संजीवनी ऐप आयुष के पारंपरिक ज्ञान को एक बड़ी वैश्विक आबादी तक पंहुचाने में मददगार होगा : डॉ. हर्षवर्धन

डॉ हर्षवर्धन, Dr. Harshvardhan
डॉ हर्षवर्धन, Dr. Harshvardhan

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 की वर्तमान स्थिति से निपटने संजीवनी ऐप और दो आयुष आधारित अध्ययनों की शुरूआत की। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, संजीवनी ऐप आयुष के पारंपरिक ज्ञान को एक बड़ी वैश्विक आबादी तक पंहुचाने में मददगार होगा

नई दिल्ली। डॉ. हर्षवर्धन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने गुरुवार को नई दिल्ली में कोविड-19 की वर्तमान स्थिति से निपटने संजीवनी ऐप और दो आयुष आधारित अध्ययनों की शुरूआत की। केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने गोवा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में भाग लिया ।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि आयुष और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया यह ऐप 50 लाख लोगों के लक्ष्य तक पहुंचेगा। यह ऐप आयुष की जनसाधारण में स्वीकार्यता और कोविड-19 की रोकथाम में मदद के रूप में डाटा को संग्रहित करने में भी उपयोगी रहेगा।

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन में स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्रालय के साथ सीएसआईआर, आईसीएमआर और यूजीसी जैसे संगठनों के बीच समन्वय से एक शक्तिशाली मंच बना है जिससे नकेवल आयुष हस्तक्षेपों और समाधानों को विकसित किया जा सकेगा बल्कि आयुष के महत्व और ज्ञान को पूरे विश्व में बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी।

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 की वर्तमान स्थिति से निपटने संजीवनी ऐप और दो आयुष आधारित अध्ययनों की शुरूआत की।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण दिन है जहां इस तरह के ज्ञान आधारित समाधानों के लिए प्रौद्योगिकी गठजोड़ मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं ताकि कोविड़-19 जैसी महामारी के गुजरने के बाद भी मुख्यधारा के वैज्ञानिक प्रयासो में आयुष के संभावित एकीकरण के लाभ हमें बाद में भी मिलते रहे। उन्होंने कहा कि हम यह समझते है कि चिकित्सा और विज्ञान के आधुनिक मार्ग और आयुष के मध्य कोई प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि वे एक दूसरे के मजबूत पूरक हैं।

हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतत्व में कोविड-19 महामारी के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता (ई यूनिटी) को बढाने के लिए आयुष के दिशा निर्देशों और सलाह को दुनिया भर में स्वीकार किया गया। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा संजीवनी ऐप आयुष के पारंपरिक ज्ञान को भारत में लंबे समय से पारंपरिक चिकित्सा का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। विशेष कर आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत विश्व में अग्रणी रहा है । इस नाते, देश में कोविड-19 महामारी की समस्या का समाधान करने के लिए आयुष मंत्रालय रोगनिरोधी आयुष प्रणालियों के हस्तक्षेप से नैदानिक अध्ययन के माध्यम से काम कर रहा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आयुष मंत्रालय द्वारा विकसित आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप का डेटा कोविड – 19 की रोकथाम में आयुषउपायों की लोगों के बीच स्वीकृति, उपयोग और इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उपयोगी होगा। डॉ. हर्षवर्धन ने इस मौके पर संजीवनी ऐप के अलावा दो और वैज्ञानिक अध्य्यनों की भी शुरूआत की।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, संजीवनी ऐप आयुष के पारंपरिक ज्ञान को एक बड़ी वैश्विक आबादी तक पंहुचाने में मददगार होगा

इसमें पहला रोग निरोधी के रूप में आयुर्वेद के हस्तक्षेपों पर सहयोगी नैदानिक अनुसंधान अध्ययन और दूसरा उच्च जोखिम वाली आबादी में कोविड-19 की रोकथाम के लिए आयुष आधारित रोग निरोधी हस्तक्षेपों के प्रभाव पर जनसं या आधारित पारं परिक अध्ययन। इस अवसर पर श्रीपद नाइक ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने आयुष प्रणालियों के नैदानिक अध्ययन के माध्यम से देश में कोविड-19 महामारी समस्या के समाधान के लिए पहल की है और आयुष आधारित रोग निरोधी हस्तक्षेपों के प्रभाव का भी अध्ययन किया है। मंत्रालय उच्च जोखिम आबादी के बीच कोविड-19 की रोकथाम के लिए आयुष के पक्ष पोषण और उपायों के प्रभाव का भी अध्ययन कर रहा है।

