- गुरु-शिष्य परंपरा: JIG में आधुनिक समय में इसकी प्रासंगिकता पर विमर्श
- डिजिटल शिक्षण: ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और व्यक्तिगत मार्गदर्शन पर चर्चा
- संस्कृति संतुलन: वैश्विक प्रभाव और पारंपरिक मूल्यों के बीच अवसर व चुनौतियाँ
JIG Discusses Guru-Shishya Tradition जयपुर। जयपुर इंटेलेक्चुअल ग्रुप (JIG) की सितंबर माह की बैठक आज आयोजित हुई। कार्यक्रम की मेजबानी दीपा माथुर ने की और उन्होंने सभी सदस्यों का स्वागत कर विषय की भूमिका रखी। बैठक का मुख्य फोकस इस बात पर रहा कि पारंपरिक गुरु-शिष्य प्रणाली आधुनिक समय की आवश्यकताओं, तकनीकी प्रगति और सामाजिक परिवर्तनों के साथ कैसे विकसित हो रही है।
सदस्यों ने यह साझा किया कि आज शिक्षा केवल पारंपरिक कक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन शिक्षण और व्यक्तिगत मार्गदर्शन के मिश्रित स्वरूप की ओर बढ़ रही है। चर्चा में यह भी सामने आया कि शिष्य की सक्रिय भागीदारी और ज्ञान हस्तांतरण के नए तरीके किस तरह शिक्षण को अधिक प्रभावी बना रहे हैं। साथ ही, आधुनिक शैक्षिक माहौल में गुरु का मार्गदर्शन अब भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पहले था।
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सदस्यों ने वैश्विक संदर्भ और संस्कृति के प्रभाव पर भी विचार रखा कि यह पारंपरिक गुरु-शिष्य संबंधों को किस तरह बदल रहा है और व्यक्तिगत व पेशेवर विकास में इसकी भूमिका अब भी अहम बनी हुई है। इस संदर्भ में पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक जीवनशैली के बीच संतुलन बनाए रखने के अवसर और चुनौतियाँ भी सामने आईं।
आज के JIG कार्यक्रम में अलका बत्रा, डॉ. अंजू सोनी, डॉ. मीता सिंह, सुधीर माथुर, डॉ. सरिता सिंह, कमला पोद्दार, डॉ. विद्या जैन, डॉ. निर्मला सेवानी, त्रिप्टि पांडेय, देवराज सिंह, रानू श्रीवास्तव, अभिषेक मिश्रा, अशोक राही, विनोद भारद्वाज, नीलिमा टिक्कू, अपर्णा सहाय और शशि माथुर जैसे सदस्य उपस्थित रहे।