धौलपुर। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने धौलपुर में आयोजित रामकथा के दौरान कहा कि भगवान राम का वनवास सिर्फ उनके जीवन का हिस्सा नहीं था, बल्कि हर इंसान के जीवन में किसी न किसी रूप में “वनवास” आता है। उन्होंने कहा कि जीवन में धैर्य रखना जरूरी है, क्योंकि दुनिया की कोई भी परिस्थिति स्थायी नहीं होती।
“वनवास स्थायी नहीं होता”
वसुंधरा राजे ने कहा कि वनवास आएगा तो जाएगा भी। यह सोच हमें अपने मन में रखनी चाहिए। जीवन में कभी ऊपर की स्थिति आती है, तो कभी नीचे की भी। भगवान राम ने हमें सिखाया कि धैर्य क्या होता है और इसे समझना बहुत जरूरी है।
“राम राज्य का संदेश”
उन्होंने कहा कि हमें राम राज्य को अपने दिल में बसाना चाहिए। “राम राज्य ऐसा शासन है, जिसमें 36 कौम आपस में प्यार और भाईचारे से रहें। चाहे कोई छोटा हो या बड़ा, परिवार को किस तरह सींचना है और आगे बढ़ाना है, यह सीखने की जरूरत है। यही राम राज्य की अवधारणा है।”
“गलत करने वाले को डर खा जाता है”
वसुंधरा राजे ने आगे कहा कि हर इंसान डरता है। लेकिन असल में गलत करने वाले को ही डर सताता है। जब मन में पता होता है कि कुछ गलत किया जा रहा है, तो डर अपने आप लगने लगता है।
सियासी हलकों में बयान पर चर्चा
रामकथा के धार्मिक मंच से दिए गए वसुंधरा राजे के इन बयानों के सियासी मायनों पर भी चर्चा हो रही है। जानकारों का मानना है कि उनके कथनों को मौजूदा राजनीतिक हालात से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि, राजे ने स्पष्ट किया कि यह भगवान राम के जीवन और वनवास पर आधारित विचार हैं, लेकिन इसके बावजूद यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
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