जैसलमेर में बीएसएफ का सैनिक सम्मेलन

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
  • सीमा सुरक्षा बल के जवान हर पल अपने मोटो “जीवन पर्यन्त कर्तव्य” को कर रहे हैं चरितार्थ : उपराष्ट्रपति

जयपुर। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को जैसलमेर में बीएसएफ के सैनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जवानों से कहा कि आपके बीच में आकर एक नई ऊर्जा का अहसास कर रहा हूं और ये पल मेरे लिए सदा यादगार रहेगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के जवान हर पल अपने मोटो “जीवन पर्यन्त कर्तव्य” को चरितार्थ कर रहे हैं। उनके परिवारजनों को त्याग को स्मरण करते हुए धनखड़ ने कहा कि मैं नमन करता हूं आज उन माताओं को जिन्होंने आप जैसे वीर सुपुत्र और वीरांगनाओं को जन्म दिया है और राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

इस मौके पर अपने छात्र जीवन के याद करते हुए धनखड़ ने कहा कि मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ का छात्र रहा हूं। वर्दी की ताकत, वर्दी की अहमियत मुझे पता है। वर्दी आपको किस रूप में अचानक परिवर्तित कर देती है यह मैंने बचपन में देखा है। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के जवानों की कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपको देखकर मैं अभिभूत हूं। देश की प्रथम रक्षा पंक्ति- सीमा सुरक्षा बल उत्कृष्ट रूप से कर्तव्य निर्वहन कर रहा है। आपका कार्य अत्यंत प्रशंसनीय और वंदनीय है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी कर रहे बीएसएफ के जवानों के पुरुषार्थ की प्रशंसा करते हुए धनखड़ ने कहा कि ऐसी तपती धूप में कुछ मिनट भी खड़ा रहना मुश्किल है। चारों तरफ का वातावरण चुनौतीपूर्ण है और सीमा पर आपको एक पलक झपकाने की भी फुर्सत नहीं है। रक्षा बलों में महिलाओं की बढ़ती हुई भागीदारी का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की बदलती हुई तस्वीर कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस पर हमने देखी जहां हमारी बेटियों ने उत्साह और अपने दमखम से सब का दिल जीत लिया था। मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई जब उनकी भागीदारी देखी।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपनी जीवन बलिदान करने वाले अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए धनखड़ ने कहा कि मैं उन प्रहरियों को नमन करता हूं जो आज हमारी बीच नहीं हैं, जो मां भारती की रक्षा में अपना जीवन न्योछावर कर अमर हो गये।उन वीरों के परिवारजनों को भी विनयपूर्वक नमस्कार करता हूँ।

रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक ज़माना था जब कील तक बाहर से आती थी लेकिन अब हम रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं। विमान वाहक पोत विक्रांत देश में बना, तेजस बना, मिसाइलें बनी और यह मुमकिन इसलिए हुआ क्योंकि सीमाओं पर अमन-चैन आप कायम करते हो। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के जवानों से कहा कि आप शांति के दूत हैं; आपकी वजह से भारत दुनिया में शांति का दूत है और यह गर्व का विषय है सीमा सुरक्षा बल विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। और मैं यहां से ऊर्जावान होकर जा रहा हूं, एक नई प्रेरणा लेकर जा रहा हूं।

उपराष्ट्रपति ने देश के दुश्मनों द्वारा घुसपैठ, तस्करी आदि अपराधों के जरिये सीमावर्ती इलाकों में अस्थिरता लाने के प्रयासों को सीमा सुरक्षा बल द्वारा प्रभावी रूप से निष्फल करने की प्रशंसा की। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने में आधुनिक तकनीक के प्रयोग का भी आह्वान किया।

ज्ञात रहे कि गुरुवार शाम उपराष्ट्रपति ने जैसलमेर में बीएसएफ की बावलियांवाला सीमा चौकी का दौरा किया था और वहां तैनात जवानों से मुलाकात की थी। इस अवसर पर बीएसएफ के महानिदेशक डॉ. नितिन अग्रवाल, पश्चिमी कमांड के SDG वाई बी खुरानिया, जैसलमेर BSF के उप महानिरीक्षक विक्रम कुंवर व अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण
उपस्थित रहे।