आरजीएचएस में पंचकर्म के नाम पर 11 करोड़ का फर्जीवाड़ा, सरकार ने जांच के दिए आदेश

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जयपुर। राजस्थान सरकार की राज्य कर्मचारियों की आरजीएचएस में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। यह घोटाला न केवल डॉक्टर्स और मेडिकल स्टोर संचालकों तक सीमित रहा, बल्कि आयुष पद्धति विशेषतः पंचकर्म चिकित्सा के नाम पर करोड़ों रुपए का फर्जी क्लेम कर सरकार को चूना लगाया है। वर्ष 2024-2025 में अकेले ‘अभ्यंग’ नामक एक पंचकर्म उपचार के लिए 11 करोड़ रुपए का क्लेम किया गया, जो कि पूरे साल के 70 करोड़ रुपए के कुल क्लेम का लगभग 15% है। जबकि 2023-2024 में यही क्लेम 6.11 करोड़ रुपए था — यानी एक साल में दोगुना हो गया है।

जांच में सामने आया कि 91 प्रकार की पंचकर्म पद्धतियों में सभी का क्लेम अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है। विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, “अब अस्पतालों से ज्यादा संख्या में पंचकर्म सेंटर खुल रहे हैं।” अकेले जयपुर जिले में दो साल में 17 नए पंचकर्म सेंटर खोले गए हैं, जिनमें से कई का उद्देश्य ही क्लेम खड़ा करना प्रतीत होता है। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने स्पष्ट किया कि अब से पंचकर्म एवं समस्त आयुर्वेद उपचार केवल 20 मान्य उपचार पैकेजों के अंतर्गत ही मान्य होंगे और केवल चिकित्सकीय आवश्यकता व संकेतों के आधार पर ही पंचकर्म उपचार स्वीकृत किया जाएगा।

आरजीएचएस योजना में अब तक 200 करोड़ से अधिक की गड़बड़ी का पता चल चुका है और रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कई अस्पताल डी-पैनल किए गए हैं और कई मेडिकल स्टोर व अस्पतालों से वसूली की जा रही है। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इस स्तर की रिकवरी कर पाना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। सिर्फ आयुष नहीं, आईपीडी कंसल्टेशन और प्री-पोस्ट प्रोसिजर क्लेम में भी कई गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उदाहरण के लिए, एक वित्तीय वर्ष में 60 लाख रुपए का आईपीडी क्लेम, तो वहीं अगले वर्ष वही क्लेम 1.10 करोड़ से ऊपर पहुंच गया। इसके अलावा 16 अन्य पंचकर्म उपचारों पर 30 से 80 लाख तक के क्लेम दर्शाए गए हैं।

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