आरती से पहले करें ये स्तुति, देवी मां खुद कृपा बरसाएंगी

आरती से पहले करें ये स्तुति, देवी मां खुद कृपा बरसाएंगी
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नवरात्रि के नौ पवित्र दिनों में देवी भगवती की कृपा पाना चाहते हैं तो सिर्फ आरती या मंत्रों से काम नहीं चलेगा। एक खास स्तुति—देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्—का पाठ करने से देवी मां अक्षम्य पाप भी क्षमा कर देती हैं। आरती से पहले इस स्तुति का पाठ कर आप अपने जीवन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं।

  • देवी भगवती स्तुति: आरती से पहले पढ़ें देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्

  • मां की कृपा: पाप क्षमा कर जीवन में बरसती है अनंत करुणा

  • नवरात्रि पूजा विधि: शुद्धता और भक्ति से करें स्तुति पाठ

आरती से पहले करें ये भूल सुधारने वाली स्तुति

नवरात्रि में देवी भगवती की आराधना भक्ति भाव से करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। परंतु क्या आपने कभी सोचा है कि देवी मां के सामने जाने से पहले हम अपने अज्ञानवश हुए अपराधों की क्षमा मांगते हैं या नहीं? देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् एक ऐसी ही स्तुति है जो हमारे जाने-अनजाने पापों को क्षमा करवाती है।

आरती से पहले करें ये स्तुति, देवी मां खुद कृपा बरसाएंगी
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हर भक्त के लिए जरूरी है ये प्रार्थना

यह स्तुति उस व्यक्ति के लिए भी है जो मंत्र, ध्यान, यंत्र, या विधिविधान से पूजा नहीं कर पाता। इसमें भक्त स्वयं स्वीकार करता है कि वह पूजा-पद्धति नहीं जानता, पर मां की शरण में है। यही विनम्रता देवी को प्रिय है। स्तोत्र के हर श्लोक में यही भावना झलकती है—”मैं गलत हो सकता हूं, पर आप मां हैं, आप मुझे कभी नहीं त्यागेंगी।”

कैसे करें देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् का पाठ?

सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें, फिर घर के मंदिर की सफाई करें। मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं, लाल वस्त्र, लाल फूल और श्रृंगार अर्पित करें। दीपक और धूप जलाएं। शांत मन से बैठकर इस स्तुति का पाठ करें और अंत में माता की आरती करके प्रसाद सभी में बांटें।

माता रानी को भाव से अधिक कुछ नहीं चाहिए

नवरात्रि के समय लाखों भक्त पूजा करते हैं, लेकिन जिनके भाव सच्चे होते हैं, उन्हें ही मां की विशेष कृपा मिलती है। इस स्तुति में भक्त माता से यह भी कहता है कि “आपके सिवा मेरा कोई नहीं, अगर आपने भी साथ छोड़ दिया तो मेरा कौन है?” ये शब्द किसी भी साधारण पाठ की तुलना में मां के हृदय को अधिक छूते हैं।

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स्तुति का भाव है मां की गोद में लौटना

“कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति”—यह पंक्ति इस स्तुति का सार है। यानी बुरा बेटा हो सकता है, लेकिन बुरी मां नहीं होती। यही वह भावना है जो मां दुर्गा को हमारी ओर खींचती है, और हमें जीवन के हर संकट से उबारती है।

📜 देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् का महत्व

यह केवल एक श्लोक-संग्रह नहीं, बल्कि हमारे मन, वचन और कर्म से हुए दोषों की क्षमा याचना है। इसके पाठ से न केवल मन की शुद्धि होती है, बल्कि देवी का अपार प्रेम भी प्राप्त होता है।