श्रीराम और सीता के कराए दर्शन, जानिए पौराणिक कथा
कलयुग के देवता, भगवान राम के परम भक्त हनुमान अति बलशाली हैं. उनकी राम भक्ति के बारे में भला कौन नहीं जानता? मान्यता है कि बजरंग बली को प्रसन्न करना हो तो उनके नाम का जाप करने की बजाय भगवान राम के नाम का जाप करना चाहिए. इससे वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं. भजन की ये दो लाइन “दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम जी चले ना हनुमान के बिना” में जहां श्रीराम को सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ बताया गया है. वहीं बाल ब्रह्मचारी हनुमान की निस्वार्थ भक्ति और अनन्य प्रेम को देखते हुए भगवान राम के दिल में ऐसी जगह बनाई कि दुनिया उन्हें प्रभु राम का सबसे बड़ा भक्त मानती है.
माता सीता ने हनुमान को दिया बहुमूल्य उपहार
जब चौदह वर्षों के वनवास को बाद अयोध्या वापिस लौटने पर भगवान राम का राज्याभिषेक हो रहा था तो उसके बाद दरबार में उपस्थित सभी लोगों को उपहार दिए गए। इसी दौरान माता सीता ने रत्न जडि़त एक बहुमूल्य माला हनुमान जी को भेंट की। हनुमान जी ने खुशी-खुशी वह माला ले ली। लेकिन थोड़ी दूरी जाकर वह अपने दांतों से माला को तोड़ते हुए बड़ी गौर से देखने लगे। उसके बाद उदास होकर एक-एक कर उन्होंने सारे मोती तोडकऱ फेंक दिए। यह सब देखकर दरबार में उपस्थित सभी लोग आश्चर्यचकित रह गए।
हनुमान पर लक्ष्मण को आया क्रोध
जब हनुमान जी मोती तोडकऱ फेंक रहे थे तब लक्ष्मण जी ने इस व्यवहार को श्री राम का अपमान समझा और उन्हें हनुमान पर क्रोध आने लगा। इस बात को उन्होंने प्रभु राम से कहा कि हनुमान को माता सीता ने बहुमूल्य रत्नों की माला उपहार में दी और इन्होंने उस माला को तोडकऱ फेंक दिया। जिसके बाद भगवान राम ने उत्तर दिया कि जिस कारण से हनुमान ने उन रत्नों को तोड़ा है यह उन्हें ही मालूम है। इसलिए इसका उत्तर तुम्हें हनुमान से ही मिलेगा।
बिना राम नाम के सभी चीजें अमूल्य
इसके उत्तर में हनुमान जी ने कहा कि मेरे लिए हर वह वस्तु बेकार है, जिसमें राम का नाम ना हो। मैंने यह हार अमूल्य समझ कर लिया था, लेकिन जब मैंने इसे देखा तो पाया कि इसमें कहीं भी राम का नाम नहीं है। उन्होंने कहा आगे कहा कि मेरी समझ से कोई भी वस्तु श्री राम के नाम के बिना अमूल्य नहीं हो सकती। अत: मेरे हिसाब से उसे त्याग देना चाहिए।
देखकर सभी रह गए दंग
यह बात सुनकर भ्राता लक्ष्मण बोले कि आपके शरीर पर भी तो राम का नाम नहीं है तो इस शरीर को क्यों रखा है? इस शरीर को भी त्याग दो। लक्ष्मण की बात सुनकर हनुमान जी ने अपना वक्षस्थल नाखूनों से चीरकर उसे लक्ष्मण सहित दरबार में उपस्थित सभी लोगों को दिखाया, जिसमें श्रीराम और माता सीता की सुंदर छवि दिखाई दे रही थी। यह घटना देख कर लक्ष्मण आश्चर्यचकित रह गए, और अपनी गलती के लिए उन्होंने हनुमान जी से क्षमा मांगी।
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