- राजस्थान में पहली बार मेजर मिनरल के प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की नीलामी की तैयारी
- आवश्यक अनुमतियां पहले से लेने की पहल से खानों का संचालन होगा तेज
- निवेश, राजस्व और रोजगार में बढ़ोतरी की उम्मीद
Rajasthan to Lead : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राजस्थान माइनिंग सेक्टर में नई मिसाल कायम करने जा रहा है। खान एवं भूविज्ञान विभाग ने मेजर मिनरल के प्री-एम्बेडेड ब्लॉकों की नीलामी की राह तैयार कर ली है। इससे राज्य देश का पहला ऐसा प्रदेश बन सकता है जहां खानों को नीलामी के तुरंत बाद ही संचालित किया जा सकेगा।
प्री-एम्बेडेड का मतलब है कि खनन ब्लॉकों की नीलामी से पहले ही सभी जरूरी अनुमतियां पूरी कर ली जाएं। अभी तक नीलामी के बाद एलओआई मिलने के बाद अलग-अलग विभागों से फॉरेस्ट क्लीयरेंस, पर्यावरणीय अनुमति, प्रदूषण बोर्ड की सहमति, राजस्व विभाग की मंजूरी और माइनिंग प्लान अनुमोदन जैसे काम पूरे करने में 2-3 साल लग जाते हैं।
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राज्य सरकार ने इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट (आरएसएमईटी) को प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट घोषित किया है। यह यूनिट सीमांकन, डीजीपीएस सर्वे, जियोलॉजिकल रिपोर्ट और अन्य कानूनी औपचारिकताएं पहले ही पूरी कर रही है। प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने बताया कि आवश्यक अनुमतियां तेजी से ली जा रही हैं ताकि जल्द ई-नीलामी की निविदा जारी की जा सके।
केंद्र सरकार भी इस पहल को बढ़ावा दे रही है। एमएमडीआर एक्ट में संशोधन कर सभी राज्यों को कम से कम पांच ब्लॉकों को प्री-एम्बेडेड स्वरूप में तैयार कर नीलाम करने के निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान ने इस दिशा में सबसे तेज कदम बढ़ाया है।
इस पहल से खनन ब्लॉकों में निवेशकों को जल्द खनन कार्य शुरू करने का अवसर मिलेगा। इससे खनिजों की आपूर्ति व्यवस्था में तेजी आएगी और राज्य में रोजगार व राजस्व दोनों बढ़ेंगे। माइनिंग सेक्टर में यह ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ की ओर बड़ा कदम साबित होगा।