राइजिंग राजस्थान ; बड़े से लेकर छोटे उद्योगपतियों को भाया राजस्थान

राइजिंग राजस्थान
राइजिंग राजस्थान

बोले- राजस्थान सरकार ने व्यापार के लिए दिल खोला, हम यहां आकर काम करने के इच्छुक

 

जयपुर। राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इनवेस्ट समिट कार्यक्रम में ऐसे तो कई एमओयू हुए हैं, लेकिन अहम बात यह है कि छोटे उद्योगपति भी यहां उद्योग लगाने की इच्छा जता रहे हैं। इनमें से कई ने सरकार से एमओयू किए हैं और कई करने जा रहे हैं। इन उद्यमियोंं ने कहा कि हमारा मूल तो यहां से ही है। दशकों पहले हम रोजगार की तलाश में यहां से बाहर गए, तब यहां पर संसाधनों की कमी थी। पानी पीने के लिए भी नही था, तो उद्योग की तो कैसे सोच सकते थे, लेकिन अब तो यहां पर लगभग सभी संसाधन उपलध हैं, तो हम भी चाहते हैं कि यहां पर अपना उद्यम लगाएं। महानगर टाइ्स ने यहां आए प्रवासियों से बात की। उनके हाल और विचार जाने, तो प्रदेश के विकास को लेकर एक सार्थक सोच सामने आई। राइजिंग राजस्थान ; बड़े से लेकर छोटे उद्योगपतियों को भाया राजस्थान

राइजिंग राजस्थान पर यह बोले प्रवासी उद्योगपति

हम भी यहां आना चाहते हैं काम करना चाहते हैं: सूरज सिंघवी

सूरज सिंघवी
सूरज सिंघवी

पाली के कुशालपुरा गांव से लगभग साठ साल पहले खानेकमाने निकला सिंघवी परिवार अभी चेन्नई में है और वहां पर इनके कपड़े के बड़े शोरूम हैं। इसके साथ ही इन्होंने बनारस, कोलकाता और रांची में अपने प्रतिष्ठान खोले हैं। इनका कांजीवरम से लेकर बनारसी साडिय़ां और सूती साड़ी का बड़ा कारोबार हैं। यह परिवार हर साल नवरात्र में एक बार राजस्थान आता है। इन्होंने मु यमंत्री के चेन्नई दौरे के दौरान उनसे मिलकर कहा था हमें भी राजस्थान में अपना कारोबार लगाना हैं। करीब दो सौ से तीन सौ मजदूर काम करते हैं। हम चाहते हैं कि हमारे गांव में क‘चा काम हो, बाद में उसे बड़े शहरों में बेचा जाए। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा।

अब जड़ों की ओर लौटने का समय आ गया : सचिन पुरोहित

सचिन पुरोहित
सचिन पुरोहित

जोधपुर के सचिन पुरोहित ने अफ्रीका में कमोडिटी ट्रेडिंग में एक बड़ा नाम कमाया हैं। इनका काम घाना, युगांडा, माली, आइवरी कोस्ट से लेकर यूके, दुबई और गल्फ कंट्रीज में होता हैं। ये वेस्ट अफ्रीकी देशों से काजू, रबड़ और एक विशेष फूल और फल का ट्रांसपोर्ट बड़े सेंटरों में करते हैं। इनका कहना है कि जो काम विदेश में कर रहे है, वो यहां पर भी किया जा सकता हैं और अब करेंगे भी। यहां पर अब सरकारी नीतियां हम जैसों की मदद के लिए बनाई जा रही हैं। ऐसे में हम यहां पर भी काम करेंगे। बाहर हमारे पास ईमानदारी का नाम है और उसी विश्वास पर हम बड़े से बड़ा बिजनस कर जाते हैं। जब बाहर के लोग हम पर भरोसा करते हैं तो यहां के तो हम निवासी रहे हैं। इस समिट में आकर काफी अ‘छा लगा। कई चीज जानी और समझी अब वैसे हो जाए तो और अच्छा रहेगा।

