राजस्थान में कल 60 ड्रोन के जरिए कराई जाएगी बारिश, देश का पहला ड्रोन क्लाउड सीडिंग

ड्रोन क्लाउड सीडिंग
ड्रोन क्लाउड सीडिंग

जयपुर। राजस्थान में कल यानी मंगलवार (12 अगस्त) को देश का पहला ड्रोन बारिश कराया जाएगा। इसमें ड्रोन आधारित कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) प्रयोग होने जा रहा है। जयपुर जिले के रामगढ़ बांध क्षेत्र में दोपहर 2 बजे कृषि मंत्री डॉ। किरोड़ीलाल मीणा इस ऐतिहासिक पहल की औपचारिक शुरुआत करेंगे। केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न विभागों से इस परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है।

अमेरिका और बेंगलूरु की कंपनी करेगी टेस्ट

अब तक क्लाउड सीडिंग के लिए हवाई जहाज का इस्तेमाल होता रहा है लेकिन पहली बार इसे ड्रोन के जरिए अंजाम दिया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका और बेंगलूरु की टेक्नोलॉजी कंपनी जेन एक्स एआई कृषि विभाग के साथ मिलकर यह प्रयोग कर रही है।

योजना के मुताबिक 60 ड्रोन उड़ानें भरकर बादलों में रसायन छोड़ा जाएगा। इस मौके पर एक कार्यक्रम भी होगा जिसमें स्थानीय लोगों को आमंत्रित किया गया है। यह ट्रायल पहले 31 जुलाई को होना था लेकिन भारी बारिश की चेतावनी के चलते टाल दिया गया था। वैज्ञानिकों की टीम पिछले कई दिनों से जयपुर में मौजूद है और लगातार ड्रोन परीक्षण कर रही है। परियोजना को डीजीसीए, मौसम विभाग, जिला प्रशासन और कृषि विभाग की स्वीकृति प्राप्त है।

बारिश की कमी वाले इलाकों को राहत

अगर यह प्रयोग सफल रहा तो राजस्थान में बारिश की कमी वाले इलाकों को राहत मिल सकती है। मानसून के दौरान कई बार बादल आने के बावजूद कुछ क्षेत्रों में बारिश नहीं होती। ऐसे में सीमित इलाकों में ड्रोन की मदद से बारिश कर फसलों को सूखने से बचाया जा सकेगा।

बादल में कौन-कौन से गैस छोड़े जाते हैं

क्लाउड सीडिंग में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस जैसे रसायन ड्रोन, हेलिकॉप्टर या प्लेन से बादलों में छोड़े जाते हैं। ये रसायन पानी की सूक्ष्म बूंदों को आकर्षित कर उन्हें भारी बनाते हैं जिससे वे बारिश के रूप में गिरते हैं। हालांकि, इसके लिए बादलों में पर्याप्त नमी होना जरूरी है। चित्तौड़गढ़ के भैसुंदा बांध पर दो साल पहले 10 करोड़ रुपए की लागत से प्लेन द्वारा कृत्रिम बारिश का प्रयास किया गया था लेकिन नमी की कमी के कारण सफलता नहीं मिली थी।

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