खामोश! पुलिस सो रही है

हमें लगता है कि अब जंग बहादुर को रात्रिगश्त के दौरान थाने के अंदर जाकर ‘जागते रहो.. के सुर बहाने की जरूरत है। उसके साथ पुलिस का सिपाही हो तो ठीक-नही हो, तो ठीक। उसके साथ होमगार्ड का जवान हो तो ठीक, नहीं हो तो ठीक। अकेला गोरखा ही काफी। थाने की चौकीदारी इसलिए ताकि कोई पुलिस की आंखों से काजल ना चुरा सके। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।

पुलिस पर पहरे और थाने की गश्त करने की बात को लेकर खाकी वर्दी सम्प्रदाय को ‘रीसÓ आ रही होगी। पांडु समर्थक ताकतों को गुस्सा आ रहा होगा। इस की पलट में भतेरे लोग मुस्करा रहे होंगे। पक्ष-विपक्ष लोकतांत्रिक व्यवस्था के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। एक सेना को छोड़ द्यो, वरना हर ‘शै को लेकर दो पक्ष। कई गद्दार ऐसे भी जो सेना पे अंगुली उठाने से बाज नही आते। वरना पूरा देश जवानों के पीछे। सेना की बदौलत हम-आप सुरक्षित हैं। सरहदों के पहरूए जागते हैं, और अपन चैन की नींद लेते हैं। कोई देश प्रेमी सेना के बारे में उलटा-सुलटा कहना-सुनना पसंद नही करता और जो गद्दार ऐसा करते हैं उन्हें जवाब देना भी आता है। पक्ष-विपक्ष पुलिस पे हो सकते हैं। पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर विरोध और गुस्सा-आक्रोश हो सकता है। सेना को सेल्यूट।

पुलिस की कार्य प्रणाली को लेकर ज्यादातर लोग नाखुश नजर आते हैं। मानते हैं कि संकट के समय भगवान के बाद पुलिस याद आती है। यह भी सच है कि संकट खडा करने में भी पुलिस का नंबर वन। वैसे तो पुलिस की परिभाषा सॉलिड है। धांसू है। धाकड़ है मगर वो कागजों में ही सुट्ठी लगती है। कहने में शानदार-सुनने में जानदार। हकीकत में कोसों दूर। हां कुछ अपवाद हो सकते हैं। ऐसा नहीं कि पूरा पुलिस बेड़ा ‘बिगड़ा हुआ है। पुलिस परिवार में अच्छे लोग भी हैं। ईमानदार हैं। कर्तव्यनिष्ठ है। उन्हीं की वजह से पुलिस की परिभाषा ‘पुरूषार्थी-सिप्सारहित-सहयोगीÓ जिन्दा है, वरना हर साल किए जाने वाले सर्वे में पुलिस भ्रष्टाचार में अव्वल। एक संस्था हर साल सरकारी महकमों में होने वाले भ्रष्टाचार और घूसपंथी का सर्वे करवाती है। पिछले कई सालों से पुलिस महकमा उसमें नंबर वन पर बना हुआ है। हाल-हूलिया यही रहा तो आने वाले सालों-पीढियों तक यह रिकॉर्ड कोई दरका नही सकेगा। रिकॉर्ड तोडऩा दूर की बात, कोई छू भी नही सकेगा।

पुलिस की सरपरस्ती में सारे उलटे धंधे होते हैं। अवैध शराब की बिकरी पुलिस की नजरों के सामने। जिस्मफरोसी पर पुलिस की नजर। गुब्बा खाई-सट्टा लगाई पुलिस के पहरे में। भाई लोगों की मददगार पुलिस। पुलिस काले को धोला और धोले को पीला करने में हैडमास्टर। पुलिस की निगहबानी में जुएं चलते हैं-केसीनों चलते हैं। पुलिस हफ्ता वसूलती है। भाईसेण चासे लेते हैं कि यदि बॉर्डर पर पुलिस को लगा दिया जाए तो क्या होगा। होगा वही जो चौक-चौबारों पे होता है। पांडु पांच-पच्चीस लेकर इधर का बंदा उधर-उधर का बंदा इधर करने से बाज आने वाले नहीं।

पुलिस की अपनी कार्य प्रणाली है। पुलिस के काम करने के अपने तौर-तरीके हंै। पुलिस की अपनी गश्त है। गश्त की मस्ती अलग है। रात बारह-एक बजे के बाद गश्ती दल सड़क के आजू-बाजू बने घरों की चांतरियों अथवा दुकानों के बाहर लेटकर गश्त करता नजर आ जाएगा। किसी बड़े अफसर की चैकिंग हो तो बात अलग वरना जहां पुलिस वाला ऊंघता है, उससे सौै कदम दूर स्थित दुकान में सैंध लग जाती है और किसी को कानो कान खबर नही होती। खुद पांडु को सुबह पता चलता है, वह भी अखबारों के जरिए।

थानों-चौकियों में-‘मेरे योग्य कोई सेवा और ‘अपराधियों में खौफ सरीखे जुमले लिखे नजर आते हैं। वो दीवारों पर ही अच्छे लगते हैं। पांडु जनता की कैसी और कितनी सेवा करते हैं, सब जानते हैं। रही बात अपराधियों में खौफ की, तो आंखों से काजल चुरा लेना देग का एक चावल। पूरा थाना नींदुपुर की आगोश में और जागरूक चोर आंखों से सुरमा चुरा के ले गए।

हवा सीकर से आई। वहां के उद्योग नगर थाने से चोर दो बाइक चुरा के ले गए। थाना परिसर में सीज किए वाहन रखे जाते हैं। बरामद वाहन वहीं टेक दिए जाते है। लगभग हर थाना परिसर में ऐसे वाहन पड़े मिल जाएंगे। चोर भाई आए और दो वाहन ले कर चंपत हो गए। इसका पता तब लगा जब मालिक कोर्ट का आदेश लेकर अपना वाहन छुड़ाने थाने पहुंचा। ऐसा नही होता तो पुलिस ऊंद्यती रहती और वाहन उड़ते रहते। बिचारे वाहन मालिक ने बडी मुश्किल से जमानत करवाई और थाने में आकर देखा तो वाहन गायब।

अब आप ही बताइए कि अपराधियों में पुलिस के प्रति खौफ है या पुलिस ऊंघ रही है। उसे जगाने के लिए जंग बहादुर गोरखा को थाने में भेजने की जरूरत है ताकि वो अंदर जा के डंडा पटके-सिटी बजाए और ‘जागते रहो..Ó की लहरियां बिखेरे। एक बात और थाने में कृपया शांति रखें लिखा है, उसके नीचे-‘वरना पांडु जाग जाएंगे.. उकेर दिया जाए।Ó