जयपुर। मेवाड़ की पावन भूमि राजसमंद में शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय ‘चिंतन शिविर’ शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम साबित हुआ। शिविर का समापन शनिवार को हुआ। सभी सत्रों में शिक्षा मंत्री व्यक्तिशः उपस्थित रहे और प्रत्येक सुझाव को गंभीरता से सुना। शिविर का उद्देश्य शिक्षा में संस्कारों, नैतिक मूल्यों, सामाजिक सद्भावना और जीवन मूल्यों का समावेश करते हुए गुणवत्तापूर्ण, समावेशी, और रोजगारोन्मुखी शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करना था। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इस शिविर को मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यहाँ से निकले निष्कर्ष राजस्थान को शिक्षा के क्षेत्र में देश में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
शिविर में शिक्षा के विभिन्न आयामों पर गहन मंथन हुआ। विशेषज्ञों ने समग्र शिक्षा, मिड-डे मील, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी कार्यान्वयन, भारतीय ज्ञान परंपरा के विस्तार और विद्यार्थियों के समग्र विकास पर विचार-विमर्श किया। शिक्षा का उद्देश्य केवल सफलता प्राप्त करना नहीं, बल्कि सार्थकता और सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा देना भी है। नैतिक शिक्षा, जीवन मूल्यों, और संस्कारों को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विशेष जोर दिया गया। शिविर में विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने और ड्रॉपआउट दर को कम करने के लिए ठोस उपायों पर चर्चा की गई। इसके अतिरिक्त सुरक्षित भवनों, स्वच्छ और हरित परिसर, पोक्सो मामलों पर जागरूकता, तनाव प्रबंधन, और विद्यार्थियों की दिनचर्या जैसे विषयों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। समावेशी शिक्षा, डिजिटल शिक्षा और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी रणनीतियाँ प्रस्तुत की गईं।
शिविर में कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा, और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया गया। संस्थागत सुधारों के तहत स्टेट ओपन स्कूल, राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, पाठ्यपुस्तक मण्डल, और डाइट जैसे संस्थानों को और सशक्त करने पर जोर दिया गया। खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता, वित्तीय प्रबंधन, और लेखा आक्षेपों के समयबद्ध समाधान पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। विशेषज्ञों ने इन क्षेत्रों में सुधार के लिए प्रभावी सुझाव प्रस्तुत किए, जो शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाएंगे।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने समापन सत्र को संबोधित करते हुए सभी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और प्रतिभागियों का इस चिंतन शिविर को सफल बनाने के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “मूल्य आधारित शिक्षा के क्षेत्र में यह चिंतन शिविर एक ऐतिहासिक कदम है। विशेषज्ञों के मार्गदर्शन और यहाँ से निकले निष्कर्षों के आधार पर राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।” शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह शिक्षा चिंतन शिविर न केवल राजस्थान की शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, बल्कि यह भारतीय ज्ञान परंपरा, नैतिक मूल्यों, और आधुनिक तकनीकी शिक्षा के समन्वय का एक अनुपम उदाहरण भी है। यहाँ से निकले विचार और सुझाव शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त करेंगे।
शिविर में उपस्थित राजसमंद सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ ने प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत प्रतिभा को पहचानने और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हर बच्चे में कोई न कोई विशेष काबिलियत होती है। उचित काउंसलिंग और मार्गदर्शन के माध्यम से बच्चों को उनके रुचि के क्षेत्र में सफल करियर बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।” इसी तरह विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़ ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए अपने सुझाव प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में गणमान्य नागरिक, विशेषज्ञ, जनप्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।
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