हिंदू धर्म में सत्यनारायण भगवान की कथा या कोई अनुष्ठान होने के बाद प्रसाद वितरित करने की परंपरा होती है, जिसमें चरणामृत और पंचामृत को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। हर कथा के बाद इसका भोग लगाने से ही भगवान को पूर्ण भोग माना जाता है। पंचामृत और चरणामृत दोनों स्वास्थ्य के हिसाब से अत्यंत लाभकारी होते हैं। बहुत से लोग समझते हैं कि चरणामृत और पंचामृत दोनों एक ही होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है दोनों अलग होते हैं, जिनके बनाने की विधि अलग होती है और दोनों के फायदे भी अलग होते हैं। आज हम जानेंगे कि चरणामृत किसे कहते हैं और पंचामृत किसे कहते हैं दोनों के क्या लाभ हैं।
क्या होता है चरणामृत का अर्थ
चरणामृत जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है, भगवान के चरणों का अमृत। शास्त्रों में चरणामृत लेने के कुछ नियम बताए गए हैं। चरणामृत हमेशा दाएं हाथ व शांत मन से लेना चाहिए। चरणामृत ग्रहण करने वाले हाथ को सिर पर नहीं फेरना चाहिए, इससे नकारात्मकता बढ़ती है। शास्त्रों में चरणामृत लेने के लिए एक मंत्र भी बताया गया है जो इस प्रकार है।
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशन। विष्णो पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते।।
अर्थ-भगवान विष्णु के चरणों का अमृत रूपी जल सभी पापों का नाशक व औषधि के समान है। चरणामृत का सेवन करने वाले का पुनर्जन्म नहीं होता।
चरणामृत बनाने की विधि
चरणामृत बनाने के लिए तांबे के बर्तन में तुलसी पत्ता, तिल व अन्य औषधीय तत्व मिलाकर मंदिर में रख दें। आपका चरणामृत तैयार है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण शामिल होते हैं। पंचामृत बनाने के बाद उसमें तुलसी और गंगाजल डालना चाहिए। और अगर आपके घर में शालिग्राम मौजूद हैं तो उन्हें पंचामृत से स्नान जरूर कराना चाहिए।
पंचामृत का अर्थ
पंचामृत का अर्थ है पांच पवित्र वस्तुओं से बना प्रसाद। इसे बनाने के लिए पांच अमृत तत्व- दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का इस्तेमाल किया जाता है। इसका प्रयोग भगवान के अभिषेक के लिए होता है। पंचामृत के भी कई शारीरिक लाभ हैं। यह कई रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। इसके भी कुछ नियम हैं।
क्या है पांच तत्वों का महत्व
- दूध- दूध को शुभ्रता का प्रतीक माना गया है। इसका अर्थ है कि हमारा पूरा जीवन दूध जैसा सफेद व निष्कलंक होना चाहिए।
- दही- पंचामृत में दही डालने का अर्थ है कि हम निष्कलंक होकर सद्गुणों को अपनाएं और दूसरों को भी ऐसा ही करने की सलाह दें।
- घी- घी को स्नेह का प्रतीक माना गया है। इस पंचामृत में शामिल करने का अर्थ है कि सभी के साथ हमारे प्रेम युक्त संबंध बने रहें।
- शहद- शहद मीठा होता है और यह शक्तिशाली होने का प्रतीक है। इसका अर्थ है कि जीवन में हमें निर्बल की जगह शक्तिशाली बनाना चाहिए।
- शक्कर- पंचामृत में शक्कर डालने का अर्थ है कि हम चाहते हैं कि सभी के जीवन में मिठास बनी रहे।
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