जयपुर। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ट्रॉमा सेंटर स्थित स्किल लैब में आज न्यूरोसर्जरी एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय वर्कशॉप की शुरुआत हुई। कार्यक्रम का आयोजन विभागाध्यक्ष एवं अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. मनीष अग्रवाल के मार्गदर्शन में किया गया। डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि यह प्रशिक्षण भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार आयोजित किया जा रहा है। सभी राज्यों के डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों के लिए नवीनतम तकनीकों व उपचार पद्धतियों की जानकारी अत्यंत आवश्यक है। प्रशिक्षण आयोजक डॉ. अरविंद शर्मा व डॉ. गौरव जैन ने बताया कि इस वर्कशॉप में प्रदेशभर से लगभग 30 डॉक्टर और 30 नर्सिंग अधिकारी भाग ले रहे हैं।
वर्कशॉप के पहले दिन विशेषज्ञों ने महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। डॉ. रसीम कटारिया (न्यूरोसर्जन) ने गंभीर सिर की चोट की पहचान और मरीज को उच्च केंद्र पर कब रेफर करना चाहिए, इस पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ट्रॉमा पीड़ित को समय पर शिफ्ट करना जीवनरक्षक सिद्ध हो सकता है। डॉ. अनुराग धाकड़ (अस्थिरोग विशेषज्ञ) ने बताया कि ट्रॉमा केस में सुरक्षित हैंडलिंग बेहद जरूरी है तथा मौके पर दी गई फर्स्ट एड दर्द और गंभीरता को कम कर सकती है।
डॉ. नीलू शर्मा, डॉ. सिद्धार्थ शर्मा और डॉ. दिनेश गोरा ने भी अपने-अपने विषयों पर व्याख्यान दिए। व्याख्यानों के बाद हैंड्स-ऑन डिमॉन्स्ट्रेशन कराए गए, जिनमें आपातकालीन प्रक्रियाओं जैसे सीटी स्कैन की जानकारी, इंटुबेशन, शॉक मैनेजमेंट आदि का अभ्यास कराया गया। इस गतिविधि में राधे लाल शर्मा, विजयेंद्र कुमार गुप्ता, राजकुमार, सीमा सरस्वत, राकेश जागा, उर्वशी और सिन्णू सिंगल ने सक्रिय भागीदारी निभाई। यह वर्कशॉप तीन दिनों तक चलेगी, जिसमें प्रतिभागियों को ट्रॉमा मैनेजमेंट और आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रियाओं पर नवीनतम प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा।
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