बंजर जमीन में भी उगेंगे पौधे, बच्चों ने उठाया पर्यावरण संरक्षण का जिम्मा

कीवी किड्स एकेडमी
कीवी किड्स एकेडमी
  • नौनिहालों की अनूठी मुहीम, 10000 से ज्यादा सीड्स बॉल बनाये, पहले दिन गुलेल से गोनेर की पहाड़ी की चारों दिशाओं में किया 3000 बीजों का रोपण

  • बच्चे और अध्यापिकाएं मिलकर बना रहे सीड्स बॉल, 3 वर्षों में हजारों सीड्स बॉल कर चुके तैयार

  • केन्या देश की तर्ज पर अब जयपुर में भी हरियाली बढ़ाने में जुटे बच्चे

जयपुर। जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़े-बड़े अभियान और रैली निकलती हैं, वहीं जयपुर के नन्हें बच्चों ने इस दिशा में एक अनोखी और प्रभावशाली पहल की है। सांगानेर क्षेत्र स्थित प्रतापनगर की कीवी किड्स एकेडमी के विद्यार्थियों ने अध्यापिकाओं के साथ मिलकर 10,000 से अधिक सीड्स बॉल तैयार किए हैं। इस अभिनव प्रयास के तहत ये बीज बंजर और दुर्गम इलाकों में गुलेल के माध्यम से छिड़के जा रहे हैं, जहां पौधारोपण सामान्यतः कठिन होता है। इस अभियान की शुरुआत गोनेर की पहाड़ी से हुई। पहले ही दिन बच्चों ने केवल 1 घंटे में गुलेल की सहायता से पहाड़ी की चारों दिशाओं में लगभग 3000 सीड्स बॉल का छिड़काव किया।

कीवी किड्स एकेडमी
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सबसे खास बात यह रही कि बच्चे पहाड़ी के ऊँचे शिखर तक पहुंचे और वहां से हर दिशा में बीजों को बिखेरा। संस्था संचालक राघवेंद्र शर्मा ने बताया कि यह कार्य एक दिन का नहीं है। पिछले तीन वर्षों में विद्यालय की अध्यापिकाएं और छात्र-छात्राएं मिलकर हजारों सीड्स बॉल तैयार कर चुके हैं। इन बॉल्स को गोबर, मिट्टी और पानी से गूंथा गया है, जिनमें पीपल, बड़, नीम, शीशम और जामुन जैसे उपयोगी वृक्षों के बीज मिलाए गए हैं। छिड़काव से पहले इन बीजों को पानी में भिगोया गया, जिससे ज़मीन में थोड़ी नमी मिलते ही ये आसानी से अंकुरित हो सकें।

कीवी किड्स एकेडमी
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यह पूरी तकनीक केन्या देश से प्रेरित है, जहां इसी तरह बंजर ज़मीन को हरियाली में बदला गया है। उसी तर्ज पर अब जयपुर के बच्चे इस मुहिम में जुटे हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए वरदान साबित हो सकती है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदार बनाना भी इसका अहम उद्देश्य है। यह मुहिम बच्चों को कक्षा की पढ़ाई से अलग हटकर पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाने का एक माध्यम है। राघवेंद्र शर्मा का कहना है, आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। अगर अभी से उन्हें प्रकृति से जोड़ेंगे, तो वे आगे चलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं। हमारी कोशिश है कि हर बच्चा पर्यावरण संरक्षक बने।

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