खर्राटे लेना अच्छी बात नहीं, क्योंकि इससे आपकी याददाश्त हो सकती है प्रभावित

खर्राटे
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दिनभर की भाग-दौड़ के बाद रात का समय वह टाइम होता है, जब हम शारीरिक और मानसिक तौर से रिलैक्स करने करते हैं। सोते समय हमारे सेल्स खुद को रिपेयर करते हैं और रिजूविनेशन की प्रक्रिया तेजी से होती है। इस दौरान हमारा दिमाग शॉर्ट टर्म मेमोरी से चीजों को लॉन्ग टर्म मेमोरी में ट्रांसफर करता है। जिस कारण से भरपूर नींद लेना हमारे दिमाग के फंक्शन के लिए काफी जरूरी होता है। इसलिए ही, नींद में खलल पडऩे की वजह से दिमाग के फंक्शन पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। हाल ही में, एम्स के शोधकर्ताओं की एक टीम ने भी इस बारे में एक अध्ययन किया, जिसमें सोते समय खर्राटे लेना और स्लीप एपनिया की समस्या किस प्रकार कॉग्नीटिव हेल्थ को प्रभावित कर सकती है, इस बारे में जानने की कोशिश की गई। आइए जानते हैं, क्या निकला इस स्टडी का निष्कर्ष।

क्या पाया गया स्टडी में?

एम्स दिल्ली, इरास्मस मेडिकल सेंटर (नीदरलैंड्स), हार्वर्ड टी एच चैन स्कूल (यूएसए) और राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के रिसर्चर्स के मुताबिक, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के गंभीर लक्षण, सूचना को प्रोसेस करने की क्षमता, याददाश्त और दूसरे कार्यकारी फंक्शन्स को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। सांस लेने में रुकावट की वजह से हाइपोक्सिया, जिसमें शरीर के नॉर्मल फंक्शन के लिए टीशूज तक सही मात्रा में ऑक्सीजन न पहुंच पाता और दिमाग के न्यूरोवैस्कुलर सिस्टम में बदलाव होते हैं, जो आगे चलकर किसी बीमारी की वजह बन सकते हैं। इस कारण से ब्लड वेस्ल्स की भीतरी स्तहों के फंक्शन में रुकावट, ब्लड सर्कुलेशन में कमी और नर्वस सिस्टम में इंफ्लेमेशन जैसी कई अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।

क्या पड़ता है इससे प्रभाव?

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नर्वस सिस्टम में सूजन की वजह से दिमाग के आकार में परिवर्तन, टीशू डैमेज और अन्य दूसरी समस्याएं, जैसे अटेंशन में कमी, याददाश्त कमजोर होना, रिएक्शन टाइम धीमा होना, प्रॉब्लम सॉल्विंग में दिक्कत आना, जैसी कई परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए स्लीप एपनिया का इलाज और बिना किसी बाधा के भरपूर नींद लेने से कॉग्निटिव हेल्थ बेहतर रह सकती है।

क्या है स्लीप एपनिया?

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क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, स्लीप एपनिया एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें सोते वक्त आप सांस नहीं ले पाते हैं। यह एयर पैसेज में ब्लॉकेज या दिमाग के ठीक से सिग्नल न भेजने की वजह से होता है। सांस न आने की वजह से अचानक नींद खुलती है, जिस कारण से सोने में खलल पड़ता है। इस कारण से दिमाग के साथ साथ दिल पर भी काफी प्रभाव पड़ता है और खर्राटे, थकान जैसी अन्य दिक्कतें भी होती हैं।

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