
देश की अग्रणी साहित्यिक संस्था राष्ट्रीय कवि संगम,भीलवाड़ा शाखा की कार्यकारिणी की बैठक वरिष्ठ नागरिक मंच में “राष्ट्र जागरण धर्म हमारा” का मूलमन्त्र लेकर जिला स्तर पर होने वाली भगवान श्रीराम काव्यपाठ प्रतियोगिता-2021 के आयोजन व पंजीयन संबंधी प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक की अध्यक्षता जिलाध्य्क्ष महेद्र शर्मा ने की,मुख्य अतिथि संस्था के राष्ट्रीय प्रतिनिधि योगेन्द्र शर्मा थे और संचालन जिला कार्यक्रम संयोजक वीरेन्द्र लोढ़ा ने किया।
संस्था के जिला प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी डॉ एसके लोहानी ‘खालिस’ ने बताया कि बैठक में लिए गए निर्णय अनुसार श्रीराम राष्ट्रीय काव्यपाठ प्रतियोगिता में पंजीयन की अंतिम तिथी 31 अगस्त से बढाकर 7 सितम्बर तक कर दी गई है और प्रतियोगिता का आयोजन 12 सितम्बर को सम्भवतः वरिष्ठ नागरिक भवन में किया जाएगा। ऑनलाइन व ऑफलाइन हो पंजीयन को देखते हुए जिलेभर से प्रतिभागियों में जबरदस्त उत्साह छा रहा है।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागी को अन्य किसी कवि द्वारा रचित श्रीराम की महिमा,उदारता,शक्ति,शील और सौंदर्य का वर्णन करती किसी कविता का पाठ कवि के नाम के साथ करना होगा। प्रतियोगिता के हर स्तर पर प्रथम,द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विजेताओं को रु.500 से लेकर 31000 तक के नकद पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र भी दिए जाएंगे। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में आवेदन जिलाध्यक्ष महेन्द्र शर्मा,महामंत्री शिवदयाल अरोड़ा,जिला कार्यक्रम संयोजक वीरेन्द्र लोढ़ा,सह-संयोजक सतीश व्यास आस व पुनीता भारद्वाज,संगठन मंत्री रजनीकांत आचार्य एवं जिला प्रवक्ता डॉ एसके लोहानी खालिस के सहयोग से किया जा सकता है।
उक्त बैठक के पश्चात सर्वसम्मति से मासिक काव्यगोष्ठी के आयोजन का निर्णय भी लिया गया। इसके अंतर्गत पूर्व जिलाध्यक्ष व राष्ट्रीय कवि स्व.नरेंद्र दाधीच की स्मृति में प्रथम काव्यगोष्ठी का शुभारंभ डॉ एसके लोहानी खालिस के संचालन में कर दिया गया।
जयप्रकाश भाटिया सागर ने ‘नागपाश खुला चंदन से,मुक्त हो गया हूँ मैं बंधन से’, योगेन्द्र सक्सेना योगी ने ‘हौले-हौले बढ़ रहा है दर्द हमारे सीने में,हो जाता मन उदास जो झांकू यादों के सफीने में’,श्यामसुन्दर तिवाड़ी मधुप ने ‘भरत राम दोनों नयन,शंकर साक्षी नाथ’,ओम उज्जवल ने ‘है अलौकिक शक्ति जिसमें वो मंत्र है श्रीराम नाम’,सत्यनारायण मधुप ने ‘सबसे सुंदर बन रहा है अयोध्या धाम,जय श्रीराम जय श्रीराम’,मुरलीधर व्यास ने ‘भँवरे के संग डोल खुशबू के केश खोल,फूल बनकर जो कली खिल जाती है,उस वक्त सनम तेरी बहुत याद आती है’,सतीश व्यास आस ने ‘अपने ही अपनों से बचने लगे हैं’, संतोष जोशी ने ‘क्या कुसूर था अहिल्या तुम्हारा,यही ना कि तुम बहुरूपिये पुरुष को पहचान न सकी’,दीपक पारीक ने ‘पेट भरता है यहाँ किसी का फास्टफूड से किसी का बाज़ार की दालों से’,डॉ एसके लोहानी खालिस ने रावण की ओर से ‘सदियों से मुझे यूं मन में जिलाया जा रहा है,तभी तो पीढ़ियों से मुझे जलाया जा रहा है,मैं हारा अहंकार व घर भेदी विभीषण के कारण,राम जीते जिन कारणों से उन्हें भुलाया जा रहा है’,महामंत्री शिवदयाल अरोड़ा ने ‘राम भक्ति की बहती धार,है राम नाम मोक्ष का द्वार’,महेंद्र शर्मा ने नरेंद्र दाधीच के लिए ‘बीच राह में हाथ छुड़ाकर चला गया वो मित्र हमारा,जीवन के दुर्भाग्य क्षेत्र में छला गया वो बेचारा’ और राष्ट्रीय कवि योगेन्द्र शर्मा ने ‘अभी घनघोर लहरों का समंदर पार करना है,अरे ओ राम के भक्तों तुम्हें ही राम बनना है’ जैसी ओजस्वी व सारगर्भित रचनाएँ पढकर काव्यगोष्ठी को ऊंचाई प्रदान की। अंत में श्रीराम मंदिर निर्माण में नींव के पत्थर सिद्ध हुए स्व.श्री कल्याणसिंह को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।