
पानी जो एक जीवन देने वाला तरल है वह एक जीवन लेने वाला घातक तरल पदार्थ भी हो सकता है। दुनिया में लगभग 3.1 प्रतिशत मौतें पानी की गन्दी और खराब गुणवत्ता के कारण होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में 80 प्रतिशत बीमारियाँ जल द्वारा उत्पन्न होती है। चिंताजनक रूप से, भारत के 600 जिलों में से एक तिहाई जिलों में भूजल पीने के लिए अयोग्य है – जिसमें फ्लोराइड, लोहा, खारापन और आर्सेनिक खतरनाक स्तर पर पाया जाता है। लगभग 65 मिलियन लोग फ्लोरोसिस से पीडि़त हैं, जो अतिरिक्त फ्लोराइड के कारण होने वाली विकलांग बनाने वाली एक बीमारी है – एक बीमारी जो आमतौर पर उत्तर भारत में राजस्थान राज्य में पाई जाती है। वाशिंगटन डीसी स्थित विश्व संसाधन संस्थान की एक विश्व संसाधन रिपोर्ट ने भारत के 70 प्रतिशत जल आपूर्ति को चिंताजनक रूप से गंभीर प्रदूषित बताया। संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत के जल की गुणवत्ता को मानव उपभोग के लिए उपलब्ध जल की गुणवत्ता में 122 देशों में से 120वें स्थान पर रखा है। 122वां सबसे खराब है।
सुरक्षित पेयजल

जलजनित बीमारियों की रोकथाम स्वच्छ और सुरक्षित पानी तक पहुंच सुनिश्चित करने से शुरू होती है। केवल फि़ल्टर्ड या उबला हुआ पानी पिएं। इन्फेक्शन को रोकने के लिए पानी के जार या कंटेनर्स को रोजाना धोना चाहिए। दुर्भाग्य से, दुनिया भर में लाखों बच्चों अभी भी बेहतर जल स्रोतों से वंचित है, जिससे वे रोकथाम योग्य बीमारियों के प्रति संवेदनशील हैं। इसके अतिरिक्त, संभावित जोखिम की पहचान करने के लिए पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी महत्वपूर्ण है।
शिक्षित करना

शिक्षा पानी की वजह से होने वाली बीमारियों से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। माता-पिता और देखभाल करने वालों को पीने, खाना पकाने और व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए सुरक्षित पानी के उपयोग के महत्व के बारे में समझाना आवश्यक है। सही तरीके से हाथ धोना, भोजन करने से पहले और शौचालय का उपयोग करने के बाद, हाथों के जरिए फैलने वाले इन्फेक्शन को कम करने में काफी मदद कर सकता है। स्वास्थ्य संगठनों को, स्कूलों और समुदाय के नेताओं के साथ, कम उम्र से ही हेल्थ कितना जरूरी है ये बताना चाहिए।
टीकाकरण
कुछ जलजनित बीमारियों को रोकने में टीकाकरण एक शक्तिशाली उपकरण है। यह सुनिश्चित करना कि बच्चों को समय पर टीकाकरण मिले, इससे न केवल उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा होती है, बल्कि टीकाकण जो उन लोगों की भी रक्षा करता है जो किसी दूसरी बीमारियों की वजह से वैक्सीन लगवाने के योग्य नहीं।
साफ-सफाई
स्वच्छता और साफ-सफाई जलजनित रोग की रोकथाम की आधारशिला हैं। जल प्रदूषण को रोकने के लिए मानव अपशिष्ट का उचित निपटान, पानी का सुरक्षित भंडारण और पानी के कंटेनरों की नियमित सफाई आवश्यक हैं। सरकारों और संगठनों को समुदायों को बेहतर स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने, अच्छी स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जो बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करती हैं और जलजनित बीमारियों के खतरे को कम करती हैं।
पहचान और उपचार
जलजनित बीमारियों की समय पर पहचान और प्रबंधन उसकी जटिलताओं को रोकने और पूर्ण स्वस्थ होने को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। हेल्थ एक्सपट्र्स को इन बीमारियों के लक्षणों और संकेतों की पहचान में सतर्क रहना चाहिए, खासकर छोटे बच्चों में जिन्हें अपनी परेशानी बताने में कठिनाई हो सकती है। लक्षणों की पहचान कर तुरंत उपचार शुरू कर देना चाहिए। जिससे स्थिति को गंभीर होने स रोका जा सकता है। बच्चों में जलजनित बीमारियों से सुरक्षा और रोकथाम हम सबकी जिम्मेदारी है। तो इसे गंभीरता से लें।