सत्र समीक्षा— 22 दिन और 175 घंटे चला सदन, सोलहवीं विधान सभा का द्वितीय सत्र नवाचारों के साथ सम्‍पन्‍न : देवनानी

देवनानी
देवनानी

पहली बार सदन में विधायकों ने बताये नवाचार

जयपुर। राजस्‍थान विधान सभा अध्‍यक्ष वासुदेव देवनानी ने सोलहवीं राजस्‍थान विधान सभा के द्वितीय सत्र को मंगलवार 06 अगस्‍त को मध्‍यान्‍ह पश्‍चात 1:53 बजे अनिश्चितकाल के लिए स्‍थगित किया। इस सत्र में स्‍पीकर श्री देवनानी ने नवाचार किये। देवनानी ने पर्ची व्‍यवस्‍था इस सत्र से पुन: आरम्‍भ की। पन्‍द्रहवीं विधानसभा में पर्ची व्‍यवस्‍था को बंद कर दिया गया था।

पहली बार सदन में विधायकों ने बताये नवाचार –

स्‍पीकर श्री देवनानी ने विधायकों से अपने क्षेत्र के अनुभवों और नवाचारों पर विचार रखवाये। राजस्‍थान विधान सभा में यह नवाचार पहली बार हुआ है। कदाचित देश की विधान सभाओं में भी राजस्‍थान विधान सभा ही ऐसी विधान सभा होगी जहां विधायकों के अनुभवों पर विचार रखे गये। अध्‍यक्ष श्री देवनानी ने इस सत्र में वार्षिक प्रगति प्रतिवेदनों पर भी सदन में चर्चा करवाई। लोकायुक्‍त, राजस्‍थान के प्रतिवेदन पर राजस्‍थान विधान सभा के सदन में विधायकों से पहली बार चर्चा करवाई गई।

22 दिन और 175 घंटे चला सदन –

राजस्‍थान विधान सभा अध्‍यक्ष श्री वासुदेव देवनानी प्रदेश में नवाचारों के लिए जाने जाते है। राजस्‍थान विधान सभा में अध्‍यक्ष पद पर सर्व सम्‍मति से निर्वाचित होने के उपरान्‍त उन्‍होंने स्‍वयं पहल कर अनेक नवाचार कराकर राजस्‍थान विधान सभा को देश की सर्वश्रेष्‍ठ विधान सभा बनाने का प्रयास किया है। सदन में अध्‍यक्ष के आसन को सम्‍भालने के समय श्री देवनानी ने कहा था कि वे राजस्‍थान विधान सभा की मान – मर्यादा को बनाये रखने के लिए सर्वदा प्रयासरत रहेंगे। सदन की ज्‍यादा से ज्‍यादा बैठके करायेंगे और अध्‍यक्ष पद की गरिमा और निष्‍पक्षता को बनाये रखेंगे।

सदन संचालन में उन्‍होंने प्रभावी भूमिका निभाई है। सोलहवीं राजस्‍थान विधान सभा का द्वितीय सत्र 03 जुलाई से प्रारम्‍भ होकर 06 अगस्‍त को अनिश्चितकाल के लिये स्‍थगित किया गया। अध्‍यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने बताया कि द्वितीय सत्र में कुल 22 बैठकें हुई और 06 अगस्‍त को कार्यवाही समाप्‍त होने तक लगभग 175 घण्‍टे 13 मिनट विधान सभा की कार्यवाही चली। पन्‍द्रहवीं विधान सभा का द्वितीय सत्र 21 दिवस और चौदहवीं विधान सभा का द्वितीय सत्र में 17 बैठके हुई थी।

प्रश्‍न –

इस सत्र में विधायकों से कुल 8088 प्रश्‍न प्राप्‍त हुए, जिनमें से तारांकित प्रश्‍न 3812 एवं अतारांकित प्रश्‍न 4276 थे। कुल 420 तारांकित प्रश्‍न सूचीबद्ध हुए, जिनमें से 268 प्रश्‍न मौखिक रूप से पूछे गये एवं उनके उत्‍तर दिये गये। इसी तरह 426 अतारांकित प्रश्‍न सूचीबद्ध हुए। श्री देवनानी ने बताया कि इस सत्र में प्राप्‍त प्रश्‍नों के जवाब शीघ्र ही विधायकों को भिजवा दिये जायेंगे। इससे पहले श्री देवनानी ने प्रश्‍नों के जवाब नहीं आने पर विभिन्‍न विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक के पश्‍चात 92 प्रतिशत प्रश्‍नों के जवाब विधान सभा को प्राप्‍त हो गए थे। पन्‍द्रहवीं विधान सभा के बकाया प्रश्‍नों के जवाब भी विधान सभा को प्राप्‍त हो गए थे। सोलहवीं विधान सभा के प्रथम सत्र के प्रश्‍नों के जवाब भी द्वितीय सत्र के आरम्‍भ होने से पहले विधान सभा को प्राप्‍त हो गए।

