
प्रशासन गांवों के संग अभियान
जैसलमेर/लोक कल्याण और ग्राम्य विकास का पैगाम दे रहा प्रशासन गांवों के संग अभियान सरहदी जैसलमेर जिले में विभिन्न उपलब्धियों के साथ परवान पर है। जिले में विभिन्न स्थानों पर आयोजित शिविर ग्राम्य कल्याण की मंशा को मूर्त रूप प्रदान कर रहे हैं।
इस अभियान के अन्तर्गत गांवों में ग्रामीणों के बीच पहुंचकर विभिन्न विभागों द्वारा जन हित के कार्यों का व्यापक स्तर पर सम्पादन कर एक ओर जहां समस्याओं का त्वरित समाधान कर राहत दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को उनके भले की योजनाओं से लाभान्वित कर उनके जीवन स्तर को सुधार एवं सँवारा जा रहा है।
पिथला शिविर ने दी सौगात
प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत आयोजित हो रहे शिविरों में ऎसा ही सब कुछ हो रहा है जिससे ग्रामीण उत्साहित हैं और शिविरों में ग्रामीणों की भागीदारी बढ़ती जा रही है।
जैसलमेर पंचायत समिति अन्तर्गत पिथला ग्राम पंचायत मुख्यालय पर विगत दिनों आयोजित शिविर में ग्रामीणों को खासा सुकून मिला, जब उनकी खूब सारी समस्याओं का समाधान भी हुआ और सरकार की विभिन्न योजनाओं से जुड़ने का लाभ भी मिला।

शिविर में जिला कलक्टर श्री आशीष मोदी की मौजूदगी और शिविर अवलोकन के दौरान ग्रामीणों से स्थापित किए गए सीधे संवाद के दौरान कई ग्रामीणों को उस समय सुखद अहसास हुआ, जब जिला कलक्टर की पहल पर उन्हें अतिरिक्त योजनाओं से लाभान्वित किया गया, अन्यथा अनेक ग्रामीण अपने इक्का-दुक्का कामों को लेकर ही आए थे, मगर जब लौटे तो अन्य योजनाओं से भी जुड़कर।
जिला कलक्टर ने ग्रामीणों को अन्य योजनाओं से भी जुड़ने के लिए प्रेरित किया और इसके लिए मौके पर ही फॉर्म भरवाए गए। कई ग्रामीण अपने एकाध काम को लेकर आए थे मगर जिला कलक्टर की मौजूदगी में दोहरे-तिहरे लाभों का सुकून मिल गया।
इस शिविर में ढेली देवी, नरपतसिंह एवं शैतानसिंह आदि ग्रामीणों को आवासीय पट्टा मिला। ढेली देवी ने बताया कि उनका परिवार 120 साल से रह रहा है लेकिन आवासीय पट्टे का सुकून अब जाकर मिल पाया है।
आए थे एक काम से, मिल गया दोहरा-तिहरा लाभ
इन्हीं में एक 70 वर्षीय बुजुर्ग केवल बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी पाने के लिए शिविर में आए थे लेकिन जिला कलक्टर के निर्देश पर इन्हें खाता खोलने के साथ ही पेंशन स्वीकृत की गई, संतान का श्रमिक कार्ड भी बनाया गया। इसी प्रकार एक अन्य ग्रामीण बुजुर्ग का रोडवेज पास भी हाथों हाथ बनाया गया। इसी शिविर में एक दृष्टिमंद ग्रामीण को जिला कलक्टर की पहल पर दृष्टि लौटने की आस जगी।
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