जयपुर – किसानों को सशक्त बनाने, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मजबूती देने और रोजगार के अवसर बढ़ाने के अपने वादे को निभाते हुए मोदी सरकार के प्रयासों से राजस्थान में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई-एसएफपीआई) के तहत उल्लेखनीय प्रगति हो रही है।
राज्यसभा में राजस्थान से सांसद मदन राठौड़ के विस्तृत प्रश्न का उत्तर देते हुए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने बताया कि इस योजना की श्रेणी-I (रेडी-टू-ईट/रेडी-टू-कुक व फल एवं सब्जियां) में राजस्थान के छह स्थानों पर तीन प्रमुख कंपनियों को स्वीकृति दी गई है। इसके अलावा, श्रेणी-III (विदेश में ब्रांडिंग और विपणन) के तहत दो प्रस्ताव भी मंजूर किए गए हैं। विशेष रूप से, श्रेणी-I की स्वीकृत इकाइयों ने वाणिज्यिक उत्पादन शुरू कर दिया है और अपने प्रतिबद्ध निवेश के 100% लक्ष्य को पूरा कर लिया है, जो राज्य की उद्योग के प्रति तत्परता और योजना की सफलता का प्रमाण है।
मंत्री ने बताया कि कंपनियों का चयन पारदर्शी और पूर्व निर्धारित मानदंडों के आधार पर किया जाता है, जिसमें न्यूनतम वार्षिक बिक्री और निवेश सीमा तय है। उदाहरण के लिए, बड़ी रेडी-टू-ईट/रेडी-टू-कुक कंपनियों को वर्ष 2019-20 में ₹500 करोड़ का टर्नओवर और ₹100 करोड़ का निवेश होना आवश्यक है, जबकि प्रसंस्कृत फल एवं सब्जी इकाइयों को ₹250 करोड़ टर्नओवर और ₹50 करोड़ निवेश की जरूरत है। इस तरह के सख्त मानक सुनिश्चित करते हैं कि योजना का लाभ केवल सक्षम और विकासोन्मुखी इकाइयों को मिले, जिससे किसानों, उपभोक्ताओं और अर्थव्यवस्था – सभी को अधिकतम लाभ हो।
राठौड़ के निगरानी और अनुपालन संबंधी प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि आईएफसीआई लिमिटेड (भारत सरकार का उपक्रम) को परियोजना प्रबंधन एजेंसी नियुक्त किया गया है, जो जीएसटी फाइलिंग, चार्टर्ड इंजीनियर प्रमाणपत्र, लेखा परीक्षक प्रमाणपत्र और स्थल निरीक्षण द्वारा दावों की सघन जांच करती है। साथ ही, न्यूनतम बिक्री और निवेश सीमा के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) लागू की गई हैं, ताकि प्रोत्साहन केवल योग्य आवेदकों को ही मिले।
मदन राठौड़ ने इन उपलब्धियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजस्थान न केवल खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में नई संभावनाएं पैदा कर रहा है, बल्कि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और वैश्विक बाजार में भारत के कृषि-उद्योग को मजबूत बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।यह प्रगति मोदी सरकार के “मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड” विजन को साकार करती है और यह दर्शाती है कि कैसे नीतिगत समर्थन, निजी निवेश और मजबूत निगरानी मिलकर किसी क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं। पीएलआई योजना से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में आधुनिक ढांचा, उच्च गुणवत्ता मानक, निर्यात वृद्धि और करोड़ों लोगों के जीवन में समृद्धि आने की उम्मीद है।
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