विदेश में काम करके नाम किया, अब यहां की बारी है : रोहिणी कल्ला

रोहिणी कल्ला
रोहिणी कल्ला

रोहिणी कल्ला जोधपुर की रहने वाली हैं और अभी युगांडा में रहती हैं। इस परिवार के वहां के टेस्मो स्टील में शेयर हैं और रोहिणी के पति वहां इसी फर्म में मैनेजर भी हैं। रोहिणी वहां पर राजस्थान एशोसिएशन की चैयरपर्सन हैं। इनके पति वहां पर प्र ेसीडे ंट की एडवाइजरी काउंसिल के मेंबर भी हैं। वे फोर्टी के युगांडा में अध्यक्ष भी हैं। साथ ही इनकी फर्म का काम यूगांडा के अलावा दुबई और यूके में भी हैं। इन्होंने राइजिंग राजस्थान को बेहतरीन बताया और कहा कि हम चाहते हैं कि अब तो विश्व ही बाजार हो गया तो यहां पर भी हमारी फर्म डालना चाहते हैं। वैसे भी हमें साल में एक बार तो यहां आना ही पड़ता है। हमें सरकारी मदद मिल जाए, तो यहां पर भी फर्म खोलेंगे। इससे यहां के लोगों को भी रोजगार मिल जाएगा।

यहां भी कारोबार शुरू करना चाहेंगे : पन्नालाल कच्छावा

पन्नालाल कच्छावा
पन्नालाल कच्छावा

नागौर के मानसर के रहने वाले पन्नालाल ने कहा कि हम साल में एक बार तो देवी-देवता के जात-जडूलों के लिए जरूर आते हैं। हमारा आना-जाना बना हुआ हैं। हम चाहते है कि यहां पर भी हमारा काम हो। उन्होंने कहा कि हमारा काम वहां पर किराना मर्चेंट का हैं। हम वहां पर तेलुगू भाषियों के बीच में काम करते हैं। वहां पर हमारी ईमानदारी ही बड़ी पूंजी हैं। सीएम भजनलाल शर्मा से लोकसभा चुनावों के दौरान हमारी बात हुई थी, तब उन्होंने हमें यहां इस कार्यक्रम में आने का न्यौता दिया था, तो यहां पर आकर यहां के नियमों को जाना है। अच्छा लगा है। अब यहां पर भी कारोबार शुरू करेेंगे।

पहले साल में हुआ कार्यक्रम, कुछ अ‘छा होने की उममीद : देवड़ा

अविनाश देवड़ा
अविनाश देवड़ा

नागौर के ताउसर के अविनाश देवड़ा हैदराबाद में मंडी में बड़े व्यापारी हैं। साथ ही किराना मर्चे ंट एसोसिएशन मे ं पदाधिकारी भी हैं। करीब साठ साल पहले इनके पूर्वज यहां से हैदराबाद व्यापार करने के लिए गए थे। अविनाश ने बताया कि वहां पर हमारा थोक के साथ खुदरा काम भी है। हम अब जड़ों की ओर लौटना चाहते हैं। हम चाहते है कि अब जन्मभूमि में भी कुछ किया जाए। यहां पर व्यापार करना चाहते हैं। सरकारी मदद के बारे में पूछने पर अविनाश ने बताया कि अब तो उ्मीद है। पहले यहां सरकार के चार साल पूरे होने के बाद में यह कार्यक्रम होता था, लेकिन इस बार तो सरकार के और हमारे पास पूरे चार साल हैं। इसलिए उम्मीद ज्यादा हैं।

अपनी माटी से जुडक़र काम करने की बात अलग है : माहेश्वरी

बिट्ठल माहेश्वरी
बिट्ठल माहेश्वरी

जयपुर के रामनिवास बाग के निवासी बिट्ठल माहेश्वरी काफी सालों से विदेश में रह रहे हैं। वहां पर ये जवाहरातों, जेवराती रत्नों का कारोबार इटली, फ्रांस के साथ ही यूरोप के कई देशों में कर रहे हैं। ये यहां इस राइजिंग राजस्थान समिट में कई अरमान लेकर आए हैं। उन्होंने कहा कि जैसलमेर में उनका मेरियट होटल और सेंटर भी है और एक फर्म यहां पर भी है, लेकिन और करना चाहता हूं। उन्होंने बताया कि उनके पूरे देश में एक लाख एकल विद्यालय चल रहे हैं और साथ ही राजस्थान में करीब &000 हजार एकल विद्यालय में हमारी भागीदारी हैं। 2019 बिट्ठल माहेश्वरी को प्रवासी भारतीय का स्मान तत्कालिन राष्ट्रपति की ओर से भी मिल चुका है।

