ब्रजभाषा महिला साहित्यकार सम्मेलन में भक्ति के भावों पर गूंजे विचार

ब्रजभाषा महिला साहित्यकार सम्मेलन
ब्रजभाषा महिला साहित्यकार सम्मेलन

जयपुर। जयपुर, राजस्थान – राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, कला–साहित्य–संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग तथा कानोड़िया पीजी महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य ब्रजभाषा महिला साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में ब्रजभाषा साहित्य, कृष्ण भक्ति संप्रदाय और महिला साहित्यकारों के योगदान पर गहन चर्चा हुई।

उद्घाटन सत्र

सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि आईएएस डॉ. कृष्ण कांत पाठक ने किया। अपने संबोधन में डॉ. पाठक ने भक्ति के विविध भावों को रेखांकित करते हुए कहा कि भक्ति आंदोलन ने जनमानस को गहराई से प्रभावित किया और सामाजिक चेतना को आध्यात्मिक दिशा दी। विशिष्ट अतिथि के रूप में व्यासपीठ प्रमुख डॉ. संजय गोस्वामी और प्रसिद्ध साहित्यकार आचार्य ज्योति प्रकाश दुबे उपस्थित रहे।

स्वागत और अध्यक्षीय भाषण

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. सीमा अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भक्ति आंदोलन ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की। संगोष्ठी संयोजक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शीताभ शर्मा ने विषय और सत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की। महाविद्यालय निदेशक डॉ. रश्मि चतुर्वेदी ने अध्यक्षता करते हुए कृष्ण के जीवन की चुनौतियों और उनकी नेतृत्व क्षमता पर विस्तार से प्रकाश डाला।

चर्चा सत्र

सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण चर्चा सत्र आयोजित किए गए। प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. कृष्ण चंद्र गोस्वामी ने की, जिसमें बनारस से डॉ. विद्योत्तमा मिश्र, महाराष्ट्र से डॉ. सुनीति आचार्य और दिल्ली से डॉ. नृत्य गोपाल शर्मा ने ब्रजभाषा साहित्य में कृष्ण भक्ति संप्रदाय और ब्रजभाषा साहित्य विषय पर अपने विचार व्यक्त किए।

दूसरे सत्र में अध्यक्षता बैंगलोर से डॉ. मैथिली प्रकाश राव ने की। इस सत्र में वनस्थली विद्यापीठ से डॉ. अन्नपूर्णा शुक्ला और आकाशवाणी दिल्ली से चंद्रवती शर्मा ने कृष्ण भक्ति संप्रदाय के ‘अंतः अनुशासनिक संदर्भ’ विषय पर गहन चर्चा की। दोनों सत्रों में कुल 12 पत्रवाचन हुए।

सम्मान और पुरस्कार

सम्मेलन में चित्तौड़गढ़ से आए सहायक आचार्य डॉ. श्याम सुंदर पारीक और आगरा से शोध छात्रा यामिनी कौशिक को सर्वश्रेष्ठ पत्रवाचन के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित विद्वानों और साहित्यकारों ने ब्रजभाषा साहित्य के महत्व और महिला साहित्यकारों के योगदान की सराहना की।

समापन और धन्यवाद

संगोष्ठी के समापन पर सह-संयोजक डॉ. मोहिता चतुर्वेदी शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र का संचालन डॉ. विष्णु प्रिया टेमाणी और चारुल शर्मा ने कुशलतापूर्वक किया। इस भव्य सम्मेलन ने ब्रजभाषा साहित्य और कृष्ण भक्ति के विविध पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए साहित्यिक जगत में एक नई चर्चा को जन्म दिया।

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