राष्ट्रीयकृत बैंकों की ऋण माफी हेतु वन टाइम सैटलमैंट स्कीम के लिए केन्द्र को लिखे कई पत्र : ममता भूपेश

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जयपुर। आयोजना मंत्री ममता भूपेश ने विधानसभा में बताया कि प्रदेश में किसानों का राष्ट्रीयकृत बैंकों, अनुसूचित बैंकों एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार अपने 19 दिसम्बर 2018 के आदेश के अनुसार इन बैंकों के अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने का विचार रखती है। उन्होंने कहा कि इसके लिए अन्तरविभागीय मंत्रियों एवं अधिकारियों की समिति की अनुशंषा पर सहकारिता तथा आयोजना विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है। उन्होंने बताया किा इन बैंकों की ऋण माफी के लिए वन टाइम सैटलमेंट स्कीम लाने के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार को विभिन्न पत्र लिखे हैं।

आयोजना मंत्री प्रश्नकाल के दौरान सदस्य द्वारा इस संबंध में पूछे गए प्रश्न का जवाब दे रही थीं। विधायक श्रीमती इन्द्रा के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में आयोजना मंत्री ने अवगत कराया कि इन बैंकों का अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अब तक लिखे गए पत्रों के जवाब में केन्द्र सरकार ने कृषक ऋण माफी के लिए आर्थिक सहायता देने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री ने 2 जनवरी 2019, 21 दिसम्बर 2020 तथा 27 दिसम्बर 2021 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखे हैं। इसके अलावा राज्य के मुख्य सचिव की ओर से भी 21 सितम्बर 2022 को वित्त मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर ऋण माफी में आर्थिक सहयोग का आग्रह किया गया है।

आयोजना मंत्री ने बताया कि पत्रों के जवाब में भारत सरकार ने केवल एक पत्र 11 अप्रेल 2022 को दिया जिसमें कृषक ऋण माफी के लिए आर्थिक सहायता देने से मना किया गया है। आयोजना मंत्री ने इन पत्रों का विवरण सदन के पटल पर रखा।

उन्होंने बताया कि इन पत्रों में मुख्यमंत्री ने भारत सरकार से केन्द्र की तत्कालीन सरकार द्वारा वर्ष 2008 में करीब 72 हजार करोड की देशव्यापी कर्ज माफी की तरह राष्ट्रीयकृत बैंकों को कर्ज माफी की वन टाइम सैटलमेंट स्कीम लाने हेतु निर्देशित कराने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस संबंध में 9 नवम्बर 2021 को वन टाइम सैटलमेंट एक मुश्त ऋण माफी योजना के तहत 90 अनुपात 10 का ऋण माफी का प्रस्ताव वाणिज्यिक बैंकों, अनुसूचित बैंकों व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कॉर्पोरेट कार्यालयों को भिजवाया लेकिन किसी भी बैंक प्रबन्धन ने इस प्रस्ताव पर अब तक सहमति नही दी है।