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विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस राष्ट्रीय एकता का संकल्प
जयपुर। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि ऑपरेशन सिन्दूर भारतीय सेना के शौर्य की गाथा है। इस पर प्रत्येक भारतीय को गर्व है। देश की युवा पीढ़ी को अपने इतिहास से सीख एवं प्ररेणा लेनी चाहिए। भारत का विभाजन एक ऐसी पीड़ा है जिसे देश कभी नहीं भूल पाएगा। करोड़ों लोगों को इसकी पीड़ा झेलनी पड़ी। गुरूवार को भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस को महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय, अजमेर द्वारा राष्ट्रीय एकता के संकल्प के रूप में मनाने के अवसर पर देवनानी ने यह बात कही।
यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के सिंधुशोध पीठ एवं भारतीय सेना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। देवनानी ने विभाजन को भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास का एक दर्दनाक और संवेदनशील अध्याय बताते हुए प्रधानमंत्री द्वारा विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यह स्मृतियां भविष्य की पीढ़ियों को सतर्क और एकजुट रहने की प्रेरणा प्रदान करती हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से देश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग, सेना और नेतृत्व पर भरोसा रखने तथा समाज को विभाजित करने वाली किसी भी शक्ति के विरुद्ध खड़े होने का दृढ़ निश्चय करने का आह्वान किया।
विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुरेश कुमार अग्रवाल ने कहा कि विभाजन केवल भौगोलिक बंटवारे के रूप में नहीं, बल्कि यह एक गहरे सांस्कृतिक और मानसिक आघात के रूप में रहा है। इतिहास और साहित्य में इस विभाजन के सही, सटीक और यथार्थपरक चित्रण की जरूरत है ताकि युवा पीढ़ी में बिना किसी भ्रम और विद्वेष के राष्ट्र प्रेम को बढ़ावा मिले। उन्होंने उन कृतियों को पाठ्यक्रम से हटाने का सुझाव दिया जो तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करती हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की बहादुरी, रणनीतिक कौशल और आतंकवाद के प्रति “जीरो टॉलरेंस” नीति का प्रतीक बताया। इस अवसर पर टेक्नो-नेशनलिज्म और आर्थिक देशभक्ति की सीख लेने पर जोर दिया गया, जिसमें स्वदेशी उत्पादों और तकनीक को अपनाने तथा बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दिया गया।
इसके लिए विश्वविद्यालय में स्वदेशी कंसोर्टियम की स्थापना की घोषणा भी की गई, जिसका उद्देश्य स्वदेशी नवाचारों का प्रचार और प्रसार करना होगा। विशिष्ट अतिथि एवं शिक्षाविद् देवदत्त जोशी ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता केवल अहिंसा से नहीं बल्कि लंबे और कठिन संघर्षों के बाद प्राप्त हुई। उन्होंने 1905 में शुरू हुई विभाजन की राजनीति और 1947 के बंटवारे के दौरान हुए भयंकर विस्थापन और जनहानि को याद करते हुए कहा कि यह घटनाएं दशकों की योजनाओं और षड्यंत्रों का परिणाम थीं। हमें इस इतिहास को याद रखना चाहिए ताकि भविष्य में ऎसी परिस्थितियां पुनः न बनें। उन्होंने देश की अखंडता और संस्थाओं की रक्षा को हर नागरिक का पवित्र दायित्व बताया।
युवा पीढ़ी को वीरता और देशभक्ति से अवगत कराना आवश्यक : ब्रिगेडियर के. रविचंद्रन
ब्रिगेडियर के. रविचंद्रन ने कहा कि पहलगांव की आतंकी घटना और धर्म पूछकर की गई निर्दाेष नागरिकों की हत्या की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार पाकिस्तानपरस्त आतंकियों ने मानवता को शर्मसार करते हुए निर्दाेष लोगों का जीवन छीन लिया और घर-परिवार उजाड़ दिए।उन्होंने विशेष रूप से ‘सिंदूर’ घटना का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारतीय सेना ने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में सेना के जाबांज जवानों ने न केवल आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया बल्कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा भी स्थापित की।
ब्रिगेडियर रविचंद्रन ने कहा कि इस प्रकार की वीरगाथाओं को युवाओं तक पहुँचाना अत्यंत आवश्यक है ताकि वे अपने देश के रक्षकों के पराक्रम से प्रेरणा ले सकें और राष्ट्रहित में योगदान देने का संकल्प कर सकें। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के प्रति सजग रहें और मिथ्या प्रचार या भ्रामक विचारधाराओं से दूर रहें। साथ ही रविचन्द्रन ने ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति, उद्देश्य और इसके ऐतिहासिक महत्व का विस्तृत परिचय देते हुए बताया कि यह भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ की गई सख्त और सुनियोजित सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य आतंकवादी ढांचे को समाप्त कर शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करना था।
कार्यक्रम के संयोजक एवं सिंधु शोध पीठ के निदेशक प्रो. सुभाष चंद ने कहा कि इन दोनों घटनाओं से आज की पीढ़ी को रूबरू कराना अत्यंत आवश्यक है। विभाजन की विभीषिका में विभाजन के दर्द की कल्पना मात्र से हम कांप उठते हैं। सेना के शौर्य और पराक्रम के प्रतीक ऑपरेशन सिंदूर ने प्रत्येक देशवासियों को गर्व की अनुभूति करवाई है। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता, स्वदेशी और देशभक्ति की भावना को उजागर करने के उद्देश्य से किया गया।कार्यक्रम का संचालन प्रो. ऋतु माथुर ने किया तथा प्रो. मोनिका भटनागर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कुलसचिव प्रिया भार्गव सहित बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के कार्मिक उपस्थित थे।
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