नाइक ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने समस्या का बेहतर समाधान खोजने और बीमारी की रोकथाम के लिए आयुष की भूमिका का आकलन करने के उद्देश्य से चार नैदानिक और जनसंख्या आधारित अध्ययन किए हैं। इस अवसर पर बोलते हुए आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि मंत्रालय ने इस पहल की रणनीति बनाने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के उपाध्यक्ष डॉ. भूषण पटवर्धन की अध्यक्षता में विशेषज्ञों के एक समूह के साथ एक अंत:विषय आयुष अनुसंधान एवं विकास कार्यबल का गठन किया है। प्रारम्भ में आयुष के संयुक्त सचिव पी.एन.रंजीत कुमार ने एक प्रस्तुतिकरण दिया और कोविड-19 से संबंधित तीन आयुष आधारित अध्ययनों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने संजीवनी ऐप के बारे में भी जानकारी दी और आयुर्वेद के लाभ के बारे में बताया।

तीन आयुष आधारित अध्ययनों के बारे में जानकारी देते हुए, उन्होंने इस अवधारणा और विचार के विकास, क्राउड सोर्सिंग, टास्क फोर्स बनाने, एसजीपीजीआई, ए स, आईसीएमआर, सीएसआईआर जैसे विभिन्न संस्थानों के साथ गठजोड़ करने और विचार को वास्तविकता में धरातल पर लाने आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बताया कि इस अवसर पर निम्रलिखित अध्ययन भी शुरू किए गए

1 . ऐड-ऑन के रूप में कोविड-19 के मानक देखभाल के लिए प्रोफिलै िसस के रूप में आयुर्वेद के हस्तक्षेप पर नैदानिक अनुसंधान अध्ययन – आयुष मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के माध्यम से एक संयुक्त पहल के रूप में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (आईसीएमआर ) के तकनीकी सहयोग के साथ सहयोगात्मक नैदानिक अध्ययन।

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि आयुष और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया यह ऐप 50 लाख लोगों के लक्ष्य तक पहुंचेगा।

अन्तर्विषयक आयुष अनुसंधान और विकास कार्य बल ने कोविड -19 के पुष्ट मामलों में रोग निरोधी अध्ययनों और ऐड-ऑन हस्तक्षेपों के लिए नैदानिक अनुसंधान प्रोटोकॉल और डिज़ाइन तैयार किए हैं, जो चार अलग-अलग औषधियों के हस्तक्षेपों का अध्ययन करने के लिए देश भर में विभिन्न संगठनों के उच्च याति प्राप्त विशेषज्ञों की सलाह और परामर्श की प्रक्रिया में है। ये ओषधियाँ अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडूची और पिप्पली का एक पाली हर्बल सूत्रीकरण (आयुष -64) है। अ. कोविड -19 महामारी के दौरान बढ़ते जोखिम में अश्वगंधा को स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं में एसएआरएस-कोव-2 (स््रक्रस्-ष्टह्रङ्क-2) के खिलाफ प्रोफिलै िसस के लिए हाइड्रॉ सी लोरोक्वीन के साथ तुलन

ब. कोविड -19 के लिए मध्यवर्ती एवं हल्के के उपचार के लिए देखभाल के मानक’ के सहायक के रूप में आयुर्वेद निर्माण की प्रभावशीलता: एक अनियमित, खुला, समानांतर प्रभावकारिता, सक्रिय नियंत्रण, बहुउद्देशीय खोजपरक दवा परीक्षण।

