होमियोपैथी पद्धति के जनक थे सैमुएल हैनिमैन,जानिए भारत में कब हुई शुरुआत

homeopathy
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होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. क्रिश्चन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन की जयंति पूरी दुनिया उनका श्रद्धांजलि दे रही है। उनका जन्म सेक्सोनी,ड्रेसडन जर्मनी में 10 अप्रैल 1755 में हुआ था। हैनिमैन अंग्रेजी, फ्रेंच, इतालवी, ग्रीक और लैटिन सहित कई भाषाओं के ज्ञाता के साथ एक एलोपेथी डॉक्टर भी थे।

उन्होंने एक भाषाओं के अनुवादक के शिक्षक के रूप में एक जीवन व्यतीत किया। उनके पिता एक पोर्सिलीन पेन्टर थे और उन्होंने अपना बचपन अभावों और बहुत गरीबी में बिताया था।

होमियोपैथी के जनक डॉ. क्रिश्चन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन की जयंति

एमडी डिग्री प्राप्त एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान के ज्ञाता भी थे। भारत सरकार ने होम्योपैथी और आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्धा और सोवा रिग्पा, जिसे सामूहिक रूप से ‘आयुष’ के नाम से जाना जाता है, जैसे अन्य पारंपरिक प्रणालियों के विकास एवं प्रगति के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।

Samuel Hahnemann was the father of homeopathy Medical method

सैमुएल हैनिमैन एक एलोपेथी डॉक्टर भी थे

आज भारत की बहुत बड़ी आबादी होमियोपैथी पद्धति पर विश्वास करती है और बीमारियों में होमियोपैथी दवा का सेवन करती है।

असल में होमियोपैथी का सबसे बड़ा फायदा नो रिलीफ नो साइड इफेक्ट यानि अगर फायदा नहीं तो नुकसान भी नहीं। यह दवा आसानी से उपलब्ध हो जाती है। जबकि इसके विपरित प्रभाव भी नहीं पड़ते।

होम्योपैथी की शुरुआत 19 वीं शताब्दी में भारत में हुई थी। यह पहले बंगाल और फिर पूरे भारत में फैल गया। शुरुआत में, नागरिक और सैन्य सेवाओं और अन्य में शौकीनों द्वारा इस प्रणाली का बड़े पैमाने पर अभ्यास किया गया था। महेंद्र लाल सिरकार पहले भारतीय थे जो होम्योपैथिक चिकित्सक बने थे।

कई एलोपैथिक डॉक्टरों ने सिरकार के नेतृत्व के बाद होम्योपैथिक अभ्यास शुरू किया। ‘कलकत्ता होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज’, पहला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज 1881 में स्थापित किया गया था।

इस संस्था ने भारत में होम्योपैथी को लोकप्रिय बनाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। 1973 में, भारत सरकार ने होम्योपैथी को चिकित्सा की राष्ट्रीय प्रणालियों में से एक के रूप में मान्यता दी और इसकी शिक्षा और व्यवहार को विनियमित करने के लिए केंद्रीय होम्योपैथी (CCH) की स्थापना की।