कई उद्यमियों को नहीं भाई राइजिंग राजस्थान समिट की व्यवस्थाएं

बोले- यह दुव्र्यवस्थाओं का शिकार हुआ

राइजिंग राजस्थान नामी-गिरामी हस्तियों के लिए ही करना था तो इतना बड़ा तामझाम किसके लिए किया गया। वरना निवेशक तो बहुत बड़ी संख्या में पीछे बैठे थे। रेड हाउस जितने लोग तो किसी भी बैंक्वेट हॉल में समा जाते। कम-से-कम राजस्थान की छवि को इस तरह बट्टा तो नहीं लगाया जाता। यह कहना है राजस्थान के अधिकांश पुराने उद्यमियों और विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों का। पहले तो पिछले एक सप्ताह में रजिस्ट्रेशन करवाने वाले उद्यमियों को पास लेने के लिए दर-दर भटकना पड़ा। उनको सरकारी कार्यालयों के चक्कर कटवाकर थका दिया गया। ऐसा नजारा था कि उद्यमियों के ऊपर कोई बहुत बड़ा उपकार किया जा रहा हो। फिर उद्यमियों को जे ई सी सी सीतापुरा में प्रवेश करने के लिए अल सुबह जल्दी ही पहुंचना पड़ा। वहां लोग पीने के पानी के लिए भी तरसते रहे किंतु पानी की भी व्यवस्था कहीं भी नहीं थी। वी आई पी सुरक्षा के कारण बाहर बाजार में दूर दूर तक दुकानें भी बंद रखी गई थी। लोग प्यासे धूमते रहे। कुर्सियां कम पड़ गई और बहुत से लोग कार्यक्रम के दौरान खड़े ही रहे। जैसे तैसे चार धंटे प्यास से लड़ते-लड़ते लोग भोजनशाला की तरफ पहुंचे तो वहां का नजारा अभूतपूर्व था। शर्मनाक और बहुत भद्दा था।

पहले तो भोजन परोसने में एक बजे बाद भी लगभग एक घंटा की देरी की गई। वहां पीने के पानी का अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया गया। बड़े बड़े अधिकारी और उद्यमी भोजन के लिए बनाए गए ब्लू हाउसे और ओरेंज हाउस के बीच धक्के खाते रहे। अधिकांश लोग शर्मिंदा हो कर लौट गए। जो बचे थे उनके लिए बुफेट का इंतजाम अपर्याप्त और बहुत शर्मनाक था। इतना विभत्स दृश्य बन गया था, जिसको देखने वाले आयोजक, रेड हाउस में बैठे अनुमान भी नहीं लगा सकते थे। पहले भी तीन तीन बार निवेश सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन ऐसी बदहाली, बदइंतजामी कभी नहीं देखी। हम बहुत खिन्नता से स्वीकार करते हैं कि हम शर्मिंदा हैं कि आतिथ्य के लिए विश्व विख्यात हमारे प्यारे राजस्थान के उद्यमियों को इन आयोजकों ने भोजन तो दूर, पानी के लिए भी तरसा दिया।

यूके की इंदु ने गिनाई राइजिंग की अव्यवस्थाएं

इंदू बरोत की पोस्ट
इंदू बरोत की पोस्ट

यूके की इंदू बरोत भी राइजिंग राजस्थान की अव्यवस्थाओं से बेहद नजर आईं। उन्होंने इस दुख को एक कविता के तौर पर पेश करते हुए अपनी अव्यस्थाओं के फोटो सहित सोशल मीडिया पर यह कविता शेयर की है। उन्होंने इस कविता के जरिए प्रदेश सरकार और अव्यवस्थाओं पर कटाक्ष किया है। आप भी पढि़ए उनकी यह कविता।

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