भीलवाड़ा –राजस्थान की विश्वप्रसिद्ध फड़ चित्रकला अब केवल आंखों से देखने की नहीं, कानों से सुनने की भी कला बन गई है। शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त फड़ चित्रकार विजय जोशी ने पाबूजी की फड़ में ऑडियो तकनीक जोड़कर परंपरा और तकनीक का अद्भुत संगम रचा है।
अब दर्शक फड़ चित्रों को डिजिटल लालटेन और हेडफोन के माध्यम से देख और सुन सकते हैं। हर चित्र के साथ क्यूआर कोड और एनएफसी टैग जुड़े हैं, जिन्हें स्कैन करते ही उससे जुड़ी लोकगाथा, रामायण या पाबूजी की कहानी सरल हिंदी में सुनाई देती है।
5 फीट चौड़ी और 15 फीट लंबी इस फड़ में जोशी ने आधुनिक तकनीक को इस तरह जोड़ा है कि बच्चे, युवा और यहां तक कि दृष्टिबाधित लोग भी इसकी कहानियों से जुड़ सकें। पहले फड़ को भोपाओं की वाणी से सुना जाता था, जो नई पीढ़ी को समझना कठिन होता था। अब इस तकनीक के जरिए हर दृश्य जीवंत हो गया है।
यह नवाचार संग्रहालयों, शैक्षणिक संस्थानों, पर्यटन स्थलों और प्रदर्शनियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। विजय जोशी अब तक 100 से अधिक विषयों पर फड़ बना चुके हैं – जिनमें महात्मा गांधी, अमिताभ बच्चन, रामायण और महाभारत जैसे विषय शामिल हैं। उनके पिता शांतिलाल जोशी को राष्ट्रपति पुरस्कार मिल चुका है, और विजय जोशी स्वयं अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी, मेक्सिको सहित कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन कर चुके हैं।
विजय जोशी कहते हैं, “नई पीढ़ी को तकनीक के माध्यम से जोड़ना जरूरी है। अब फड़ केवल दीवार पर टंगी पेंटिंग नहीं, बल्कि ‘बोलती’ विरासत बन चुकी है।” उनका यह प्रयोग सिर्फ नवाचार नहीं, लोकसंवेदना की नई यात्रा है, जो दिखाता है कि जब परंपरा तकनीक से मिलती है, तो कला और भी समृद्ध होती है।
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