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वर्षों से बंजर पड़ी जमीन को बना दिया हरा-भरा
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100 स्टॉल्स पर दूसरे दिन बड़ी संख्या में किसानों और विशेषज्ञों ने की विजिट
जयपुर। मैं एक बहुत छोटी जगह से आई हूं। इंडियन एयरफोर्स में 23 साल देश की सेवा की है। क्योंकि हमारे दादाजी की परंपरा है, कि देश की सेवा करना जरूरी है। ऐसे में मैंने, बहन ने और परिवार के अन्य लोग देश सेवा में रहे। उसके बाद में भी मेरे मन में हमेशा से पर्यावरण के लिए कुछ करने की सोच थी। वर्षों फोर्स में रहने के बाद पर्यावरण के लिए काम करना शुरू किया और आज हम अलग-अलग पद्दति से खेती और पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। ये कहानी है रंजनी अय्यर की, जिन्होंने श्रीपिंजरापोल गौशाला में चल रहे नेशनल मेले व राष्ट्रीय गौ आधारित प्राकृतिक किसान सम्मेलन में सफलता की कहानी शेयर की। उनके साथ ही अन्य कई सफल महिलाओं व पुरुषों ने अपनी कहानी बताते हुए खेती व पर्यावरण को सुरक्षित रखने के बारे में बताया। उन्होंने गौधन को भी जरूरी बताया। इसमें किसी ने लाखों का पैकेज छोड़कर तो किसी ने कड़ा संघर्ष करके सफलता हांसल की।
गौरतलब है कि मेले में सजी 100 स्टॉल्स में दूसरे दिन गुरुवार को बड़ी संख्या में किसानों और विशेषज्ञों ने विजिट की। इस दौरान करीब 5000 लोग अभी तक मेले और पूरे आयोजन में शिरकत कर चुके हैं। डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया, कि दूसरे दिन के प्रोग्राम में किसान आयोग अध्यक्ष सी.आर. चौधरी, अहमदाबाद से गोपाल भाई, लोकमय राम छत्तीसगढ़ संस्था से नागेंद्र दूबे, प्रचारक जयपुर प्रांत आरएसएस बाबू लाल और मोहन कुमार, विश्व हिंदू परिषद से राजाराम, बीजेपी से डॉ. विक्रम सिंह, मोनिका गुप्ता, संगीता गौड़,लक्ष्मण लोहाना,चेयरमैन एफ़पीसी बाज़ार,अतुल व्यास,निदेशक अमूल ग्रुप आदि मौजूद रहे।
आज हमारे खते हैं हरे-भरे:
मैं टीबा की धरती से हूं। हमें कहा गया था कि 20 साल तक भी आपकी जमीन पर कुछ नहीं उगेगा। हमने हिम्मत नहीं हारी और आज हमारे खेत हरे-भरे हैं। इसमें भी सिर्फ हम दो ही लोग ही हैं, जो खेती कर रहे हैं। ये कहानी है बंजर जमीन को हराभरा करने वाली महिला की। उन्होंने मेले में कहानी शेयर की। उनके साथी रामेश्वर ने बताया, कि पुराना तरीका गोबर से खेती करने का है। वहीं हम बायोडाजेस्ट से खेती कर रहे हैं, जिसमें खर्चा कम है और हर तरह की फसल तैयार की जा सकती है। ये पद्दति हम युवा किसानों को भी बता रहे हैं।