जोधपुर। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज चिकित्सा विज्ञान ने वह आशा लौटा दी है, जिसे कभी असंभव माना जाता था। ऐसे अनेक दंपती, जो मान चुके थे कि वे कभी माता-पिता नहीं बन पाएंगे, उन्हें अब एक नई रोशनी और नई उम्मीद मिली है। यह विज्ञान की शक्ति है, जिसने असंभव को संभव बनाया और लाखों परिवारों में फिर से खुशियां लौटाई हैं। शनिवार को कंसीव 2025 सम्मेलन में शेखावत ने कहा कि वर्ष 1978 में जब दुनिया की पहली टेस्ट ट्यूब शिशु लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था, तब से लेकर आज तक इस क्षेत्र ने लंबी यात्रा तय
की है।
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि भारतीय वैज्ञानिकों और चिकित्सकों ने भी इस दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। आज यह विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि आम जीवन का हिस्सा बन चुका है, और लाखों दंपतियों के लिए आशा की किरण है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र की यात्रा वास्तव में अद्भुत रही है। इंट्रासाइटोप्लाजि़्मक स्पर्म इंजेक्शन, विट्रिफिकेशन, एम्ब्रियो कल्चर जैसी उपलब्धियों और अब प्रयोगशालाओं में आर्टिफिशियल इंटलीजेंस के उपयोग ने उपचार को और अधिक सफल बना दिया है।
लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि हर नई तकनीक अपने साथ बड़ी नैतिक उलझनें, कानूनी प्रश्न और सबसे बढक़र रोगियों का विश्वास जैसी जिम्मेदारियां भी लाती है, इसलिए आगे बढ़ते समय हमें संवेदनशीलता और अंतरात्मा की आवाज का ध्यान रखना होगा। सम्मेलन के दौरान चिकित्सा क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले प्रतिष्ठित चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व नियंत्रक डॉ. बीएस. जोधा, डॉ. अरविंद माथुर, डॉ. संजय मकवाना, डॉ. रेणु मकवाना और डॉ. गुंजन जैन जैसे वरिष्ठ चिकित्सक भी उपस्थित रहे।
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