नवरात्र के 9 रूपों की पूजा क्यों होती है? जानिए असली महत्व और संदेश

नवरात्र के 9 रूपों की पूजा क्यों होती है? जानिए असली महत्व और संदेश
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नवरात्र सिर्फ व्रत और पूजा का पर्व नहीं, बल्कि यह शक्ति, सेहत और संस्कृति का अनोखा संगम है। मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना के पीछे गहरे धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक संदेश छिपे हैं। यह पर्व हर वर्ष हमें आत्मचिंतन, अच्छाई के समर्थन और बुराई के अंत का पाठ पढ़ाता है।

  • नवरात्र के 9 रूप: हर देवी स्वरूप देता है एक जीवन मंत्र और ऊर्जा का संदेश

  • धार्मिक + वैज्ञानिक दृष्टि: पूजा के साथ उपवास से शरीर भी होता है शुद्ध

  • असली संदेश: नवरात्र सिर्फ अनुष्ठान नहीं, अच्छाई और आत्मचिंतन का अवसर भी है

नई दिल्ली | 22 सितंबर:
भारत में जब नवरात्र शुरू होता है, तो मंदिरों में घंटियों की गूंज, घरों में दीपों की रौशनी और दिलों में आस्था की ज्योति जग जाती है। लेकिन सवाल ये उठता है कि मां दुर्गा के नौ रूपों की ही पूजा क्यों होती है? क्या यह सिर्फ परंपरा है या इसके पीछे कोई गहरी भावना जुड़ी है?

🌸 हर रूप में छिपा है एक जीवन मंत्र

नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होते हैं—शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक। हर देवी रूप जीवन के किसी न किसी पहलू को दर्शाता है—कहीं संयम, कहीं शक्ति, कहीं भक्ति, तो कहीं ज्ञान। ये केवल देवी की पूजा नहीं, बल्कि एक-एक दिन आत्मनिरीक्षण और आत्मशक्ति का जागरण है।

🔱 शक्ति की साधना, सिर्फ पूजा नहीं

देवी दुर्गा को शक्ति का स्रोत माना जाता है—जो सृजन भी करती हैं, संरक्षण भी और संहार भी। इसलिए नवरात्र का मूल उद्देश्य शक्ति की आराधना है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि स्त्री सिर्फ ममता की मूरत नहीं, वह संहार की ताकत भी है।

नवरात्र के 9 रूपों की पूजा क्यों होती है? जानिए असली महत्व और संदेश
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⚔️ अच्छाई बनाम बुराई: पौराणिक संदेश

नवरात्र का सबसे बड़ा प्रतीकात्मक संदेश है—अच्छाई की बुराई पर जीत। देवी दुर्गा और महिषासुर की कथा इसका जीवंत उदाहरण है। नौ रातों तक चले युद्ध के बाद देवी ने महिषासुर का अंत किया। यही विजयादशमी का दिन कहलाया। उत्तर भारत में इसे रामलीला के रूप में भी मनाया जाता है, जहां रावण के अंत के साथ दशहरा आता है।

🥗 सेहत से भी जुड़ा है नवरात्र

नवरात्र सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अहम है। यह मौसम परिवर्तन का समय होता है—जहां शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपवास और सात्विक भोजन अपनाया जाता है। कुट्टू, सिंघाड़ा, और फलाहार जैसी चीजें शरीर को हल्का और दुरुस्त बनाए रखती हैं।

🕺 देश भर में रंग-बिरंगे रूपों में मनाया जाता है ये पर्व

गुजरात में गरबा-डांडिया, बंगाल में दुर्गा पूजा, दक्षिण भारत में गोलू सजाने की परंपरा—हर क्षेत्र में नवरात्र का अपना अंदाज़ है। यही विविधता इसे एक अखिल भारतीय उत्सव बनाती है, जो धर्म, संस्कृति और भाईचारे को जोड़ता है।

🧘‍♀️ आधुनिक समय में नवरात्र का मतलब

आज की तेज़ ज़िंदगी में नवरात्र हमें रुककर सोचने, खुद को भीतर से मजबूत करने और सत्य के साथ खड़े होने का अवसर देता है। यह सिर्फ पूजा का नहीं, आत्मशक्ति को पहचानने और जगाने का पर्व है।

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🌟 निष्कर्ष: नवरात्र केवल त्योहार नहीं, जीवन का पाठ

नवरात्र हमें सिखाता है कि शक्ति का सम्मान करें, बुराई का डटकर सामना करें और जीवन में अनुशासन, धैर्य और समर्पण बनाए रखें। हर बार जब मां दुर्गा की आरती गूंजती है, वह सिर्फ एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि एक प्रेरणा बन जाती है—अंधकार पर प्रकाश की विजय की।