जयपुर : सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के श्रीराम कैंसर सेंटर ने बोन मैरो ट्रांसप्लांट (अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। अस्पताल के विशेषज्ञों ने कुल 101 बोन मैरो ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इन ट्रांसप्लांट्स में से अधिकांश राजस्थान सरकार की चिरंजीवी या मां योजना के तहत किए गए हैं, जिससे मरीजों को बड़ी राहत मिली है।
हिमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष एवं ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ डॉ. नवीन गुप्ता ने बताया कि
इन ट्रांसप्लांट्स में 60 ऑटोलॉगस और 41 एलोजेनिक ट्रांसप्लांट शामिल हैं। उपचारित मरीजों में अधिकतर लोग बोन मैरो कैंसर (मायलोमा और ल्यूकेमिया) और एप्लास्टिक एनीमिया से पीड़ित थे। खास बात यह है कि इन मरीजों में 22 बच्चे भी शामिल हैं। कुछ दुर्लभ बीमारियों, जैसे फ़ैंकोनी एनीमिया और इम्यूनोडिफिशिएंसी डिजीज के लिए भी ट्रांसप्लांट किए गए हैं।
ऑटोलॉगस ट्रांसप्लांट में मरीज स्वयं ही अपना डोनर होता है, जहाँ उसके स्वस्थ स्टेम सेल निकालकर बाद में वापस शरीर में डाल दिए जाते हैं। वहीं, एलोजेनिक ट्रांसप्लांट में स्टेम सेल किसी अन्य व्यक्ति (जैसे भाई-बहन या आंशिक मेल खाने वाले परिवार के सदस्य) से लिए जाते हैं, जिससे कैंसर दोबारा होने की संभावना कम हो जाती है।
डॉ. नवीन गुप्ता ने बताया कि इन ट्रांसप्लांट में डॉ. हेमंत मल्होत्रा, पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रियंका सोनी और वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ प्रो. डॉ. अजय यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अस्पताल में ट्रांसप्लांट के बाद संक्रमण से बचाव के लिए एक विशेष संक्रमणमुक्त गहन चिकित्सा इकाई (ICU) भी स्थापित की गई है, जहाँ चौबीसों घंटे निगरानी की जाती है।
बच्चों की कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका सोनी के अनुसार, बच्चों में थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया और एप्लास्टिक एनीमिया जैसी गैर-कैंसर बीमारियों के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (SCT) बहुत लाभकारी है। समय पर निदान और ट्रांसप्लांट से बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में बड़ा सुधार संभव है।
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