  1. आयुष आधारित रोगनिरोधी हस्तक्षेपों के प्रभाव पर जनसंख्या आधारित पारंपरिक अध्ययन: आयुष मंत्रालय ने उच्च जोखिम वाली आबादी में कोविड -19 संक्रमण की रोकथाम में आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए जनसं या आधारित अध्ययन शुरू कर रहा है। इसके मु य उद्देश्यों में कोविड-19 के लिए आयुष हस्तक्षेपों की निवारक क्षमता का आकलन और उच्च जोखिम वाली आबादी में जीवन की गुणवाा में सुधार का आकलन करना शामिल हैं। देश भर के 25 राज्यों में आयुष मंत्रालय और राष्ट्रीय संस्थानों के तहत चार अनुसंधान परिषदों के माध्यम से अध्ययन किया जाएगा और कई राज्य सरकारों को कवर किया जाएगा। अध्ययन के परिणाम निश्चित रूप से वैज्ञानिक सबूतों के माध्यम से कोविड-19 जैसे महामारी के दौरान आयुष हस्तक्षेपों की निवारक क्षमता को समझने में एक नया क्षितिज प्रशस्त करेंगे।
  1. कोविड-19 की रोकथाम में आयुष संजीवनी की भूमिका और आयुष सलाह की स्वीकृति तथा उपयोग के प्रभाव मूल्यांकन के लिए अध्ययन आधारित अनुप्रयोग : आयुष मंत्रालय ने 50 लाख लोगों के लक्ष्य के साथ बड़ी आबादी का डेटा तैयार करने के लिए आयुष संजीवनी मोबाइल ऐप विकसित किया है। । आयुष की स्वीकृति और उपयोग के आंकड़े और जनसं या के बीच के उपाय और कोविड-19 की रोकथाम में इसके प्रभाव आदि इसके मु य अपेक्षित परिणामों में शामिल हैं । इस मौके पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में विशेषाधिकारी राजेश भूषण आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कौटेचा, सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर मांडे, भारत के ड्रग कंट्रौलर डा. वी जी सोमानी और दोनों मत्रांलय के वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौजूद थे।

जलतेदीप की मुहिम को मिली शानदार सफलता

कोविड के खिलाफ जंग में जलतेदीप समूह ने भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का उपयोग करने की जो मुहिम चलाई थी इसका असर आज यहां दिखा। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन और आयुष राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने संजीवनी एप और कई नवाचार लांच कर आयुर्वेद के लिये नया इतिहास रचा है। यहाँ यह उल्लेख करना भी उचित होगा कि जलतेदीप ने कोरोना वायरस के संक्रमण की समस्या शुरू होने के बाद 14 मार्च से ही इस बारे में एक अभियान चलाया जिसके तहत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, केन्द्रीय मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री गण के साथ ही अन्य कई सरकारी और ग़ैर सरकारी संस्थाओं और मीडिया के माध्यम से इस मुहिम को आगे बढ़ाया । इसके पीछे ठोस तर्क भी रखे गए कि पिछले दौर में जितनी भी महाव्याधियों का आक्रमण हुआ तब तब आयुर्वेद ओषधियाँ रामबाण साबित हुयी है।

स्वाइन फ्लू का उदाहरण इसका सबूत है, जब घर घर काढ़ा इस रोग को जड़ से काटने में सटीक औषधी के रूप में उपयोगी रहा था। यह सही है कि कोविड वायरस की अभी तक कोई वेकसीन अथवा दवा नहीं बन पाई है और इसके लिए भारत सहित कई देश शोध में जुटे हुए है लेकिन यह बात सभी मानते है की इम्यूनिटी बढ़ाने में आयुर्वेद का कोई तोड़ नहीं है। भारतीय संस्कृति में वैदिक काल से ही इसका प्रचलन है और सारी दुनिया में हर कोई इसका लोहा मानता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कई बार अपने स बोधन में इसी सोच के साथ इस शतादी की इस सबसे बड़ी बीमारी और त्रासदी से लड़ाई में इसकी प्रतिष्ठा को पुनर्रस्थापित करने पर बल दिया । हमारी अपने सुधि पाठकों और सभी नागरिकों से पुन: अपील है कि वे अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें, गर्म पानी, काढ़ा, इनका निरंतर सेवन करें।