जयपुर की रंगरीत संस्था द्वारा सात दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप शुरू

रंगरीत
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देश विदेश से प्रतिभागी सीख रहे भारतीय पारंपरिक चित्रकला के गुर

जयपुर। जयपुर की रंगरीत संस्था द्वारा भारतीय पारंपरिक चित्रकला का प्रशिक्षण देने के लिए 7 दिवसीय नि:शुल्क वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्कशॉप में देश-विदेश से 50 से अधिक नवांकुर कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इस आयोजन को लेकर प्रशिक्षक एवं वरिष्ठ वैदिक चित्रकार रामू रामदेव ने बताया कि इस वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों को राजस्थान की प्रसिद्ध जयपुर शैली पर आधारित चित्र बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें पारंपरिक कला की बारीकियों और विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए प्राचीन तकनीक से भी अवगत कराया जाएगा।

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वर्कशॉप की शुरूआत में चित्रकार रामू रामदेव ने पारंपरिक चित्रा कला को सीखने के छह सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला। जिसमें ध्यान, प्राणायाम, मौन व्रत, बाल मन, गुरु के प्रति समर्पण,अहंकार रहित, सिद्धान्तों का पालन कर मौलिक चित्र बनाने पर बल दिया। इसके पश्चात, रामू रामदेव ने एक राजसी महिला के चित्र के माध्यम से जयपुर शैली की चित्रकला का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया।

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किस प्रकार चित्र में महिला की वेशभूषा और आभूषण जयपुर शैली की पारंपरिक विशेषताओं को दर्शाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि चित्र में महिला के सिर पर जटिल श्रृंगार, कानों में झुमके, माथे पर बिंदी और गले में हार निहायत विस्तार से चित्रित हैं। उसकी साड़ी और ओढ़नी बहुत बारीकी से बनाई गई है, जिसमें सोने की कारीगरी साफ नजर आती है। पृष्ठभूमि में हरे रंग पर सोने के फूलों का प्रयोग जयपुर चित्रकला की विशेषता है, जो राजसी ठाठ-बाठ को उजागर करता है। उन्होंने बताया कि पारंपरिक चित्रकला केवल कलात्मक कौशल का प्रदर्शन ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को भी दर्शाती है।

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