
जयपुर । राजस्थान पुलिस द्वारा महिला अत्याचार से संबंधित प्रकरणों में समय पर अनुसंधान का कार्य निस्तारित करने पर के परिणाम स्वरूप अब वर्ष 2022 में जून माह में तक दुष्कर्म के प्रकरणों में अनुसंधान में लगने वाला औसत समय घटकर 57 दिन रह गया है।
राजस्थान पुलिस के सीसीटीएनएस बोर्ड पर उपलब्ध तथ्यों के अनुसार वर्ष 2017 में दुष्कर्म के प्रकरणों में अनुसंधान पर औसतन 435 दिन लग रहे थे । अनुसंधान का समय वर्ष 2018 में घटकर 211 दिन, वर्ष 2019 में 140 दिन, वर्ष 2020 में 117 दिन और वर्ष 2021 में घटकर 86 दिन रह गया था। अब इस अनुसंधान समय को और कम करने पर ध्यान दिया जा रहा है।

एक उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि राजस्थान में महिला अत्याचार के प्रकरणों में चालानी प्रतिशत 99.98 प्रतिशत रहा। दहेज मृत्यु एवं दुष्कर्म के प्रकरणों में चालानी शत प्रतिशत रही। प्रदेश में वर्ष 2022 में जून माह तक पॉक्सो के 1892 मामलों सहित कुल 23 हजार 432 महिलाओं के विरुद्ध हुए अपराधों के अभियोग दर्ज किए गए । इनमें दुष्कर्म के 3617 प्रकरण भी शामिल है। वर्ष 2022 में जून माह तक दर्ज 23 हजार 432 अभियुक्तों में से जांच के बाद 48.60 प्रतिशत प्रकरण झूठे पाए गए।।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की पहल पर प्रारंभ की गई निर्बाध पंजीकरण की नीति से महिला अत्याचार से संबंधित प्रकरणों का सुगमता से थानों में अभियोग दर्ज किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप न्यायालय के माध्यम से दर्ज होने वाले प्रकरणों में निरंतर कमी आ रही है। वर्ष 2017 में दुष्कर्म से संबंधित 33.4 प्रतिशत प्रकरण न्यायालय के माध्यम से दर्ज होते थे। वर्ष 2018 में 30.5 प्रतिशत, वर्ष 2019 में 18.6 प्रतिशत, वर्ष 2020 में 1.8 प्रतिशत और वर्ष 2021 में 16.7 प्रतिशत प्रकरण न्यायालय के माध्यम से दर्ज हुए। जबकि वर्ष 2022 में जून माह तक न्यायालय के माध्यम से दर्ज होने वाले प्रकरणों में और कमी आई और मात्र 10.7 प्रतिशत प्रकरण ही न्यायालय के माध्यम से दर्ज हुए।
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प्रदेश में वर्ष 2019 के दौरान राजस्थान पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दुष्कर्म एवं पॉक्सो एक्ट के प्रकरणों के आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ कि दुष्कर्म के 90 प्रतिशत प्रकरणों में अभियुक्त एवं पीड़ित एक दूसरे के परिचित थे इनमें से 47 प्रतिशत मामलों में अभियुक्त एवं पीड़ित पड़ोसी अथवा एक ही गांव या कॉलोनी के निवासी थे दुष्कर्म के प्रकरणों में सर्वाधिक 36 प्रतिशत प्रकरण पीड़ित के आवास पर और 11प्रतिशत प्रकरण अभियुक्त के आवास पर होना पाया गया। अभियोजन के स्तर पर अनुसंधान एवं अभियोजन के स्तर पर 14 प्रतिशत का 161 सीआरपीसी स्टेज पर एवं 31 प्रतिशत 164 सीआरपीसी के स्टेज पर पक्ष द्रोही हो गए। इन आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी स्पष्ट हुआ कि पीड़ितों में निरीक्षण एवं प्राथमिक शिक्षा स्तर तक की संख्या सर्वाधिक है। कुल पीड़ितों में से 23 प्रतिशत पीड़ित निरीक्षर एवं 35 प्रतिशत तक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की हुई थी। अभियुक्तों में सर्वाधिक 70 प्रतिशत अभियुक्त 18 से 30 वर्ष आयु वर्ग के पाए गए। अभियुक्तों में भी कम पढ़े लिखे व्यक्तियों की संख्या काफी अधिक पाई गई। कुल अभियुक्तों में से 12 प्रतिशत अभियुक्त निरीक्षण एवं 33 प्रतिशत प्राथमिक शिक्षा प्राप्त किए हुए थे । सर्वाधिक 41 प्रतिशत अभियुक्त मजदूर वर्ग से संबंधित थे। साथ ही 4 प्रतिशतअभियुक्त बेरोजगार एवं 8 प्रतिशत अभियुक्त नौकरी पेशा पाए गए।।
