जैन दर्शन जीवन जीने की कला है : मुनि आदित्य सागर

मुनि आदित्य सागर
मुनि आदित्य सागर
  • जीवन बदलने के लिए अगस्त माह में होगें तीन संस्कार शिविर, जैन अजैन सभी लेंगे भाग

जयपुर। पूरे विश्व में जैन नगरी के नाम से विख्यात राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर के टोंक रोड़ पर कीर्ति नगर स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में चर्या शिरोमणि पट्टाचार्य 108 विशुद्ध सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य श्रुत संवेगी महाश्रमण मुनि आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में चल रहे विशुद्ध ज्ञान वर्षा योग 2025 में धर्म की गंगा बह रही है। मुनि श्री के सानिध्य में अगस्त में विशाल स्तर पर तीन विशेष धार्मिक संस्कार शिविर का आयोजन किया जाएगा। यह जानकारी शुक्रवार, 01 अगस्त को कीर्तिनगर जैन संत भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष प्रेम कुमार जैन एवं महामंत्री जगदीश जैन ने दी।

प्रचार मंत्री आशीष बैद ने बताया कि इन शिविरो में जयपुर सहित पूरे देश से बडी संख्या में जैन श्रद्धालु शामिल होंगे। प्रचार समन्वयक विनोद जैन कोटखावदा के मुताबिक मुनि आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में अगस्त माह में होने वाले इन आयोजनों में जैनत्व उपनयन संस्कार शिविर -2025, जैनत्व दम्पति संस्कार – 2025 एवं आध्यात्मिक श्रावक साधना संस्कार शिविर – 2025 मुख्य है। इसके अतिरिक्त भी अन्य कई विशेष धार्मिक आयोजन होंगें।
इस मौके पर मुनि आदित्य सागर ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैन दर्शन जीवन जीने की कला है। आज हर व्यक्ति दिखावे की जिन्दगी जी रहा है।

वास्तविक जिन्दगी से हम कोसों दूर है। आज हर व्यक्ति दुखी है इसलिए सुख एवं शांति की खोज के पीछे भाग रहे हैं। आज आधुनिकता देश की सम्पदा को खा चुकी है। आधुनिकता के कारण हर घर रोगो का अस्पताल बना हुआ है। श्रावकों के लिए आधुनिकता की श्रेणी अलग है तथा साधु संतों के लिए अलग कैटेगरी है। श्रावक को परिवार एवं ग्रहस्थ जीवन का निर्वहन करते हुए साधना करनी है जबकि संतों के ऐसा कोई तामझाम नहीं है। उन्होंने कहा कि इन तीनों संस्कार शिविर में मेडिटेशन, योग, ध्यान, प्रवचन, प्रतिक्रमण, ग्रन्थों का स्वाध्याय, अभिषेक, पूजा, सामायिक, श्रुत समाधान, आरती आदि के माध्यम से व्यक्ति का जीवन परिवर्तन करना मुख्य लक्ष्य रहेगा। इन शिविरो में जैन, अजैन जो इसके नियमों का पालन करेगा, सभी शामिल हो सकेंगे।

मुनि श्री ने पत्रकारों के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का सटीक जवाब देते हुए बताया कि जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए दुख की परत हटा देनी चाहिए। अनावश्यक बातों को अपने जीवन से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए। अपने मन की आशक्ति को हटाने के लिए त्याग का मार्ग अपनाना चाहिए। यही सुख का मार्ग है। दूसरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वर्तमान में कलिकाल यानि दुख का काल चल रहा है। दुख घटेगा तभी सुख बढेगा। जीवन से नकारात्मक विचारों को निकाल कर सकारात्मकता की ओर बढना ही सुख प्राप्ति के संकेत है। उन्होंने कहा कि प्रयास करने वाले को सफलता एक दिन में नहीं मिलती परन्तु एक दिन जरूर मिलती है। प्रयास अकेले व्यक्ति से प्रारम्भ होता है विकास सबका होता है।

इस मौके पर जैनत्व दम्पति संस्कार, जैनत्व उपनयन संस्कार एवं आध्यात्मिक श्रावक साधना संस्कार शिविर के बहुरंगीय पोस्टर का विमोचन किया गया। इस मौके पर राजस्थान जैन सभा जयपुर के उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा, महामंत्री मनीष बैद, कार्यकारिणी सदस्य राकेश गोधा, मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष प्रेम कुमार जैन, महामंत्री जगदीश जैन, कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र गोधा, प्रचार मंत्री आशीष बैद, कार्यकारिणी सदस्य प्रकाश गंगवाल, राजेन्द्र बजाज, कमल पहाडिया, प्रेम चन्द गंगवाल, मुनि भक्त मनोज झांझरी, दीक्षान्त हाडा सहित बडी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इन सभी शिविरों में पूरे देश से बडी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। आन लाईन रजिस्ट्रेशन शुरु कर दिया गया है।

इन शिविरों में भोजन, आवास सहित अन्य सुविधाएं चातुर्मास कमेटी द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी। विनोद जैन कोटखावदा एवं आशीष बैद ने बताया कि दस दिवसीय श्रावक संस्कार शिविर में शिविरार्थी की दिनचर्या प्रातः 4 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक रहेगी। इससे पूर्व महामंत्री जगदीश जैन ने मुनि आदित्य सागर महाराज के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सोशल मीडिया पर मुनिश्री के देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में 15 लाख से अधिक फोलोअर्स है। जयपुर में ही 1 लाख से अधिक फोलोअर्स है। 260 कॉलेजों में मुनि आदित्य सागर द्वारा लिखित पुस्तक ‘आध्यात्मिक प्रबंधन’ पढ़ाई जाती है। मुनि श्री को 16 भाषाओं का ज्ञान है। मुनि श्री के संघ में श्रुत प्रिय मुनि अप्रमित सागर, सहजानन्द मुनि सहज सागर, क्षुल्लक श्रेयस सागर संघस्थ है।

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