाभ देने वाला है। उन्होंने कहा कि राना और राजकोव का यह गठबंधन कार्यशालाओं, सम्मेलनों और सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से मिलेट्स की जागृति बढ़ाएगा। हमारा उद्देश्य कृषि पद्धति में मिलेट्स को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित करना है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को मिलेट्स वर्ष के रूप में मान्यता दी है, जिसे हम आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्हें पूरी उम्मीद है कि वे पीएम मोदी के इस सपने को साकार करने में अपनी पूरी भागीदारी निभाएंगे।

राना और राजकोव मिलकर बताएंगे मिलेट्स के फायदे : रवि शर्मा

राजकोव (मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया) के अध्यक्ष रवि शर्मा
राजकोव (मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया) के अध्यक्ष रवि शर्मा

राजकोव (मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया) के अध्यक्ष रवि शर्मा ने कहा कि मोदी के इस महाअभियान को जन-जन तक पहुंचाने का काम राना और राजकोव मिलकर करेंगे। उन्होंने बताया कि इसके लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। मीडिया से लेकर तमाम उन संसाधनों का उपयोग करेंगे, जिससे मिलेट्स की उपयोगिता को बढ़ावा मिले। मिलेट्स के शत-प्रतिशत उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर की सरकार, अनुसंधान संस्थान, गैर-लाभकारी संगठन और उपभोक्ताओं को इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

इनकी रही उपस्थिति

मॉडरेटर शमा अग्रवाल, फिलोडेल्फिया में राजस्थानी संस्था के अध्यक्ष डॉ. रवि मोरारका, कनाड़ा से प्रो. प्रताप राजपुरोहित, फ्लोरिडा से विशाल मेहता की मौजूदगी रही।

जोधपुर में मिलेट फेस्टिवल के साथ हुआ था आगाज

इसी साल फरवरी में जोधुपर में मिलेट फेस्टिवल की शुरुआत की गई थी। वडेर चेरिटेबल ट्रस्ट कार्यालय में पूर्व विदेश सचिव और जी-20 भारत के चीफ को-ऑर्डिनेटर हर्षवर्धन श्रृंगला और राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका के अध्यक्ष प्रेम भंडारी ने इसका उद्घाटन किया था। ट्रस्ट प्रतिदिन सुबह और शाम को 310 बुजुर्गों और जरूरतमंदों को टिफिन पहुंचाता है। मिलेट फेस्टिवल की शुरुआत के साथ ही इन इनकी भोजन डाइट में 1 मिलेट प्रोडक्ट भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

न्यूयॉर्क के ‘सार’ रेस्टोरेंट के मैन्यू में मिलेट्स शामिल

प्रेम भंडारी की पहल पर न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर स्थित ‘सार’ रेस्टोरेंट में भी मिलेट की शुरुआत की गई है। यहां के मैन्यू में मिलेट से तैयार होने वाले पकवान और व्यंजनों को शामिल किया गया है। सार के मालिक प्रवासी राजस्थानी हेमंत माथुर और अवतार सिंह मोदी के इस अभियान को चलाने में सार्थक भूमिका निभा रहे हैं।

क्या होता है मिलेट्स

मिलेट्स
मिलेट्स

मिलेट्स यानी मोटा अनाज। मोटा अनाज जो दुनिया का सबसे पुराना अनाज माना जाता है और जो एक समय भारत के लोगों का मुख्य आहार होता था, अब मोटा अनाज भारत और दुनिया में भोजन की थालियों से एक तरह से लुप्त हो चुका है लेकिन भारत सरकार ने इसे लेकर एक अच्छी पहल की है जिसे दुनिया ने सराहा है। इसके लिए भारत सरकार ने 2018 में अनुरोध किया था प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य आईवाईएम 2023 को एक ‘जन आंदोलन’ बनाना, और भारत को ‘बाजरा के वैश्विक हब’ के रूप में स्थापित करना है।

सात हजार साल पुरानी है बाजरे का इतिहास

बाजरे का इतिहास
बाजरे का इतिहास

मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, कद्दु, कुटकी अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण फसलें हैं, जिसकी पैदावार एशिया और अफ्रीका के विकासशील देशों में, खास तौर पर भारत, माली, नाइजीरिया और नाइजर में होती है। विश्व के कुल मोटे अनाज का उत्पादन का 97 प्रतिशत विकासशील देशों में होता है। यह अनाज लगभग 7,000 वर्षों से मनुष्यों द्वारा खाया जा सकता है और संभावित रूप से बहु-फसल कृषि और व्यवस्थित कृषि समाजों के उदय में एक महत्वपूर्ण भूमिका थी।

बाजरा भारत में उगाई जाने वाली पहली फसलों में से एक थी, जिसके प्रमाण सिंधु घाटी सभ्यता में भी मिलते हैं। वर्तमान में 130 से अधिक देशों में उगाए जाने वाले बाजरा को पूरे एशिया और अफ्रीका में आधे अरब से अधिक लोगों के लिए पारंपरिक भोजन माना जाता है। भारत में, बाजरा मुख्य रूप से एक खरीफ फसल है, जिसमें अन्य समान किस्म के खाद्यान्नों की तुलना में कम पानी और कृषि संबंधी इनपुट की ज़रूरत पड़ती है। बाजरा आजीविका पैदा करने, किसानों की आय बढ़ाने और पूरी दुनिया में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी विशाल क्षमता के कारण एक अहम फसल है।

भारत सरकार ने अग्रणी भूमिका निभाते हुए इसकी कार्ययोजना तैयार की है। अप्रैल 2018 में, बाजरा को “न्यूट्री अनाज” के नाम से एक ब्रांड के तौर पर किया गया। इसके साथ ही, सरकार ने अधिक उत्पादन और मांग पैदा करने के उद्देश्य से 2018 बाजरा के लिए राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया।

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