राष्ट्रीय स्तर पर महिला अत्याचारों के प्रकरण रोकथाम में राजस्थान अब पहले से बेहतर स्थिति में आ रहा है। वर्ष 2020 के अपराधों के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि कुल महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में 16.8 प्रतिशत की कमी एवं राष्ट्रीय स्तर पर 8.34 प्रतिशत की कमी पाई गई । राजस्थान में महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचार और अपराध की प्रभावी रोकथाम के लिए अनेक अभिनव प्रयास किए जा रहे हैं ।
राज्य में वर्ष 2019 में महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध होने वाले गंभीर अपराधों के गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान एवं प्रभावी पर्यवेक्षण के लिए राज्य के सभी 41 पुलिस जिलों में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट फॉर क्राइम्स अगेंस्ट वूमेन का गठन किया गया है । अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को इन जिला स्तरीय यूनिट का प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है।
महिलाओं एवं बालिकाओं को विषम परिस्थितियों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1 जनवरी 2020 से राज्य के सभी जिलों में महिला आत्मरक्षा केंद्रों का शुभारंभ किया गया है । इन केंद्रों पर मास्टर ट्रेनर द्वारा महिलाओं को आत्मरक्षा हेतु उनके 16 स्थानों पर जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण पूर्णता निशुल्क है। पूर्व में संचालित छात्रा आत्मरक्षा कौशल योजना को भी महिला शक्ति आत्मरक्षा योजना में समायोजित कर लिया गया है । इस योजना के तहत अब तक प्रदेश में 4 लाख 82 हजार महिलाओं एवं बालिकाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। राज्य के सभी जिलों में महिला पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट निर्भया स्क्वॉयड भी संचालित की जा रही है । महिला पुलिस पेट्रोलिंग यूनिट निर्भया स्क्वायड के तहत के तहत छेड़छाड़ चैन स्नैचिंग आदि घटनाओं की प्रभावी रोकथाम की जा रही है।
राजस्थान में 26 मार्च 2021 से प्रारंभ अभिनव योजना सुरक्षा सखी के भी सार्थक परिणाम दृष्टिगोचर हो रहे हैं। इसके अंतर्गत प्रत्येक थाना क्षेत्र में महिलाओं एवं नाबालिग बच्चियों से संबंधित समस्या अथवा अपराध की रोकथाम के लिए सकारात्मक संवाद स्थापित किया जा रहा है। सुरक्षा सखी योजना के तहत जून 2022 तक कुल 16 हजार 585 सुरक्षा सखी सदस्यों का चयन किया जा चुका है। सुरक्षा सखियों द्वारा नियमित रूप से बैठकों का आयोजन कर महिलाओं एवं नाबालिग बच्चों से संबंधित समस्याओं या अपराध की रोकथाम पर सकारात्मक संवाद स्थापित किया जा रहा है। सुरक्षा सखी सदस्य के रूप में महिला अधिकारिता विभाग के साथिन एवं राजीविका समूह की महिलाओं को भी जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।
राज्य के समस्त पुलिस थानों पर संचालित महिला हेल्प डेस्क पर महिला कार्मिकों का पदस्थापन अनिवार्य रूप से सुनिश्चित किया जा रहा है। पुलिस थानों के स्वागत कक्ष में ही यथासंभव महिला हेल्प डेस्क को क्रियाशील किया जा रहा है, ताकि प्रत्येक पीड़िता को सुविधाजनक एवं सम्मानजनक वातावरण में बेहिचक अपनी पीड़ा बताने का अवसर प्राप्त हो सके। इस प्रकार राजस्थान महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम करने की दिशा में अनेक अभिनव पहल कर राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बना रहा है।