वैश्विक साहित्य पढ़ने से दृष्टि व्यापक और मानवता विकसित होती है : डॉ. अलका अग्रवाल

डॉ. अलका अग्रवाल
डॉ. अलका अग्रवाल

डॉ. कृष्णा की चार पुस्तकों पर चर्चा का आयोजन

जयपुर। राही सहयोग संस्थान के तत्वावधान में बुधवार को सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कृष्णा रावत रचित एवं संपादित चार पुस्तकों पर चर्चा का आयोजन किया गया। संस्थान निदेशक प्रबोध कुमार गोविल के स्वागत उद्बोधन व विषय परिचय उपरांत डॉ कृष्णा रावत ने अपनी लेखन प्रेरणा और प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। स्वयंसिद्धा सुशीला शील ने डॉ कृष्णा रावत के जीवन वृत्त से अवगत कराया। इन्द्र कुमार भंसाली ने कहा कि इकराम राजस्थानी का लेखन गंगा-जमुनी तहज़ीब के संवाहक के रूप में है। वे सर्वधर्म समभाव के साथ आमजन का लेखन करते हैं । उनके लोकप्रिय राजस्थानी गीत ‘इंजन की सीटी पर’ सुना कर भाव विभोर किया।

कृष्ण शर्मा ने इकराम जी के क़ुरान और गीतांजलि के राजस्थानी अनुवाद का ज़िक्र किया। व्यंग्यकार फारूक अफ़रीदी ने बताया कि इकराम राजस्थानी ने उर्दू शायरी के साथ शेख सादी के काम का भी राजस्थानी में अनुवाद किया।उनमें विलक्षण प्रतिभा है और उनकी कई रचनाएँ जन गीत का स्थान ले चुकी हैं। डॉ. नंद भारद्वाज ने उनके साथ बिताए समय को स्मरण करते हुए उनकी हाज़िर जवाबी, कुशल मंच संचालन और कार्य तत्परता को उनके व्यक्तित्व की विशेषता बताया। डॉ. रेखा गुप्ता ने डॉ रावत के निबंध पूर्णिमा की समीक्षा की।

इस अवसर पर ‘पाती अपनों की’ मुहिम के प्रवर्तक प्रमुख उपन्यासकार और प्रशासनिक अधिकारी डॉ सूरज सिंह नेगी द्वारा डॉ कृष्णा रावत और साकार वास्तव ‘फ़लक’ द्वारा संकलित एवं संपादित पुस्तक ‘चयनित पत्र पुष्प’ और पुस्तक ‘स्मृति में रचे-बसे अद्भुत पत्र’ का लोकार्पण हुआ। डॉ॰ नेगी ने बताया कि इस मुहिम के अन्तर्गत 15 पुस्तकें आ चुकी हैं उनमें से 11 पुस्तकों से श्रेष्ठ पत्रों का चयन कर उपरोक्त दो पुस्तकों में ढाला गया है। डॉ कृष्णा रावत द्वारा संकलित एवं संपादित दो पुस्तकों ‘’देश-विदेश की प्रसिद्ध कहानियां’’ और ‘’विश्व की चुनिंदा प्रेम कहानियॉं’’ पर ज्योत्सना सक्सेना,टीना शर्मा, ज्ञानवती सक्सेना, कंचना सक्सेना, राजेन्द्र राजन और नीरज रावत ने चर्चा की।

वरिष्ठ साहित्यकार और भाषाविद डॉ नरेंद्र शर्मा कुसुम ने कहा कि साहित्य में अनुवाद कार्य को दोयम दर्जे का समझा जाता है लेकिन साहित्य में अच्छे अनुवादों के जरिये ही उत्कृष्ट रचनाएँ पाठकों तक पहुँचती हैं और समाज को परिष्कृत करती हैं और अभिरुचि जगाती हैं। बाल साहित्यकार डॉ अलका अग्रवाल ने कहा कि डॉ. कृष्णा रावत के दोनों संकलन देश-विदेश की संस्कृतियों, परंपराओं से परिचित कराते हैं। इनकी भाव भूमि सार्वभौमिक हैं और सम्वेदनाऍं सम्पूर्ण मानवजाति की एक समान हैं। वैश्विक साहित्य पढ़ने से दृष्टि व्यापक होती है, मानवता की भावना विकसित होती है। ऐसी रचनाएँ मनुष्य श्रेष्ठतर बनाने में योगदान करतीहैं। कार्यक्रम का संचालन निरूपमा चतुर्वेदी और नीरज रावत ने किया।