गलवां घाटी में अभी भी कई इलाके जहां तनाव की स्थिति बरकरार

नई दिल्ली। चीनी सैनिक भारत की लद्दाख की गलवां घाटी सहित कई इलाकों से पीछे हटने को मजबूर तो हो गए हैं, लेकिन अभी भी कई इलाके हैं, जहां दोनों देशों के बीच तनातनी जारी है। इसी बीच, चीन ने विवाद को एक नया रूप देते हुए, अक्साई चिन में करीब 50 हजार सैनिक तैनात कर दिए हैं। 

वहीं, भारत ने चीन की इस नई चालबाजी का करारा जवाब देने के लिए पहली बार स्क्वाड्रन (12) टी-90 मिसाइल फायरिंग टैंक, बख्तरबंद वाहन (एपीसी) और सेना की एक ब्रिगेड (4000 जवान वाली) को दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में तैनात कर दिया है, ताकि शक्सगम-काराकोरम पास के अक्ष पर चीनी आक्रामकता को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके। इस मामले से संबंधित शीर्ष सैन्य कमांडर्स ने इसकी जानकारी दी है।

दौलग बेग ओल्डी में भारत की आखिरी आउटपोस्ट 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है, जो काराकोरम पास के दक्षिण में, चिप-चाप नदी के किनारे और गलवां श्योक संगम के उत्तर में पड़ता है। दरबुक-श्योक-डीबीओ रोड पर कई पुल 46 टन वजन वाले टी-90 टैंक्स का भार नहीं सह सकते हैं, इसलिए भारतीय सेना ने गलवां घाटी झड़प के बाद विशेष उपकरणों के जरिए इन्हें नदी-नालों के पार भेजा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेट्रोलिंग प्वाइंट्स 14, 15, 16, 17 और पैंगोंग त्सो फिंगर इलाके में चीन की आक्रामकता के बाद सेना ने बख्तरबंद वाहन (एपीसी) या इन्फेंटरी कॉम्बैट वीइकल्स (पैदल सेना का मुकाबला करने वाले वाहन), एम777 155एमएम होवित्जर और 130एमएम बंदूकों को पहले ही डीबीओ भेज दिया था। 

भारत और चीन के तय किया था कि वह दोनों सीमा पर तनाव कम करने के लिए कार्य करेंगे और इस कदम के तहत चीनी सैनिक सीमा पर कई इलाकों से पीछे हटे थे। हालांकि, इसके बाद भी भारतीय सेना सतर्कता बरत रही है और और चीनी सैनिकों की संख्या और उनके द्वारा तैनात किए जा रहे टैंक पर नजर बनाए हुई है। 

एक सैन्य कमांडर के मुताबिक, इस गर्मी के मौसम में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की आक्रामकता का मुख्य उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में 1147 किलोमीटर लंबी सीमा पर भारतीय सेना के साथ संघर्ष वाले स्थानों को खाली करना था, ताकि वह 1960 के नक्शे को लागू कराने का दावा कर सके। लेकिन इस कोशिश को 16 बिहार रेजिमेंट के जांबाजों ने 15 जून को विफल कर दिया। 

भारतीय सेना के लिए प्लानिंग करने वालों को आशंका है कि चीन जी-219 (ल्हासा कशगार) हाईवे को शक्सगम पास के जरिए काराकोरम पास से जोड़ देगा। हालांकि, इसके लिए शक्सगम ग्लेशियर के नीचे सुरंग बनाने की जरूरत होगी, लेकिन चीन के पास इसे अंजाम देने के लिए क्षमता है। लिहाजा इन इलाकों में सेना द्वारा टी-90 मिसाइल टैंक्स तैयार किए गए हैं।