जयपुर: राजस्थान विधानसभा में शनिवार को आयोजित चौथे ‘युवा संसद’ कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से आए युवाओं ने लोकतंत्र के मूल्यों को समझा और राष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा की। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा लगातार बढ़ रही है और देश का लोकतंत्र व संविधान सुदृढ़ है। उन्होंने युवाओं से राष्ट्र की संस्कृति पर गर्व करने और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखने का आह्वान किया।
युवा संसद का उद्देश्य और देवनानी का संबोधन
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में आयोजित इस युवा संसद का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष देवनानी और संघ के सचिव संदीप शर्मा ने दीप प्रज्वलित कर किया। इस पहल के तहत, 13 राज्यों के 168 युवाओं ने विधानसभा के सदन में बैठकर देश की सुरक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गंभीरता से संवाद किया। युवाओं ने पक्ष और विपक्ष में बैठकर राष्ट्रीय मुद्दों पर एकजुटता का प्रदर्शन किया।
अध्यक्ष देवनानी ने युवाओं को लोकतंत्र की संस्कृति समझाते हुए कहा कि यह सदन लोकतंत्र के मूल्यों की अभिव्यक्ति का मंच है, जहां जनभावनाएं नीतियों में बदलती हैं और जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्यों के प्रति उत्तरदायी होते हैं। उन्होंने जोर दिया कि तर्क और तथ्यों के आधार पर अपनी बात रखना, दूसरों की बात धैर्य से सुनना और सहमति-असहमति के आधार पर संतुलन बनाना ही लोकतंत्र की संस्कृति है। उन्होंने युवाओं को केवल आलोचक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के वाहक बनने के लिए प्रेरित किया।
राष्ट्रहित सर्वोपरि: शालीन विरोध और संवाद का महत्व
देवनानी ने भावी पीढ़ी को संदेश दिया कि भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि सदन में विरोध शालीनता से प्रस्तुत किया जाना चाहिए और मतभेदों में भी मर्यादा बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि वे रामचरितमानस पढ़कर पिता, पुत्र, भाई और पत्नी की भूमिका को समझें, और सोशल मीडिया के दौर में बिना पड़ताल किए जानकारी साझा करने से बचें। उन्होंने प्राचीन भारत के शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में समृद्ध होने का भी उल्लेख किया।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सचिव संदीप शर्मा ने कहा कि युवा संसद केवल बोलने या विरोध-समर्थन का अभ्यास नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र के जीवंत संस्कारों की शिक्षा है। उन्होंने युवाओं से संसदीय मर्यादाओं को समझने और राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को सक्रियता से निभाने का आग्रह किया।
तेरह राज्यों के युवाओं ने दिखाया सामंजस्य
इस युवा संसद में राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, गुजरात जैसे 10 राज्यों और जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़ व नई दिल्ली जैसे 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 55 विद्यालयों से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के 168 चयनित छात्र-छात्राएं शामिल हुए। उन्होंने आतंकवाद और पाक अधिकृत कश्मीर को खाली करवाने जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की और उनके समाधान खोजने का प्रयास किया। विधानसभा सदन में 56 युवाओं ने तर्क और तथ्यों के साथ अपनी बात रखकर मर्यादित व्यवहार का आदर्श प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर राजस्थान विधानसभा के प्रमुख सचिव भारत भूषण शर्मा, विशिष्ट सहायक के.के. शर्मा, एस.एम.एस. विद्यालय के चेयरमैन विक्रमादित्य और प्राचार्य ज्योति सहित विधानसभा के अधिकारीगण व विद्यालय के शिक्षकगण उपस्थित रहे।