प्रक्रिया के नियम-50 एवं नियम- 295 के अंतर्गत स्‍थगन व विशेष उल्‍लेख प्रस्‍ताव –

विधायकों से प्रक्रिया के नियम – 50 के अंतर्गत कुल 204 स्‍थगन प्रस्‍तावों की सूचना प्राप्‍त हुई। इनमें से 64 स्थगन प्रस्‍तावों पर सदन में बोलने का अवसर दिया गया तथा 56 विधायकों ने अपने विचार रखे। विधायकों से प्रक्रिया के नियम-295 के अंतर्गत 280 विशेष उल्‍लेख के प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुए। इनमें से 255 विशेष उल्‍लेख की सूचनाएं सदन में पढ़ी गईं या पढ़ी हुई मानी गईं तथा 42 सूचनाओं के संबंध में राज्‍य सरकार से जानकारी प्राप्‍त हुई। विशेष उल्‍लेख की 25 सूचनाएं विधायकों के सदन में अनुपस्थित होने के कारण व्‍यपगत हुई।

पर्ची –

अध्‍यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने पर्ची व्‍यवस्‍था को पुन: प्रारम्‍भ किया। विधायकों द्वारा कुल 808 पर्चियां प्राप्‍त हुई। जिनमें से शलाका द्वारा कुल 71 पर्चियां चयनित हुई व संबंधित विधायकों ने अपने विचार सदन के समक्ष रखें। श्री देवनानी ने बताया कि प्रतिदिन चार पर्चियों का प्रावधान है। पर्ची के माध्‍यम से लोक महत्‍व के तात्‍कालिक मुद्दो को सदन में उठाया जा सकता है। विधायकों द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन पर्ची लगाने की व्‍यवस्‍था है। लॉटरी द्वारा चार पर्चियों का चयन किया जाता है।

प्रक्रिया के नियम-119, 127 और 131 के अंतर्गत लोक हित, अविलम्‍बनीय लोक महत्‍व के विषय पर चर्चा एवं ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव –

प्रक्रिया के नियम-119 के अंतर्गत एक प्रस्‍ताव की सूचना प्राप्‍त हुई जिसे नियमानुकूल नहीं होने के कारण अग्राह्य किया गया। प्रक्रिया के नियम-127 के अंतर्गत तीन प्रस्‍तावों की सूचनाएं प्राप्‍त हुई। एक प्रस्‍ताव अग्राह्य किया गया। राज्‍य सरकार को तथ्‍यात्‍मक जानकारी के लिये दो प्रस्‍ताव प्रेषित किये गये। प्रक्रिया के नियम-131 के अंतर्गत 748 प्रस्‍तावों की सूचनाएं प्राप्‍त हुई, जिनमें से 14 ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव अग्राह्य किये गए। राज्‍य सरकार को तथ्‍यात्‍मक जानकारी के लिये 734 प्रस्‍ताव प्रेषित किये गये। सदन में संबंधित मंत्री का ध्‍यान आकर्षित करने हेतु कुल 39 प्रस्‍ताव कार्य-सूची में सूचीबद्ध किये गये।

परिवर्तित आय-व्‍ययक अनुमान वर्ष 2024-25 पर सामान्‍य वाद-विवाद एवं अनुदानों की मांगों पर विचार -परिवर्तित आय-व्‍ययक अनुमान का 10 जुलाई, को सदन में उपस्‍थापित किया गया, जिस पर 4 दिन सामान्‍य वाद-विवाद हुआ, जिसमें 132 विधायकों ने भाग लिया। वित्‍त मंत्री ने परिवर्तित आय-व्‍ययक पर हुए वाद-विवाद का राज्‍य सरकार की ओर से 16 जुलाई को उत्‍तर दिया। विभागों से संबंधित 64 अनुदानों की माँगों में से सर्वाधिक 19 अनुदान की मांगों पर पर सदन में चर्चा हेतु 8 दिवस नियत किये गये। अनुदान की मांगों पर 4215 कटौती प्रस्‍तावों की सूचना प्राप्‍त हुई, जिसमें से 3622 कटौती प्रस्‍ताव सदन में प्रस्‍तुत किये गये एवं 593 कटौती प्रस्‍ताव अग्राह्य किये गये। अनुदानों की मांगों पर हुई चर्चा में कुल 132 सदस्‍यों ने भाग लिया।

विधायी कार्य एवं याचिकाएं –

वर्तमान सत्र में पांच विधेयक पुर:स्‍थापित किये जाकर तीन विधेयक सदन द्वारा पारित किये गये तथा 1 विधेयक प्र‍वर समिति को सुपुर्द किया गया। विधेयकों पर विधायकों से कुल 37 संशोधन प्रस्‍ताव प्राप्‍त हुए, जिनमें से 05 संशोधन प्रस्‍ताव सचिवालय स्‍तर पर अग्राह्य एवं 32 संशोधन स्‍वीकार किये गये। सदन में 22 याचिकाएं विधायकों द्वारा उपस्‍थापित की गई।

प्रतिवेदनों का उपस्‍थापन एवं विचार –

सत्र में विभिन्‍न समितियों के कुल 20 प्रतिवेदन सदन में उपस्‍थापित किये गये। इस सत्र में 04 वार्षिक प्रगति प्रतिवेदनों पर विचार किया गया, जिस पर 41 विधायकों ने अपने विचार व्‍यक्‍त किए। राज्‍य में पेयजल, बिजली व आपदा प्रबंधन की स्थिति पर विचार एवं विधायकों के अनुभवों एवं नवाचारों पर विचार – प्रदेश में पेयजल व बिजली की स्थिति एवं आपदा प्रबंधन की स्थिति पर विचार हेतु कार्य दिवस नियत किये गये। जिन पर कुल 78 विधायकों ने अपने विचार सदन के समक्ष रखे। पहली बार विधायकों के अनुभव एवं नवाचारों पर चर्चा की पहल भी की गई।