- राज्यपाल बागडे बोले, “राष्ट्र प्रथम” देशप्रेम की जीवंत सोच
- विधानसभा अध्यक्ष ने आह्वान किया, भारतीय उत्पादों के उपयोग और राष्ट्र सर्वोपरि कार्य का
- सम्मेलन में चर्चा, विकसित भारत, आत्मनिर्भरता और शिक्षा में राष्ट्रीय संस्कार
‘Nation First’ is Not a Slogan: जयपुर। राजधानी में बुधवार को “विकसित भारत संकल्प सम्मेलन” के तहत आयोजित “राष्ट्र प्रथम” अंतरराष्ट्रीय विचार गोष्ठी में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने राष्ट्र सर्वोपरि भावना पर जोर दिया।
राज्यपाल बागडे ने कहा कि “राष्ट्र प्रथम” कोई साधारण नारा नहीं बल्कि गहरी देशभक्ति की भावना है। उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिभा ही आज विश्व में नाम रोशन कर रही है। अमेरिका की प्रगति भी भारतीय मस्तिष्क पर टिकी है, जहां 70 से 80 प्रतिशत प्रतिभाएं भारत से जाती हैं।
उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हुए परमाणु परीक्षण का उल्लेख करते हुए कहा कि यही सच्चे अर्थों में राष्ट्र प्रथम की सोच थी। बागडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। जन धन योजना के तहत करोड़ों खाते खुलवाना, कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराना और वैश्विक स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था को ऊंचाई पर ले जाना – ये सब राष्ट्र प्रथम का उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारत दुग्ध उत्पादन में विश्व में पहले, गेहूं उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और अर्थव्यवस्था भी 11वें से चौथे पायदान पर पहुंच गई है। बागडे ने आह्वान किया कि देश की 280 करोड़ हथेलियां राष्ट्र निर्माण के लिए मिलकर कार्य करें।
इस अवसर पर उन्होंने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर पर आधारित पुस्तक “कर्म गाथा” का लोकार्पण भी किया।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र अपने आप में जीवंत दर्शन है। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए और शिक्षा प्रणाली में भी राष्ट्रीय भाव व संस्कारों को शामिल करना चाहिए।
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देवनानी ने कहा कि भारत विश्वगुरु था, है और आगे भी रहेगा। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि राष्ट्र को सर्वोपरि रखते हुए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें और भारत को सर्वांगीण विकास की राह पर आगे बढ़ाएं।
कार्यक्रम में डॉ. एम.एल. स्वर्णकार, किशोर रुंगटा और डॉ. महेश शर्मा सहित कई विद्वानों ने भी अपने विचार रखे।