
डूंगरपुर। शोभायात्रा में सबसे आगे महिलाएं कलश सिर पर धारण किए हुए चल रही थी। इनके पीछे भगवान रजत पालकी में विराजित थे नगर के योगींद्र गिरी दिगंबर जैन अतिशय तीर्थ पर सकल दशा हुमड़ दिगंबर जैन समाज के संयोजन में यजमान भूरी देवी रतन लाल खोडनिया परिवार की ओर से चल रहे आठ दिवसीय सिद्धचक्र महामंडल विधान की पूर्णाहुति आचार्य अनुभव सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में बुधवार शाम को हुई।
पूर्णाहुति के बाद अतिशय तीर्थ क्षेत्र से जैन बोर्डिंग तक गाजेबाजे के साथ भगवान की शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा में सबसे आगे महिलाएं कलश सिर पर धारण किए हुए चल रही थी। इनके पीछे भगवान को रजत पालकी में विराजित कर श्रद्धालु कंधों पर धारण कर चल रहे थे। पीछे आचार्य ससंघ के साथ श्रद्धालु जय कारे लगाते हुए चल रहे थे। इससे पूर्व सिद्ध चक्र महामंडल विधान की पूर्णाहुति पर संहितासूरी प्रतिष्ठाचार्य पं हंसमुख जैन धरियावद के मंत्रोच्चार के साथ विविध पूजन, अभिषेक व शांतिधारा के बाद पूर्णाहुति हुई।
इस अवसर पर आदिवासी समाज समेत विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने पहुंच कर आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया। वहीं विधान के यजमान दिनेश खोडनिया, बदामीलाल खोडनिया, नरेंद्र कुमार खोडनिया और संतोष कुमार खोडनिया समेत यजमान परिवार का बहुमान किया। आचार्य अनुभव सागरजी महाराज ने श्रद्धालुओं को अपने आशीर्वचन में धर्म के मार्ग पर चलते हुए आचरण की मर्यादा में रहते हुए प्राणी मात्र के साथ समता का व्यवहार करने की सीख दी।
आचार्य ने कहा कि सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रम्हचर्य ये पंच रत्न हैं जो हर काल, हर भव में प्रासंगिक हैं। जिनका अनुसरण करने से व्यक्ति जीवन मे कभी असफल नहीं हो सकता और वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष रूपी पुरुषार्थ को पाने का पात्र बन जाता है। महामंडल विधान की सफल पूर्णाहुति पर यजमान परिवार के दिनेश खोडनिया ने आचार्य ससंघ का आभार निवेदन कर आशीर्वाद लिया।
पूरे विधान में नित्य पूजन व अनुष्ठान कराने के लिए प्रतिष्ठाचार्य के साथ ही सभी गणमान्य अतिथियों और धर्म प्रेमियों का आभार जताया। इस अवसर पर समाज के सेठ महेश कुमार नोगमिया, आदिश खोडनिया, हिरेन खोडनिया समेत समाज के पदाधिकारी, ट्रस्टी व डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों के श्रावक मौजूद थे।