
नवरात्र हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो पूर्ण रूप से मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान भक्त नौ दिनों और नौ रातों तक माता रानी की पूजा-अर्चना करते हैं, जो ऊर्जा का परम स्रोत हैं। आज नवरात्र का पहला दिन है। इस विशेष दिन पर मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि देवी शैलपुत्री की पूजा करने से सुख और शांति में वृद्धि होती है। इसके साथ ही जीवन के सभी दुखों का अंत होता है। वहीं, इस मौके शैलपुत्री देवी स्तोत्र के स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी माना गया है, जो इस प्रकार हैं।
।।शैलपुत्री देवी स्तोत्र।।

वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥
पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥
प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥
।।स्तोत्र।।
प्रथम दुर्गा त्वहिभवसागर तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
त्रिलोकजननींत्वंहिपरमानंद प्रदीयनाम्।
सौभाग्यारोग्यदायनीशैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति, मुक्ति दायिनी शैलपुत्रीप्रणमाभ्यहम् ॥
माता शैलपुत्री देवी कवच
कार: में शिर: पातु मूलाधार निवासिनी।
हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकार पातु वदने लावण्या महेश्वरी।
हुंकार पातु हृदयम् तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पातु सर्वाङ्गे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥
।। माता शैलपुत्री की स्तुति।।
जय माँ शैलपुत्री प्रथम, दक्ष की हो संतान।
नवरात्री के पहले दिन, करे आपका ध्यान॥
अग्नि कुण्ड में जा कूदी, पति का हुआ अपमान।
अगले जनम में पा लिया, शिव के पास स्थान॥
।।जय माँ शैलपुत्री, जय माँ शैलपुत्री॥
राजा हिमाचल से मिला, पुत्री बन सम्मान।
उमा नाम से पा लिया, देवों का वरदान॥
सजा है दाये हाथ में, संहारक त्रिशूल।
बाए हाथ में ले लिया, खिला कमल का फूल॥
जय माँ शैलपुत्री, जय माँ शैलपुत्री॥
बैल है वाहन आपका, जपती हो शिव नाम।
दर्शन से आनंद मिले, अम्बे तुम्हे प्रणाम॥
नवरात्रों की माँ, कृपा कर दो माँ।
जय माँ शैलपुत्री, जय माँ शैलपुत्री॥
जय माँ शैलपुत्री प्रथम, दक्ष की हो संतान।
नवरात्री के पहले दिन, करे आपका ध्यान॥